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ग्राउंड रिपोर्ट हिंदी

दुर्लभ देसी पौधों की प्रजातियों को बचा रहे पुणे के यह युवा

By Chandrapratap Tiwari

पुणे (Pune) के भोलेश्वर और सुहास दोनों मल्टीपल शिफ्ट्स करने के बाद भी पौधे लगाते हैं। भोलेश्वर कई विलुप्त हो रहे स्थानीय पौधों की नर्सरी तैयार करते हैं और उन्हें महाराष्ट्र और देश के अलग अलग कोनों तक पहुंचाते हैं

रेडियो बुन्देलखण्ड, एक सामुदायिक रेडियो, जलवायु परिवर्तन को सबसे असुरक्षित लोगों तक पहुँचाता है

By Rajeev Tyagi and Jyotsna Richhariya

मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश राज्य का एक क्षेत्र बुन्देलखण्ड सूखे के लिए कुख्यात है। बढ़ते जलवायु परिवर्तन से संबंधित मुद्दों के साथ, आरजे वर्षा रायकवार एक सामुदायिक रेडियो पहल: रेडियो बुंदेलखंड के माध्यम से क्षेत्रीय समस्याओं के बारे में बात करती हैं।

दवाओं की कमी, कुपोषण और ग़रीबी, क्या 2025 तक भारत हो पाएगा टीबी मुक्त?

By Shishir Agrawal

सरकारी अस्पतालों में टीबी कि दवाओं की अनुपलब्धता ने 2025 तक टीबी मुक्त भारत के लक्ष्य को संशय में डाल दिया है. भारत के आदिवासी इलाकों में दवाओं की अनुपलब्धता के साथ-साथ कई ऐसे कारक हैं जो इस लक्ष्य की पूर्ति में बाध्यकारी हैं.

बदलती जलवायुः वनोपज पर असर, आदिवासियों की आजीविका पर गहराया संकट

By Sanavver Shafi

मप्र के जंगलों के आसपास बसे आदिवासियों की आमदनी का सुनिश्चित जरिया लघु वनोपज (महुआ, चिरौंजी, तेंदुपत्ता आदि) है, जोकि उन्हें साल के छह माह आदमनी देते हैं, लेकिन पिछले कुछ सालों से बदलती जलवायु का असर वनोपज पर भी पड़ रहा है.

43 डिग्री तापमान में पुनर्वास के लिए संघर्ष कर रहे हैं भदभदा बस्ती के विस्थापित

By Shishir Agrawal

बीते मार्च को भोपाल नगर निगम द्वारा एनजीटी के एक आदेश का पालन करते हुए भदभदा बस्ती को पूरी तरह से तोड़ दिया गया था. 3 महीने बाद भी यहाँ के लोग पुनर्वास का इंतज़ार कर रहे हैं.

जैविक खेती को बढ़ावा देने के सरकारी दावे में कितनी हकीकत कितना फ़साना

By Shishir Agrawal

जलवायु परिवर्तन के दौर में किसी किसान के लिए जैविक खेती की ओर रुख करना कितना कठिन है. भारत में जैविक खेती से सम्बंधित योजना का कितने किसानों को लाभ मिल रहा है? क्या किसान को कोई सरकारी सहयोग मिल भी रहा है?

जवाई लेपर्ड सेंचुरी के आस-पास होते निर्माण कार्य पर लगते प्रश्नचिन्ह

By Chandrapratap Tiwari

राजस्थान के पाली जिले की पहाड़ियों में बड़ी संख्या में तेंदुए रहते हैं। कुछ ट्रेवल वेबसाइट्स इनकी संख्या 60 से भी अधिक बतातीं हैं। क्षेत्र के इसी महत्व को देखते हुए राजस्थान सरकार 2018 में यहां जवाई लेपर्ड सेंचुरी (Jawai Leopard Sanctuary) भी बनाई।

पर्यावरण बचाने वाले उत्तराखंड के शंकर सिंह से मिलिए

By Chandrapratap Tiwari

उत्तराखंड (Uttarakhand) के अल्मोड़ा (Almoda) में बसे एक गांव चनोला खजूरानी के निवासी शंकर सिंह बिष्ट अपनी पढ़ाई छोड़ गांव वापस लौट आए और क्षेत्र के पर्यावरण के लिए काम कर रहे हैं।

एक हैंडपंप पर निर्भर टीकमगढ़ का मछौरा गांव, महिलाएं-बच्चे भर रहे पानी

By Jyotsna Richhariya

पानी की कमी वाले इस गांव में केवल एक हैंडपंप काम कर रहा है और दूसरा सूख गया है। गांव की महिलाएं सुबह-सुबह पानी लाने के लिए करीब 1 किलोमीटर तक पैदल चलती हैं।

Lok Sabha Election 2024: क्या कहता है मुरैना का राजनीतिक-जातीय समीकरण?

By Ground report

Morena Election 2024 | मुरैना लोकसभा से भाजपा ने अपने दिग्गज नेता और विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर के करीबी शिवमंगल सिंह तोमर को मैदान मे उतारा है तो वहीं कांग्रेस ने भी जातिगत समीकरण को ध्यान मे रखकर सत्यपाल सिंह सिकरवार नीटू को मैदान मे उतारा है।

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