मध्य प्रदेश का पातालकोट 1200 से 1500 फीट गहरी घाटी है। यहां से गुज़र रही पक्की सड़क के ठीक किनारे गुलवती उइके का पक्का मकान दिखाई देता है। उइके के गांव तक सड़क तो पहुंच चुकी है मगर एम्बुलेंस आज भी नहीं पहुंचती
पिंद्रे का जीवन पानी के लिए संघर्ष करते हुए गुज़रा है। मगर इस कहानी में वह अकेली नहीं हैं। ज्यादातर घरों में पानी लाने का काम महिलाओं के जिम्मे ही है। सरकारी फाइलों में भी पिकोला के घर में नल तो पहुंच गया है मगर जल अभी भी हॉल्ट पर है।
बजट 2025-26 में घोषित ₹1000 करोड़ के ‘मिशन फॉर आत्मनिर्भरता इन पल्सेस’ के बावजूद, मध्य प्रदेश के किसान उकटा रोग से परेशान होकर दलहन खेती छोड़ चुके हैं। समाधान न मिलने तक वे सरकार की घोषणाओं पर भरोसा नहीं कर रहे।
पन्ना टाइगर रिज़र्व के बफर ज़ोन से होकर गुज़रने वाली और पन्ना शहर की जीवनदायिनी किलकिला नदी की हालत यमुना जैसी हो गई है। नदी में गिर रहे नालों की वजह से एनजीटी ने नगर पालिका पर 99 लाख का फाइन लगाया था।
मध्यप्रदेश के राजगढ़ जिले मुख्य में तौर पर 5 नदियां गुज़रती हैं। इनमें से पार्वती, कालीसिंध, अजनार, गाड़नाला और नेवज प्रमुख हैं। राजगढ़ की इन नदियों से रेत खनन या कहें तो अवैध रेत खनन की खबरें आए दिन आती रहती हैं।
जल सहेलियां जल सुरक्षा के एजेंडे को आगे बढ़ाने, लोगों को जागरूक करने जैसी प्रक्रियाओं सहित जल अधिकारों और उनके सामूहिक दावे की दिशा में काम करने की ज़िम्मेदारी निभाती हैं।
मध्य प्रदेश मैडिकल काउंसिल (एमपीएमसी) से वैध मेडिकल लाइसेंस के बिना चिकित्सा का अभ्यास करने वाले व्यक्तियों को झोला छाप चिकित्सक कहा जाता है, जिसका अनिवार्य रूप से अर्थ है कि उन्हें राज्य में चिकित्सा उपचार प्रदान करने की कानूनी अनुमति नहीं है।
मध्य प्रदेश के सिवनी जिले के किंदरई गांव में नए न्यूक्लियर पॉवर प्लांट को मंजूरी मिली है। यह पहले से प्रस्तावित चुटका परमाणु परियोजना के बेहद पास है। इस खबर ने ग्रामीणों में विस्थापन का डर और रेडिएशन की आशंकाओं को और बढ़ा दिया है।
1990 में बने बरगी बांध ने 162 गांवों को डूब का शिकार बना दिया था और 1,14,000 लोगों को बेघर कर दिया था। मगर इन लोगों के खेत आज भी पानी का इंतज़ार कर रहे हैं। इसी इलाके में 2 बड़े न्यूक्लियर पॉवर प्लांट बनने हैं जो भारी मात्रा में पानी का इस्तेमाल करेंगे।
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