एनजीटी ने अपने हालिया आदेश में कहा है कि सिवनी की दल सागर लेक पर किए गए निर्माण कार्य से झील को नुकसान पहुंचा है। इसकी भरपाई के लिए ट्रिब्यूनल ने निर्माण ध्वस्त करने, एसटीपी के समय से निर्माण और अवैध कब्ज़े हटाने का आदेश दिया है।
राज्य में मूंग खरीदी नीति में खामियां और वेयरहाउस संचालकों का बहिष्कार किसानों के लिए संकट बन गया है। संचालकों की मांगें जायज हैं, परंतु बहिष्कार का असर छोटे और मझोले किसानों पर पड़ रहा है, जो एमएसपी पर निर्भर हैं।
पन्ना टाइगर रिजर्व के हिनौता परिक्षेत्र के अंतर्गत सबसे बुजुर्ग हथनी लगभग 100 वर्ष से अधिक आयु की वत्सला की 8 जुलाई मंगलवार को मृत्यु हो गई। सुबह 8:30 बजे तक वह बिल्कुल ठीक थी। वत्सला को एशिया की सबसे बुजुर्ग हथनी माना जाता है।
दशकों तक, मुजफ्फरपुर—भारत की लीची राजधानी के तौर पर जाना जाता रहा। लेकिन कांटी के कोयला आधारित बिजली संयंत्र से निकलने वाली फ्लाई ऐश अब जिले के बागों पर काली स्याही की तरह जम गई है।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में बच्चों की पहली कक्षा में प्रवेश की उम्र 6 वर्ष निर्धारित की गई है। पहले भी नियम था कि 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को स्कूल में प्रवेश नहीं दिया जाएगा, लेकिन सरकारी प्राथमिक स्कूलों में इन नियमों को नजरअंदाज कर दिया गया।
देवास के खिवनी खुर्द में 29 आदिवासी परिवार बेघर। वन विभाग की कार्रवाई पर सवाल, 5000 लोगों का विरोध प्रदर्शन। राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग ने लिया मामले का स्वतः संज्ञान।
2025-26 में मूंग के लिए 8,682 रुपये प्रति क्विंटल का MSP तय था, जो किसानों की आर्थिक रीढ़ था। लेकिन सरकारी फैसले के बाद उन्हें मंडियों में 5000 से 5500 रुपये प्रति क्विंटल के दाम पर फसल बेचने को मजबूर होना पड़ा।
मध्य प्रदेश में गोंड आदिवासियों के बीच काम कर रही दयाबाई समुदाय की शिक्षा और स्वास्थ्य की बेहतरी के लिए लगातार संघर्षरत हैं। अमेरिका में अपनी उच्च शिक्षा पूरा करने का प्रस्ताव ठुकराकर उन्होंने आदिवासियों और किसानों के लिए काम करना चुना।
फाका अलीराजपुर के एक छोटे से गांव ककराना का निवासी है। वो और उसके समुदाय के लिए गांव के किनारे बहने वाली नर्मदा नदी ही अआजीविका का एक मात्र साधन है। मगर नदी में मछलियों की घटती संख्या और पहचान का संकट उनका जीवन कठिन कर देता है।
पन्ना जिले के गांधीग्राम में पत्थर खदानों में काम करने वाले मजदूर सिलिकोसिस की बीमारी से पीड़ित हैं। तिरसिया बाई ने इससे अपने ससुर व पति को मरते देखा है। मगर सरकार के पास इसके लिए न कोई स्पष्ट आंकड़ा है न इलाज का कोई तरीका।
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