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पूजनीय लेकिन ज़हरीली और प्रदूषित, यह है पन्ना की किलकिला नदी

पन्ना टाइगर रिज़र्व के बफर ज़ोन से होकर गुज़रने वाली और पन्ना शहर की जीवनदायिनी किलकिला नदी की हालत यमुना जैसी हो गई है। नदी में गिर रहे नालों की वजह से एनजीटी ने नगर पालिका पर 99 लाख का फाइन लगाया था।

By Manvendra Singh Yadav
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Kilkila River of Panna City

पन्ना में किलकिला नदी में सफेद झाग साफ तौर पर इसमें मौजूद प्रदूषण की कहानी कहता है। Photograph: (ग्राउंड रिपोर्ट)

खेमराज शर्मा प्रणामी संप्रदाय के साहित्य और इतिहास के जानकार हैं। उनकी उम्र 72 वर्ष है और वह पन्ना शहर में रहते हैं। वह जितने धार्मिक हैं उतने ही पर्यावरण के प्रति संवेदनशील भी हैं। वह हमारे साथ प्राणनाथ मंदिर से घर वापस लौटते हुए किलकिला नदी की खराब स्थिति पर बात करते हैं। 

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पन्ना शहर की नदी कई मायनों में गंगा नदी जैसी है। यह पन्ना के लिए जीवनदायनी है साथ ही प्रणामी संप्रदाय के लिए यह नदी आस्था का केंद्र भी। विंध्याचल पर्वत श्रृंखला की गोद में बसा पन्ना शहर हीरों के लिए प्रसिद्ध है। किलकिला नदी इस जिले की ही छापर टेक पहाड़ी से निकलती है और शहर के बीचों-बीच से होकर गुज़रती है। लगभग 45 किमी लंबी नदी पन्ना टाइगर रिज़र्व से होते हुए सलैया भातपुर के पास केन नदी में मिल जाती है। केन नदी में मिलने से पहले इसका नाम माहौर हो जाता है।

इसे और आसान भाषा में समझें तो किलकिला नदी केन की सहायक नदी है. यही केन आगे जाकर यमुना में मिल जाती है. ये यमुना अंत में गंगा में मिल जाती है. इस लिहाज़ से यह नदी गंगा बेसिन का हिस्सा है. 

मगर इसका हाल भी वैसा ही है जैसा देश में अन्य नदियों का है। किलकिला नदी में दर्जन भर से अधिक छोटे-बड़े नाले, शहर का सीवेज और कचरा लिए सीधे गिर रहे हैं। खेमराज शर्मा कहते हैं।

“नदी के किनारे बसे रानी बाग, मोहन निवास, आगरा मोहल्ला और धाम मोहल्ले का भूजल नदी के गंदे होने की वजह से प्रभावित हुआ है।” 

इसी नदी से पन्ना शहर के आगे किसान खेती के लिए पानी निकालते हैं, ऐसे में प्रदूषित पानी खेती की उपज को भी प्रभावित कर रहा है। चूंकि यह नदी पन्ना टाइगर रिजर्व के बफर ज़ोन से होकर गुज़रती है इसलिए टाइगर रिज़र्व के जानवर पानी के लिए इस नदी पर निर्भर हैं। 

नदी की हालिया स्थिति दिल्ली में यमुना के जैसी हो गयी है। अमरई घाट के पास नदी सफेद झाग से पटी पड़ी है और पानी का रंग काला हो चुका है। इस नदी में पड़ने वाले किलकिला झरना और कौवा सेहा (झरना) दोनों प्रदूषित हो चुके हैं।

आस्था की नज़र से देखें तो किलकिला नदी  को प्रणामी संप्रदाय के लोग गंगा के समान पूजते हैं। इसका जल भरने के लिए प्रणामी संप्रदाय के लोग देश-विदेशों से पन्ना आते हैं। साथ ही नदी में अपने पूर्वजों की अस्थियों का विसर्जन भी करते हैं। लेकिन नदी की हालिया स्थिति में न तो लोग इसमें स्नान करते हैं और ना ही जल भर पाते हैं। 

नदी को बचाने के लिए हो चुके हैं कई प्रयास 

Kilkila River Pollution in Panna Madhya Pradesh
शहर के बीचोंबीच से गुज़रती किलकिला नदी का पानी प्रदूषण से काला हो चुका है। Photograph: (ग्राउंड रिपोर्ट)

किलकिला नदी में नगर पालिका की लापरवाही की वजह से गिराए जा रहे सीवेज से नदी, नाले में परिवर्तित हो चुकी है। लेकिन स्थानीय लोगों के जुड़ाव की वजह से इसके पुनर्जीवन के लिए बार-बार प्रयास होते रहे हैं। 

सबसे पहला प्रयास साल 2015 में तत्कालीन नगर पालिका अध्यक्ष बृजेंद्र सिंह बुंदेला के द्वारा किया गया था। इसके बारे में पन्ना के पत्रकार अरुण सिंह लिखते हैं कि "नदी की इस दयनीय स्थिति को देखकर बुंदेला मैगसेसे पुरुस्कार विजेता जल पुरुष डाॅ राजेन्द्र सिंह सम्पर्क साधते हैं। मुझे पन्ना आकर नदी की स्थिति में सुधार लाने के लिए न्यौता देते हैं। इनके अलावा बृजेंद्र सिंह बाघ विहीन हो चुके पन्ना टाइगर रिजर्व को बाघों से फिर आबाद करवाने वाले भारतीय वन सेवा के अधिकारी आर श्रीनिवास को भी साथ लाते हैं। जिसके बाद नदी की सफाई को लेकर काम शुरू किया गया। लेकिन सरकारी मदद के बिना काम लम्बे समय तक नहीं चल सका।"

साल 2018 में वापस बृजेंद्र सिंह बुंदेला के नेतृत्व में नदी की सफाई का बीड़ा उठाया गया। इस दौरान पोकलेन मशीनों से भी सफाई करवाई गई। पन्ना के स्थानीय युवा भी इस काम में हाथ बंटाने के लिए बुंदेला का साथ देने लगे। पन्ना की विरासत किलकिला नदी को बचाने के लिए युवाओं ने सफाई और नगर पालिका से सहयोग मांगना शुरू किया। लेकिन प्रशासनिक उदासीनता के चलते की गयी सफाई भी लम्बे समय तक टिक नहीं पायी और साल भर में ही सीवेज से नदी की स्थिति वापस बदतर हो गई। 

Pollution in Kilkila River of Panna city
कचरे से पटी पड़ी है किलकिला नदी। Photograph: (ग्राउंड रिपोर्ट)

साल 2022 में किलकिला नदी की सफाई के लिए स्थानीय निवासी राकेश शर्मा के साथ प्रणामी संप्रदाय के लोग वापस नदी की सफाई का प्रयास करने लगे। जलकुंभी हटाई गई लेकिन नदी किनारे के अवैध कब्जों और प्रशासन की मदद के बिना प्रणामी ट्रस्ट के लोग भी निराश हो गए।

इस सब के अलावा पन्ना में सफाई को लेकर जागरूकता और नगर पालिका की मदद कर रहे एनजीओ 'साहस' ने भी नदी की सफाई को लेकर प्रयास किए हैं। साल 2024 के सितंबर माह में नदी किनारे एक क्लीनअप ड्राइव का आयोजन किया गया था। जिसमें एक दर्जन से अधिक स्थानीय लोग जुड़े थे। ‘साहस’ के साथ बतौर प्रोजेक्ट काॅर्डिनेटर काम कर रहे अमिताभ मिश्रा बताते हैं

"साहस ने नगर पालिका को साॅलिड वेस्ट अलग करने के लिए नालों पर नेट लगाने के लिए बोला था। लेकिन अभी तक तो नहीं लग पाए हैं।" 

एनजीटी ने लगाया था जुर्माना

Kilkila River Pollution Panna
किलकिला नदी में जमा सफेद झाग Photograph: (ग्राउंड रिपोर्ट)

 साल 2022 में राष्ट्रीय हरित अभिकरण भोपाल की तरफ से सर्वम रितम खरे बनाम मध्य प्रदेश राज्य व अन्य के मामले में कार्रवाई की गयी। इस मामले में न्यायाधीश शेव कुमार सिंह व एक्सपर्ट मेम्बर के तौर पर अरुण कुमार वर्मा थे। मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण की रिपोर्ट को देखते हुए नगर पालिका पन्ना पर 99 लाख का जुर्माना लगाया गया था। नगर पालिका ठोस अपशिष्ट नियम 2016 के अंतर्गत इस जुर्माने को जनवरी से जून 2022 के समय के लिए लगाया गया था। 

यह जुर्माना नदी में बहाए जा रहे अनुपचारित सीवेज को लेकर लगाया गया था। इससे नदी के पानी की गुणवत्ता भी खराब हुई साथ में कृषि और सार्वजनिक स्वास्थ्य पर भी असर पड़ा था। पन्ना में लगभग 3.5 एमएलडी का सीवेज डिस्चार्ज होता है जिसके लिए एक्शन प्लान में एसटीपी बनाने का निर्देश भी दिया गया था।

एनजीटी के एक्शन के बाद नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग भोपाल की तरफ से नदी के लिए अमृत भारत 2.0 के तहत योजना बनाई गई। इसमें गंदे नालों को डायवर्ट कर ट्रीटमेंट प्लांट तक सीवेज को पहुंचाने के साथ सिटी वाटर एक्शन प्लान तैयार करने की रिपोर्ट भी सौंपी गयी। साल 2022 के जनवरी माह में ही विभाग की तरफ से कोलकाता की SETECH कम्पनी को डीपीआर तैयार करने की जिम्मेदारी दी गयी। साल 2024 के शरूआत में ही कम्पनी ने अमृत 2.0 योजना के तहत डीपीआर तैयार कर दिया था। बाद में इसी साल के आखिर में डीपीआर में बदलाव करवाए गए और डीपीआर को स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत तैयार करवाया गया। जिससे लगभग एक साल का समय बर्बाद हो गया। इस डीपीआर को तैयार करने वाले साकित चक्रवर्ती कहते हैं

“अमृत 2.0 के बाद डीपीआर को वापस स्वच्छ भारत मिशन में तैयार करवाया इसलिए समय ज्यादा लग गया।”

ये डीपीआर फिलहाल नगरीय प्रशासन एवं विकास भोपाल में अप्रूवल के लिए अटका पड़ा है। इसकी वजह से किलकिला नदी की सफाई को लेकर कोई भी काम शुरू नहीं हो पाया है। ग्राउण्ड रिपोर्ट ने दिसम्बर में नगर पालिका परिषद की तरफ से नदी के प्रोजेक्ट के काम को देख रहे उपयंत्री अभिषेक सिंह राजपूत से बात की तब वे बताते हैं 

“स्वच्छ भारत मिशन 2.0 के तहत 22 करोड़ का एक प्रोजेक्ट बनकर तैयार है। इसका 60 प्रतिशत केन्द्र और 40 प्रतिशत पैसा राज्य सरकार दे रही है।” 

इस मामले में स्थानीय पत्रकार कृष्णकांत शर्मा से काम की जानकारी के लिए बात की तब वे कहते हैं

"यहां अभी तक तो कोई काम शुरू हुआ नहीं है। वही हालत है।"

पन्ना शहर की जीवनदायिनी किलकिला नदी और प्रणामी संप्रदाय के लोग नदी की सफाई के लिए आज भी सरकार का मुंह तक रहे हैं। शहर के बूढ़े पुराने लोग आज भी किलकिला से जुड़े पुराने किस्से सुनाया करते हैं। जिनमें वे इस नदी में तैरना सीखा करते थे। हर हफ्ते नहाने जाया करते थे। शहर के लोग आज भी पुरानी किलकिला नदी को देखने की आस में बैठे हैं।

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