वनाग्नि की खबरों के बीच अल्मोड़ा जिले का शीतलाखेट गांव एक मॉडल बन कर उभरा है, जहां समूचे ग्राम समुदाय ने मिलकर अपने वनों को बचाया है। शीतलखेट की सरकारी सेवा में फार्मसिस्ट गजेंद्र पाठक जी इस क्षेत्र में गांव की महिलाओं के साथ लंबे समय से कार्य कर रहे हैं।
पुणे (Pune) के भोलेश्वर और सुहास दोनों मल्टीपल शिफ्ट्स करने के बाद भी पौधे लगाते हैं। भोलेश्वर कई विलुप्त हो रहे स्थानीय पौधों की नर्सरी तैयार करते हैं और उन्हें महाराष्ट्र और देश के अलग अलग कोनों तक पहुंचाते हैं
Bundelkhand, a region in the state of Madhya Pradesh, and Uttar Pradesh, is infamous for its droughts. With growing climate change-related issues, RJ Varsha Raikwar talks about regional problems through a community radio initiative: Radio Bundelkhand.
उत्तराखंड (Uttarakhand) के अल्मोड़ा (Almoda) में बसे एक गांव चनोला खजूरानी के निवासी शंकर सिंह बिष्ट अपनी पढ़ाई छोड़ गांव वापस लौट आए और क्षेत्र के पर्यावरण के लिए काम कर रहे हैं।
वैष्णवी पाटिल पुणे (Pune) में रहती हैं, और देसी पौधों के बीज का संग्रहण करती हैं। वैष्णवी इस काम में पिछले 5-6 सालों से लगी हुई हैं। वैष्णवी निजी स्तर पर बीज इकट्ठे करके उन्हें प्रोसेस करतीं थी। अब वैष्णवी आरंभ फाउंडेशन नाम की एक संस्था चलातीं हैं
Sanghamitra Singh identifies the gender inequality that perpetrate climate change and how empowering unseen heroes can help in the fight against COP28.