Dead fish were seen floating in Bhopal’s Lower Lake, a protected Ramsar site. Experts blame pollution and low oxygen levels. The incident has raised questions about the city's lake conservation efforts.
In rural areas, confusion surrounding snakebite treatment often leads people to rely on witchcraft and traditional remedies, delaying vital medical care. To reduce snakebite-related deaths, the health department must strengthen public trust.
छतरपुर के खडगांय गांव में कर्ज और पारिवारिक तनाव से जूझ रहे भज्जू अहिरवार ने आत्महत्या कर ली। पुलिस की लापरवाही पर एसआई सहित दो कर्मी सस्पेंड। परिजनों का कहना है कि पिता के कैंसर से पीड़ित होने से मृतक पर मानसिक दबाव बढ़ा था।
बुंदेलखंड में मिट्टी, पत्थर और पसीने से पांच कुएं गढ़ चुके दीपचंद-गौराबाई की कहानी सिर्फ पानी की नहीं, जज़्बे की है। बुढ़ापे की कमर झुकी है, पर उम्मीद अब भी सीधी खड़ी है—कुएं से नहीं, सरकार से प्यास बुझने की आस है।
बुंदेलखंड के आदिवासी बच्चों की शिक्षा पलायन के दुष्चक्र में फंस गई है। गरीबी, रोजगार की कमी और कमजोर स्कूल सिस्टम के चलते बच्चे पढ़ाई छोड़ मजदूरी को मजबूर हैं। पीढ़ी दर पीढ़ी यही सिलसिला जारी है।
साल 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश सरकार को आदेश दिए थे। भोपाल नगर निगम इन 42 मुहल्लों में साफ पानी और सीवेज की व्यवस्था नहीं कर पाया है। हाल में हुए निरीक्षण में सामने आई कमियों की रिपोर्ट हाई कोर्ट को सौंपी जाएगी।
मध्य प्रदेश में भूजल का संकट सामने आने लग गया है। हाल में आयी भूजल पर सरकारी रिपोर्ट के अनुसार मालवा क्षेत्र में भूजल का दोहन बढ़ गया है। इसके साथ ही इंदौर, उज्जैन जैसे शहरों में भूजल के अधिक दोहन से पानी की कमी का सामना करना पड़ सकता है।
भारत में पहली बार डॉल्फिन गणना हुई, जिसमें 8 राज्यों की 28 नदियों में 6327 डॉल्फिन पाई गईं। गंगा में सबसे अधिक 5689 और पंजाब की ब्यास नदी में मात्र 3 डॉल्फिन दर्ज की गईं। यह सर्वे 2021-2023 के बीच 8500 किमी नदी क्षेत्र में हुआ है।
मध्य प्रदेश सरकार डिंडोरी जिले के घुघवा जीवाश्म नेशनल पार्क को वापस पर्यटन के लिए तैयार करने जा रही है। धार के डायनासोर जीवाश्म नेशनल पार्क को भी नया रूप दिया जाएगा। इसके लिए सरकार ने हालिया बजट में 242 करोड़ रुपए की अनुमानित राशि का प्रस्ताव दिया है।
मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले के गांवों में कचरा प्रबंधन की हालत बदतर है। स्वच्छ भारत मिशन के तहत बनाए गए सेग्रिगेशन शेड और कम्पोस्ट पिट्स बेकार पड़े हैं। फंड और सफाई कर्मचारियों की कमी से गांवों में सफाई और कचरा प्रबंधन प्रभावित हो रहा है।
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