प्रचार और बड़े दावों के बाद भी मध्यप्रदेश के किसान नैनो यूरिआ का इस्तेमाल नहीं करना चाह रहे हैं। कई समितियों में किसानों को तीन बोरी खाद पर एक बोतल यूरिआ के लिए बाध्य भी किया जा रहा है।
मध्य प्रदेश में सीएंडडी वेस्ट प्रोसेसिंग के लिए एक बेहतर कार्य योजना तैयार करने की ज़रूरत है, ताकि निवेशक प्रोसेसिंग प्लांट लगाने के इच्छुक हों। इसके साथ ही लोगों को भी इस विषय पर जागरुक करने की ज़रुरत है।
केंद्र सरकार ने दिल्ली और पड़ोसी राज्यों में पराली जलाने पर लगने वाले जुर्माने को दोगुना कर दिया है, लेकिन मध्य प्रदेश में इसे लागू करने की बाध्यता नहीं है। नए नियम क्षेत्रीय नीतिगत कमियों को उजागर करते हैं।
जुलाई 2024 में आयी लैंसेट की एक रिसर्च रिपोर्ट के मुताबिक़ दिल्ली में हर साल 11.5 प्रतिशत मौतें वायु प्रदूषण के कारण होती है। खुले में काम करने वाले लोग सबसे ज़्यादा इसकी चपेट में आते हैं। अकेले 2019 में भारत में कुल मौतों में से 17.8% मौतें यानी 16.7 लाख लोगों ने अपनी जान वायु प्रदूषण के कारण गवाई थी।
बैतूल के सारनी में मछुआरों के लिए मुसीबत बन चुकी चाइनीज झालर अब जलाशय से पूरी तरह खत्म हो चुकी है। इस वजह से अब समुदाय के लोगों में अपने पारंपरिक पेशे से फिर से जुड़ने की उम्मीद जागी है।
राज्य का मालवा-निमाड़ क्षेत्र सोयाबीन की खेती के लिए जाना जाता हैं। इन क्षेत्रों में सोयाबीन की फसल को 80 फीसदी तक नुकसान हुआ हैं। कहीं-कहीं तो पूरी तरह से फसल तबाह हो गई है।
बढ़ती पवन चक्कियां, बदलती खेती और स्थानीय समुदाय व वन विभाग के तालमेल की कमी से राज्य में शून्य हुई मध्य प्रदेश में खरमोर की संख्या, संरक्षण की बात केवल कागज़ों तक सिमटी।
अरुण पांढुर्ना में पिछले तीन सालों से प्लास्टिक को रिसाइकल कर रहे हैं। अरुण इसे प्लास्टिक प्रदूषण की वैश्विक समस्या के समाधान के साथ ही, लोगों को रोजगार प्रदान करने के एक माध्यम के तौर पर देखते हैं।
बैतूल के आदिवासियों ने जंगल में लगने वाली आग को रोकने के लिए अपने वनोपज संग्रहण करने के तरीकों में भी बदलाव किया है और इस प्रयास का असर भी हुआ है वर्ष 2021 की तुलना में आग लगने की घटनाएं 90 फीसदी तक कम हुई हैं।
रामतिल को मंडला के स्थानीय लोग जगनी बुलाते हैं। इस अनाज का उपयोग खाद्य तेल, आहार, पेंट, और साबुन उद्योग में भी किया जाता है। लेकिन मंडला के किसान अब रामतिल की खेती छोड़ रहे हैं, वहीं दूसरी ओर भारत में भी पिछले तीन दशकों में रामतिल का उत्पादन लगातार घटा है।
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