In the early 2000s, significant efforts were made to ban the practice of dancing bears in various regions, particularly through initiatives led by organizations like the Wildlife SOS in India.
बढ़ती पवन चक्कियां, बदलती खेती और स्थानीय समुदाय व वन विभाग के तालमेल की कमी से राज्य में शून्य हुई मध्य प्रदेश में खरमोर की संख्या, संरक्षण की बात केवल कागज़ों तक सिमटी।
पानी न मिलने पर कई बार जानवर पानी की खोज में गांव तक चले आते है। इन घटनाओं से एनिमल-ह्यूमन कंफ्लिक्ट का खतरा बढ़ जाता है। इन्ही बातों को ध्यान में रखते हुए एक चायवाले, कानजी मेवाड़ा ने स्थानीय लोगों के सहयोग से जवाई वन क्षेत्र में बड़ा काम किया है।
सांभर की जीभ इतनी खास होती है कि वो पेड़ की छाल को चाट कर उससे पानी ले लेता है। उसी सांभर का डिहाइड्रेशन और सनस्ट्रोक से मरना चिंताजनक है और हम सब के लिए एक चेतावनी है, जो क्लाइमेट चेंज के बड़े खतरे के रूप में नजर आ रही है।
बीते दिनों मध्यप्रदेश के नौरादेही अभ्यारण्य जिसे अब रानी दुर्गावती टाइगर रिजर्व के नाम से जाना जाता है, में एक दुर्लभ मृग चौसिंगा देखने को मिला। यह जीव अपने अकार, रूप, सींग, और अब अपनी घटती संख्या को लेकर दुनिया भर में विख्यात है।
CWD, dubbed "zombie deer disease," spreads among cervids, raising fears of human transmission. Research shows no conclusive evidence yet, but concerns persist about its potential risks to public health.
As Root Canal Appreciation Day is observed on May 8th, Wildlife SOS emphasizes the importance of advanced dental procedures for rescued sloth bears, other animals. These creatures, many of whom have endured years of abuse, suffer from severe dental issues
Human-bear conflict in India escalates, endangering species like Sloth bears, Asiatic black bears, and Himalayan brown bears. Wildlife SOS undertakes groundbreaking efforts to hand-rear orphaned bear cubs, offering specialized care and milk formulas.