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बाघों के बाद शेरों का नया ठिकाना बनेगा मध्य प्रदेश

By Manvendra Singh Yadav

मध्य प्रदेश में एनीमल एक्सचेंज प्रोग्राम के तहत गुजरात के गिर से दो शेरों का जोड़ा लाया गया है। इसे भोपाल के वन विहार में रखा गया है। लाए गए जोड़े और उनसे ब्रीडिंग कराकर पैदा होने वाले शावकों को मध्य प्रदेश के जंगलों में छोड़ा जाएगा।

नेशनल पार्क बने सालों बीत गए मगर सीमाएं तय नहीं कर पाई मध्य प्रदेश सरकार

By Manvendra Singh Yadav

वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 में तहत नेशनल पार्कों की सीमाओं का एलान करना अनिवार्य है। लेकिन मध्य प्रदेश में अब तक 11 में से 1 नेशनल पार्क की सीमाओं का ही एलान नहीं किया गया है। इसको लेकर सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट भी आदेश दे चुके हैं।

हूलाॅक गिब्बन: भारत की एकमात्र वानर प्रजाति पर संकट के बादल

By Manvendra Singh Yadav

हूलोंगापार गिब्बन अभ्यारण्य में तेल शोधन के लिए मंत्रालय द्वारा मंजूदरी दे दी गई है। यहां हूलाॅक जैसे छह लुप्तप्राय प्रजातियां निवास करती हैं। जिनको लेकर वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूय पहले ही चिंता जाहिर कर चुका है।

पूर्व भाजपा विधायक के घर से मगरमच्छ बरामद, वन विभाग की कार्रवाई

By Ground Report Desk

सागर में पूर्व विधायक हरवंश सिंह राठौर के घर से दो मगरमच्छों का रेस्क्यू, तीन और मिलने की आशंका। वन्यजीव कानून के तहत होगी कार्रवाई। नौरादेही टाइगर रिजर्व में किया जाएगा स्थानांतरित।

Ratapani Tiger Reserve: नए रिजर्वों की घोषणा के बीच संरक्षण ताक पर

By Shishir Agrawal

मध्य प्रदेश को लगातार दो नए टाइगर रिजर्व मिले हैं। इनमें से रातापानी को नोटिफाई किया जा चुका है जबकि माधव नेशनल पार्क की मंजूरी एनटीसीए दे चुका है। टूरिज्म और पीआर के इतर बाघ संरक्षण में बरती जा रही ढिलाई चिंता पैदा करती है।

खरमोर के संरक्षण में कहां रह गई कमी, मध्य प्रदेश में विलुप्त!

By Sanavver Shafi

बढ़ती पवन चक्कियां, बदलती खेती और स्थानीय समुदाय व वन विभाग के तालमेल की कमी से राज्य में शून्य हुई मध्य प्रदेश में खरमोर की संख्या, संरक्षण की बात केवल कागज़ों तक सिमटी।

जवाई लेपर्ड सेंक्चुरी क्षेत्र के वन्यजीवों को भीषण गर्मी से बचा रहे हैं कांजी मेवाड़ा

By Chandrapratap Tiwari

पानी न मिलने पर कई बार जानवर पानी की खोज में गांव तक चले आते है। इन घटनाओं से एनिमल-ह्यूमन कंफ्लिक्ट का खतरा बढ़ जाता है। इन्ही बातों को ध्यान में रखते हुए एक चायवाले, कानजी मेवाड़ा ने स्थानीय लोगों के सहयोग से जवाई वन क्षेत्र में बड़ा काम किया है।

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