मध्य प्रदेश में एनीमल एक्सचेंज प्रोग्राम के तहत गुजरात के गिर से दो शेरों का जोड़ा लाया गया है। इसे भोपाल के वन विहार में रखा गया है। लाए गए जोड़े और उनसे ब्रीडिंग कराकर पैदा होने वाले शावकों को मध्य प्रदेश के जंगलों में छोड़ा जाएगा।
वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 में तहत नेशनल पार्कों की सीमाओं का एलान करना अनिवार्य है। लेकिन मध्य प्रदेश में अब तक 11 में से 1 नेशनल पार्क की सीमाओं का ही एलान नहीं किया गया है। इसको लेकर सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट भी आदेश दे चुके हैं।
हूलोंगापार गिब्बन अभ्यारण्य में तेल शोधन के लिए मंत्रालय द्वारा मंजूदरी दे दी गई है। यहां हूलाॅक जैसे छह लुप्तप्राय प्रजातियां निवास करती हैं। जिनको लेकर वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूय पहले ही चिंता जाहिर कर चुका है।
सागर में पूर्व विधायक हरवंश सिंह राठौर के घर से दो मगरमच्छों का रेस्क्यू, तीन और मिलने की आशंका। वन्यजीव कानून के तहत होगी कार्रवाई। नौरादेही टाइगर रिजर्व में किया जाएगा स्थानांतरित।
मध्य प्रदेश को लगातार दो नए टाइगर रिजर्व मिले हैं। इनमें से रातापानी को नोटिफाई किया जा चुका है जबकि माधव नेशनल पार्क की मंजूरी एनटीसीए दे चुका है। टूरिज्म और पीआर के इतर बाघ संरक्षण में बरती जा रही ढिलाई चिंता पैदा करती है।
In the early 2000s, significant efforts were made to ban the practice of dancing bears in various regions, particularly through initiatives led by organizations like the Wildlife SOS in India.
बढ़ती पवन चक्कियां, बदलती खेती और स्थानीय समुदाय व वन विभाग के तालमेल की कमी से राज्य में शून्य हुई मध्य प्रदेश में खरमोर की संख्या, संरक्षण की बात केवल कागज़ों तक सिमटी।
पानी न मिलने पर कई बार जानवर पानी की खोज में गांव तक चले आते है। इन घटनाओं से एनिमल-ह्यूमन कंफ्लिक्ट का खतरा बढ़ जाता है। इन्ही बातों को ध्यान में रखते हुए एक चायवाले, कानजी मेवाड़ा ने स्थानीय लोगों के सहयोग से जवाई वन क्षेत्र में बड़ा काम किया है।