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Photograph: (Ground Report)
ग्राउंड रिपोर्ट ने पिछले महीने मध्य प्रदेश वन अधिकार अधिनियम (एफआरए) के तहत दावों की ऑनलाइन प्रक्रिया में मौजूद खामियों की पड़ताल की है। 29 मार्च को प्रकाशित ''आदिवासी बनाम जनजातीय विभाग: ऑफलाइन नहीं ऑनलाइन ही होगी सुनवाई'' खबर और वन मित्र पोर्टल की खामियों पर लगातार रिपोर्टिंग का असर दिखा है। मप्र जनजातीय विभाग ने ऑनलाइन सुनवाई की अनिवार्यता को खत्म कर दिया है। 7 अप्रैल को जारी पत्र (क्रमांक/93/प्र.स.जा.का.वि./2025) में विभाग ने हाइब्रिड माॅडल की घोषणा की है। इसके अनुसार अब दावों की सुनवाई ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरीकों से होगी।
ग्राउंड रिपोर्ट की 29 मार्च की खबर में सतना जिले के आदिवासियों की परेशानियां सामने रखी गईं थीं। हमारी रिपोर्ट में आंकड़े भी पेश किए गए थे जिनके मुताबिक 2019 से जनवरी 2025 तक 627513 दावों में से 51 प्रतिशत खारिज हुए हैं। इन दावों का ख़ारिज होना तकनीकी खामियों और डिजिटल पहुंच की कमी को दर्शाता है।
अब राज्य में ऐसे होगी वनाधिकार दावों की सुनवाई
वन अधिकार दावों को अब वनमित्र पोर्टल पर ऑनलाइन दर्ज किया जा सकता है। तकनीकी कारणों से ऑनलाइन दावा दर्ज न कर पाने वाले दावेदारों के लिए ऑफलाइन दावे भी स्वीकार किए जाएंगे। वहीं अब वन अधिकार समिति द्वारा दावों की सुनवाई हाइब्रिड मोड (ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरीकों से) में होगी।
दावेदार वनमित्र पोर्टल पर ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। ऑफलाइन आवेदन करने वालों के दावों को भी पोर्टल पर अपलोड किया जाएगा। ग्राम पंचायत के सचिव/रोजगार सहायक द्वारा दावों को ऑनलाइन पोर्टल पर अपलोड किया जाएगा। वहीं ऑफलाइन दावों को भी एकत्र कर पोर्टल पर दर्ज किया जाएगा।
प्रदेश के शिवप्रसाद जैसे लोग, जिनके पास स्मार्टफोन तो था, लेकिन पोर्टल चलाने की समझ नहीं थी। वहीं दूसरी ओर परसमानिया पठार के 16 गांवाें के आदिवासी, जिनके ऑफलाइन दावे ठुकरा दिए गए थे। विभाग का नया आदेश आने के बाद अब प्रदेश के शिवप्रसाद जैसे आदिवासी समुदाय के व्यक्तियों अब तसल्ली है कि उन्हें उनकी जमीन का हक मिलेगा।
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