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ग्राउंड रिपोर्ट हिंदी

भोपाल में 'एकलव्य फाउंडेशन' का पर्यावरण अनुकूल भवन क्यों है खास?

eklavya foundation bhopal
ByShishir Agrawal

भोपाल की स्वयंसेवी संस्था 'एकलव्य फाउंडेशन' का भवन पर्यावरण अनुकूल बनाया गया है. यह भवन बढ़ती गर्मी से निजात दिलाने के लिए नवीन भवन निर्माण तकनीक की मिसाल पेश करता है.

क्या भोपाल का प्रशासनिक अमला 29 हज़ार वृक्षों का स्थानांतरण कर पाएगा?

29000 tree cut in bhopal
ByShishir Agrawal

मध्यप्रदेश के कैबिनेट मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि 29 हज़ार पेड़ काटे नहीं बल्कि स्थानांतरित किए जाएँगे. मगर सवाल यह है कि क्या वाकई भोपाल नगर निगम या फिर वन अमला इतना सक्षम है कि इतनी बड़ी संख्या में पेड़ स्थानांतरित किए जा सकें?

जल गंगा संवर्धन अभियान: समसगढ़ की बावड़ियों की कब सुध लेगा प्रशासन?

jal ganga samvardhan abhiyan
ByShishir Agrawal

मध्यप्रदेश सरकार द्वारा जलाशयों की मरम्मत के लिए 'जल गंगा संवर्धन अभियान' शुरू किया गया है. मगर राजधानी से थोड़ी ही दूर पर स्थित प्राचीन बावड़ियाँ अब भी बेहाल हैं.

ज़मीन पर टीबी उन्मूलन में जुटी ASHA कार्यकर्ताओं की परेशानियों से आंख मूंदता सिस्टम

ASHA worker in India
ByShishir Agrawal

भारत के 2025 तक टीबी मुक्त होने के लक्ष्य में आशा कार्यकर्त्ता महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं. वह मरीज़ और सरकारी अस्पताल के बीच की दूरी को कम करने का काम कर रही हैं.

Bhopal Tree Cutting: माननीयों के आवास के लिए कटेंगे 29 हज़ार पेड़

Bhopal tree felling
ByShishir Agrawal

भोपाल में सरकारी बंगलों को बनाने के लिए लगभग 29 हज़ार पेड़ों को काटा जाना है. इससे पहले भी भोपाल में स्मार्ट सिटी और मेट्रो के लिए भारी मात्र में पेड़ काटे गए हैं. इसका सीधा असर शहर के तापमान पर हुआ है.

सीहोर के चंदेरी गांव का जल संकट "जहां पानी नहीं वहां रहकर क्या करेंगे?"

Chanderi water scarcity sehore

पुरानी चंदेरी गांव में कई घरों की दीवारों पर लिखा मिलता है "हर घर नल से जल लाना है गांव को खुशहाल बनाना है।" लेकिन ग्रामीणों को नहीं पता कि दीवारों पर लिखा यह नारा हकीकत में कब बदलेगा। सीहोर के चंदेरी गांव से ग्राउंड रिपोर्ट

दुर्लभ देसी पौधों की प्रजातियों को बचा रहे पुणे के यह युवा

pune

पुणे (Pune) के भोलेश्वर और सुहास दोनों मल्टीपल शिफ्ट्स करने के बाद भी पौधे लगाते हैं। भोलेश्वर कई विलुप्त हो रहे स्थानीय पौधों की नर्सरी तैयार करते हैं और उन्हें महाराष्ट्र और देश के अलग अलग कोनों तक पहुंचाते हैं

रेडियो बुन्देलखण्ड, एक सामुदायिक रेडियो, जलवायु परिवर्तन को सबसे असुरक्षित लोगों तक पहुँचाता है

Radio Bundelkhand RJ varsha Raikwar Interview

मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश राज्य का एक क्षेत्र बुन्देलखण्ड सूखे के लिए कुख्यात है। बढ़ते जलवायु परिवर्तन से संबंधित मुद्दों के साथ, आरजे वर्षा रायकवार एक सामुदायिक रेडियो पहल: रेडियो बुंदेलखंड के माध्यम से क्षेत्रीय समस्याओं के बारे में बात करती हैं।

दवाओं की कमी, कुपोषण और ग़रीबी, क्या 2025 तक भारत हो पाएगा टीबी मुक्त?

TB in india.png
ByShishir Agrawal

सरकारी अस्पतालों में टीबी कि दवाओं की अनुपलब्धता ने 2025 तक टीबी मुक्त भारत के लक्ष्य को संशय में डाल दिया है. भारत के आदिवासी इलाकों में दवाओं की अनुपलब्धता के साथ-साथ कई ऐसे कारक हैं जो इस लक्ष्य की पूर्ति में बाध्यकारी हैं.

बदलती जलवायुः वनोपज पर असर, आदिवासियों की आजीविका पर गहराया संकट

Mahua Collection Tribals of MP
BySanavver Shafi

मप्र के जंगलों के आसपास बसे आदिवासियों की आमदनी का सुनिश्चित जरिया लघु वनोपज (महुआ, चिरौंजी, तेंदुपत्ता आदि) है, जोकि उन्हें साल के छह माह आदमनी देते हैं, लेकिन पिछले कुछ सालों से बदलती जलवायु का असर वनोपज पर भी पड़ रहा है.

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