भोपाल की स्वयंसेवी संस्था 'एकलव्य फाउंडेशन' का भवन पर्यावरण अनुकूल बनाया गया है. यह भवन बढ़ती गर्मी से निजात दिलाने के लिए नवीन भवन निर्माण तकनीक की मिसाल पेश करता है.
मध्यप्रदेश के कैबिनेट मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि 29 हज़ार पेड़ काटे नहीं बल्कि स्थानांतरित किए जाएँगे. मगर सवाल यह है कि क्या वाकई भोपाल नगर निगम या फिर वन अमला इतना सक्षम है कि इतनी बड़ी संख्या में पेड़ स्थानांतरित किए जा सकें?
मध्यप्रदेश सरकार द्वारा जलाशयों की मरम्मत के लिए 'जल गंगा संवर्धन अभियान' शुरू किया गया है. मगर राजधानी से थोड़ी ही दूर पर स्थित प्राचीन बावड़ियाँ अब भी बेहाल हैं.
भारत के 2025 तक टीबी मुक्त होने के लक्ष्य में आशा कार्यकर्त्ता महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं. वह मरीज़ और सरकारी अस्पताल के बीच की दूरी को कम करने का काम कर रही हैं.
भोपाल में सरकारी बंगलों को बनाने के लिए लगभग 29 हज़ार पेड़ों को काटा जाना है. इससे पहले भी भोपाल में स्मार्ट सिटी और मेट्रो के लिए भारी मात्र में पेड़ काटे गए हैं. इसका सीधा असर शहर के तापमान पर हुआ है.
पुरानी चंदेरी गांव में कई घरों की दीवारों पर लिखा मिलता है "हर घर नल से जल लाना है गांव को खुशहाल बनाना है।" लेकिन ग्रामीणों को नहीं पता कि दीवारों पर लिखा यह नारा हकीकत में कब बदलेगा। सीहोर के चंदेरी गांव से ग्राउंड रिपोर्ट
पुणे (Pune) के भोलेश्वर और सुहास दोनों मल्टीपल शिफ्ट्स करने के बाद भी पौधे लगाते हैं। भोलेश्वर कई विलुप्त हो रहे स्थानीय पौधों की नर्सरी तैयार करते हैं और उन्हें महाराष्ट्र और देश के अलग अलग कोनों तक पहुंचाते हैं
मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश राज्य का एक क्षेत्र बुन्देलखण्ड सूखे के लिए कुख्यात है। बढ़ते जलवायु परिवर्तन से संबंधित मुद्दों के साथ, आरजे वर्षा रायकवार एक सामुदायिक रेडियो पहल: रेडियो बुंदेलखंड के माध्यम से क्षेत्रीय समस्याओं के बारे में बात करती हैं।
सरकारी अस्पतालों में टीबी कि दवाओं की अनुपलब्धता ने 2025 तक टीबी मुक्त भारत के लक्ष्य को संशय में डाल दिया है. भारत के आदिवासी इलाकों में दवाओं की अनुपलब्धता के साथ-साथ कई ऐसे कारक हैं जो इस लक्ष्य की पूर्ति में बाध्यकारी हैं.
मप्र के जंगलों के आसपास बसे आदिवासियों की आमदनी का सुनिश्चित जरिया लघु वनोपज (महुआ, चिरौंजी, तेंदुपत्ता आदि) है, जोकि उन्हें साल के छह माह आदमनी देते हैं, लेकिन पिछले कुछ सालों से बदलती जलवायु का असर वनोपज पर भी पड़ रहा है.
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