लोकसभा चुनाव के नतीजे आ चुके हैं। छत्तीसगढ़ से भाजपा को 11 में से 10 सीटों पर जीत मिली है। जो एक सीट भाजपा हारी है वो है कोरबा लोकसभा जहां हसदेव बचाओं आंदोलन चल रहा है। यहां से कांग्रेस की ज्योत्सना चरणदास महंत ने 43 हज़ार से अधिक मतों से जीत दर्ज की है। यह नतीजे संकेत देते हैं कि आदिवासियों के जल, जंगल और ज़मीन के मुद्दों को नज़रअंदाज़ कर नेता चुनावों में बेहतर प्रदर्शन नहीं कर सकते और पर्यावरणीय मुद्दें चुनावों के प्रभावित कर सकते हैं।
हसदेव अरण्य (Hasdeo Aranya) छत्तीसगढ़ के 1 लाख 70 हेक्टेयर के क्षेत्र में फैला हुआ विशाल जंगल है। हसदेव अरण्य छत्तीसगढ़ के तीन जिलों, सरगुजा, सूरजपुर, और कोरबा में फैला हुआ है। हसदेव अरण्य में 23 कोयला की कोयला की खदानें विवाद का विषय बनी हुईं हैं। यह मामला 2008 से चला आ रहा है। इस दौरान हसदेव की जनता भाजपा, और कांग्रेस दोनों के शासन की गवाह रही है, और हसदेव पर संकट लगातार बना रहा है। आज के लोकसभा चुनाव के नतीजों में कोरबा को छोड़कर सभी सीटों पर भाजपा ने बड़ी जीत दर्ज की है।
कांग्रेस की भूपेश बघेल की सरकार के दौरान भी हसदेव अरण्य को काटने का प्रयास किया गया था। तब खुद राहुल गांधी ने विषय पर रुझान लेते हुए कटाई रोकने की बात की थी। हालांकि छत्तीसगढ़ का फेफड़ा माने जाने वाले हसदेव अरण्य से जुलाई 2022 में खदानों की स्वीकृति रद्द कर दी गई थी। लेकिन 2023 में भाजपा की नई सरकार बनने के बाद हसदेव अरण्य के पेड़ों को काटने का प्रयास हुआ। इसे लेकर कांग्रेस नेता टी.एस. सिंह देव ने सक्रियता दिखाई और वृक्षों की कटाई रोके जाने की मांग की।
लेकिन इस पूरे प्रकरण को लेकर आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला लगातार जारी है। भाजपा सरकार इसके लिए कांग्रेस को दोषी ठहराती है और कांग्रेस भाजपा को। हसदेव अरण्य पर अभी भी खतरा बरकार है। लेकिन इन सब के बाद भी हसदेव की जनता ने लगातार अपने प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा के लिए संघर्ष किया है। हाल ही में हसदेव बचाओ आंदोलन के संयोजक आलोक शुक्ला को ग्रीन नोबल पुरुस्कार भी मिला है। लेकिन पूरे चुनाव प्रचार के दौरान ये जनता के मुद्दे, राजनीतिक विमर्श से नदारद रहे हैं।
कोरबा से वर्तमान सांसद ज्योत्सना महंत हैं। ज्योत्सना महंत 2024 में भी छत्तीसगढ़ से इकलौती गैर भाजपाई सांसद हैं। वहीं सरगुजा से 2019 में भाजपा की रेणुका सिंह सांसद बनीं थी, जिनका टिकट काट कर भाजपा ने चिंतामणि महाराज को मौका दिया और वो जीते भी हैं।
कुल मिलाकर हसदेव क्षेत्र की राजनितिक स्टेटस-को की स्थिति में ही है। लेकिन हसदेव जनता शुरुआत से ही अपने संसाधनों और पर्यावरण को लेकर सजग रही है, और लगातार एक मजबूत विपक्ष की भूमिका नजर आती रही है।
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