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दुर्लभ देसी पौधों की प्रजातियों को बचा रहे पुणे के यह युवा

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पुणे (Pune) के भोलेश्वर और सुहास दोनों मल्टीपल शिफ्ट्स करने के बाद भी पौधे लगाते हैं। भोलेश्वर कई विलुप्त हो रहे स्थानीय पौधों की नर्सरी तैयार करते हैं और उन्हें महाराष्ट्र और देश के अलग अलग कोनों तक पहुंचाते हैं

पर्यावरण बचाने वाले उत्तराखंड के शंकर सिंह से मिलिए

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उत्तराखंड (Uttarakhand) के अल्मोड़ा (Almoda) में बसे एक गांव चनोला खजूरानी के निवासी शंकर सिंह बिष्ट अपनी पढ़ाई छोड़ गांव वापस लौट आए और क्षेत्र के पर्यावरण के लिए काम कर रहे हैं।

मिलिए हज़ारों मोरों की जान बचाने वाले झाबुआ के इस किसान से

मिलिए हज़ारों मोरों की जान बचाने वाले झाबुआ के इस किसान से

झाबुआ (Jhabua) के एक किसान हैं नारायण सिंह जिन्होंने अपना जीवन मोरों की सेवा में लगाया है, और अब तक ढाई हजार से अधिक मोरों की जान बचा चुके है।

देसी बीजों को बचाने वाली पुणे की वैष्णवी पाटिल

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वैष्णवी पाटिल पुणे (Pune) में रहती हैं, और देसी पौधों के बीज का संग्रहण करती हैं। वैष्णवी इस काम में पिछले 5-6  सालों से लगी हुई हैं। वैष्णवी निजी स्तर पर बीज इकट्ठे करके उन्हें प्रोसेस करतीं थी। अब वैष्णवी आरंभ फाउंडेशन नाम की एक संस्था चलातीं हैं

प्लास्टिक प्रदूषण से लड़ने वाले क्लाइमेट वॉरियर कानजी मेवाड़ा

Plastic Pollution: से अकेले लड़ते कानजी मेवाड़ा

राजस्थान के कानजी मेवाड़ा प्लास्टिक प्रदूषण को कम करने के लिए कार्य कर रहे हैं। वह प्लास्टिक संग्रहण केंद्र का संचालन करके इस विषय में जागरूकता फैलाने का प्रयास कर रहे हैं। ग्राउंड रिपोर्ट ने उनसे बात की और जाना उनके सफर और चुनौतियों के बारे में।

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