...
Skip to content

Swachh Survekshan 2024 का तीसरा फेज़ शुरु, कितनी पार्दर्शी प्रक्रिया?

Swachh Survekshan 2024 का तीसरा फेज़ शुरु, कितनी पार्दर्शी प्रक्रिया?
Swachh Survekshan 2024 का तीसरा फेज़ शुरु, कितनी पार्दर्शी प्रक्रिया?

REPORTED BY

Follow our coverage on Google News

भारत में स्वच्छ भारत मिशन को शुरू हुए 8 साल हो चुके हैं। भारत का आवासीय और शहरी विकास मंत्रालय इसका सर्वेक्षण करता है। मंत्रालय अपने सर्वेक्षण के हर संस्करण में कुछ नए मापदंड जोड़ता है और अपने दायरे का विस्तार करता है। अब जुलाई का महीना शुरू होने के साथ ही स्वच्छता सर्वेक्षण 2024 का तीसरा फेज शुरू हो चुका है।

व्यापक स्वच्छ सर्वेक्षण में 4 तिमाहियों में मूल्यांकन किया जाता है। पहले दो फेज़ में शहर की स्वच्छता के विभिन्न मापदंडों पर नागरिकों से टेलीफोनिक पर फीडबैक लिया जाता है, तीसरी तिमाही में प्रसंस्करण सुविधाओं का मूल्यांकन होता है, जबकि चौथी तिमाही में सभी संकेतकों पर क्षेत्र का मूल्यांकन होता है। आइये इसी क्रम में जानते हैं भारत में स्वच्छता का क्या पैमाना है और 2024 के सर्वेक्षण में किस काम के लिए कितने अंक निर्धारित किये गए हैं। 

कैसे होगी 2024 में स्वच्छता की गिनती  

साल 2024 के सर्वेक्षण में कुल 4800 से अधिक शहरों को शामिल किया जा रहा है, और इसमें कुल 9500 अंक में सर्वेक्षण किया जाएगा। इस बार के सर्वेक्षण की थीम आर आर आर (रिड्यूस, रियूज, और रिसाइकल) रखी गई है। जिसमे कचरे के प्रबंधन और उसके खाद, बिजली इत्यादि के रूप में दोबारा उपयोग पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।

 

इस सर्वेक्षण में सबसे अधिक, 60 फीसदी अंक सर्विस लेवल प्रोग्रेस के लिए हैं। इसके 26 फीसदी यानी 2500 अंक ओडीएफ (ओपन डेफिकेशन फ्री), और जीएफसी (गार्बेज फ्री सिटी) इत्यादि के सर्टीफिकेशन के लिए हैं। और अंत में 14 फीसदी अंक स्वच्छता के लिए किये जाने वाले जन आंदोलन के लिए रखे गए हैं। 

सर्विस लेवल प्रोग्रेस में वर्तमान सर्वेक्षण में कई नए आयाम जोड़े गए हैं। इस बार सबसे अधिक महत्व ठोस कचरे के प्रबंधन (30 प्रतिशत), सफाई और उपयोग किये गए जल का प्रबंधन (22 प्रतिशत), और दृश्यमान स्वच्छता (17 फीसदी) को दिया गया है। 

swachhta sarvekshan

इस बार के सर्वेक्षण में पर्यटक स्थलों में सफाई और शहरों के खुले मूत्रालयों में पीले धब्बों की मौजूदगी को एक नए इंडिकेटर के तौर में शामिल किया गया है। दृश्यमान स्वच्छता के अंतर्गत सबसे अधिक, 300 अंक शहर की खूबसूरती को दिए गए हैं। इसके अलावा नालों और जलाशयों की सफाई, उनके स्क्रीनिंग, और उपचार के लिए 75 अंक निर्धारित किये गए हैं। 

इन सब के अलावा इस बार के सर्वेक्षण में सफाई मित्रों की सुरक्षा को काफी महत्व दिया गया है। इस बार के सर्वेक्षण में सफाई मित्रों के सुरक्षा के आकलन के लिए 750 अंक रखे गए है। इन में सेप्टिक टैंक का मानकी करण, पर्याप्त वर्कफोर्स, और सफाई मित्रों की सुरक्षा के लिए उपयुक्त मशीनों का इस्तेमाल और मौजूदगी प्रमुख पैमाने रखे गए हैं। 

इस बार पिछली बार की तरह ही शहरों को 4 वर्गों (7, 5, 3, और 1 स्टार) की रेटिंग में बांटा गया है। इसमें शहरों को ओपन डेफिकेशन फ्री, वाटर प्लस, और गार्बेज फ्री सिटी की श्रेणियों में बांटा गया है। इसके साथ ही जन जागरुकता के कार्यक्रमों और इसके वार्ड स्तर तक प्रसार के अवलोकन किये जाने की भी योजना है।  

सर्वेक्षण की सीमाएँ 

हालांकि भारत का आवासीय और शहरी विकास मंत्रालय अपने सर्वेक्षण के मापदंडों और स्तरों में लगातार प्रसार कर रहा है। लेकिन इसके बाद भी कई शहरों की स्थिति और उनकी रैंकिंग आपस में विरोधाभासी प्रतीत होती है। मसलन मध्यप्रदेश का उज्जैन शहर 2023 के सर्वेक्षण में देश भर में 19वें स्थान पर था। लेकिन आए दिन उज्जैन से नालों और जलाशयों की खराब स्थिति की खबरें आती रहतीं हैं। इसके अलावा क्षिप्रा के विषय में आई सीएजी की रिपोर्ट की ऑडिट रिपोर्ट में भी उज्जैन के सीवेज प्रबंधन, मॉल उपचारण, और नालों की स्थिति पर गहरी चिंता जताई गई थी। 

भारत के शहरों का ये स्वच्छता सर्वेक्षण लाइव सर्वेक्षण नहीं है। इसमें इस बात की पूरी गुंजाईश रहती है कि कोई निकाय सिर्फ सर्वेक्षण के लिए निर्धारित समय में भरसक प्रयास करे, लेकिन बाकी समय ढुलमुल रवैय्या अपना ले।

इसका हालिया उदाहरण जबलपुर नगर निगम से लिया जा सकता है जहां पिछले दिनों डोर टू डोर कचरा संग्रहण ठप होने के कारण नगर निगम में काफी हंगामा बरपा। जबकि जबलपुर देश भर में 13वीं रैंक में आता है। जबलपुर के अब तक के सर्वेक्षण में 95 फीसदी स्थानों में डोर-टू-डोर कचरा कलेक्शन होता दिखाया जा रहा रहा है। इन चुनिंदा उदाहरणों से अंदाजा लगाया जा सकता है कि जमीनी हकीकत दस्तावेजी आंकड़ों के बरक्स थोड़ी बेमेल है।

यह भी पढ़ें

पर्यावरण से जुड़ी खबरों के लिए आप ग्राउंड रिपोर्ट को फेसबुकट्विटरइंस्टाग्रामयूट्यूब और वॉट्सएप पर फॉलो कर सकते हैं। अगर आप हमारा साप्ताहिक न्यूज़लेटर अपने ईमेल पर पाना चाहते हैं तो यहां क्लिक करें।

Author

  • Journalist, focused on environmental reporting, exploring the intersections of wildlife, ecology, and social justice. Passionate about highlighting the environmental impacts on marginalized communities, including women, tribal groups, the economically vulnerable, and LGBTQ+ individuals.

    View all posts

Support Ground Report to keep independent environmental journalism alive in India

We do deep on-ground reports on environmental, and related issues from the margins of India, with a particular focus on Madhya Pradesh, to inspire relevant interventions and solutions. 

We believe climate change should be the basis of current discourse, and our stories attempt to reflect the same.

Connect With Us

Send your feedback at greport2018@gmail.com

Newsletter

Subscribe our weekly free newsletter on Substack to get tailored content directly to your inbox.

When you pay, you ensure that we are able to produce on-ground underreported environmental stories and keep them free-to-read for those who can’t pay. In exchange, you get exclusive benefits.

Your support amplifies voices too often overlooked, thank you for being part of the movement.

EXPLORE MORE

LATEST

mORE GROUND REPORTS

Environment stories from the margins