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Source: X(@Rainmaker1973)
मध्यप्रदेश के सागर जिले में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां भाजपा के पूर्व विधायक हरवंश सिंह राठौर के आवास से दो मगरमच्छों को रेस्क्यू किया गया है। वन विभाग की टीम ने यह कार्रवाई आयकर विभाग की छापेमारी के दौरान की गई जानकारी के आधार पर की है।
क्या है पूरा मामला
मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो मुख्य वन संरक्षक अनिल सिंह के अनुसार, रेस्क्यू किए गए दोनों मगरमच्छों को नौरादेही टाइगर रिजर्व में स्थानांतरित कर दिया गया है। इन्हें शनिवार को टाइगर रिजर्व की नदी में छोड़ा जाएगा। विशेष रूप से चिंता का विषय यह है कि पूर्व विधायक के निवास स्थित तालाब में तीन और मगरमच्छों के होने की आशंका है। वन विभाग की टीम ने इनके रेस्क्यू के लिए तालाब में जाल बिछा दिया है और शनिवार को मोटर पंप से पानी निकालकर बचे हुए मगरमच्छों को भी रेस्क्यू करने की योजना है।
#WATCH | Forest department officials rescued #crocodiles on Friday from former #BJP MLA #HarvanshRathore's house in Sagar district, Madhya Pradesh, after Income Tax personnel tipped them off about the presence of the reptiles during a raid.#ITRaid pic.twitter.com/2slP28cWc1
— The Federal (@TheFederal_News) January 11, 2025
क्या कहते हैं कानून
गौरतलब है की भारत में मगरमच्छ की 3 प्रजातियां पाई जाती हैं। ये प्रजातियां खारे पानी का मगरमच्छ (Crocodylus Porosus), घड़ियाल (Gavialis Gangeticus), और मगर मगरमच्छ (Crocodylus Palustris) हैं। इनमें से खरे पानी के मगरमच्छ को IUCN की 'लीस्ट कंसर्न' की श्रेणी में रखा गया है जबकि मगर मगरमच्छ संकटग्रस्त और घड़ियाल को गंभीर रूप से संकटग्रस्त की श्रेणी में रखा गया है।
जहां एक ओर भारत में मगरमच्छ की 3 में से 2 प्रजातियां संकट की स्थिति में हैं, ऐसी हालत में मगरमच्छों का निजी तालाब में कैद पाया जाना चिंताजनक है। यह घटना भारत में वन्यजीव कानूनों के प्रभाव पर भी सवालिया निशान खड़े करती हैं।
मगरमच्छों को भारत के वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 के तहत अनुसूची-1, और CITES की अपेंडिक्स 1 में संरक्षित किया गया है।
वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 के तहत प्रावधान:
- इन जीवों को पालना, रखना या इनका शिकार करना पूर्णतः प्रतिबंधित है।
- अपराधियों को 3-7 वर्ष तक की कैद और जुर्माने का प्रावधान है।
- कानून के तहत इन जानवरों का व्यापार करना भी अपराध है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार वन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि सभी मगरमच्छों के रेस्क्यू के बाद संबंधित व्यक्तियों के खिलाफ वन्यप्राणी अधिनियम के तहत कार्रवाई की जाएगी। इस मामले में विशेष जांच टीम का गठन किया गया है जो यह पता लगाएगी कि ये मगरमच्छ कहां से लाए गए और कब से यहां रखे गए थे।
वन्यजीव कानूनों के अनुसार मगरमच्छों को इस तरह निजी तालाबों में रखना न केवल गैरकानूनी है बल्कि इन जीवों और आस-पास के लोगों के लिए भी खतरनाक है। मगरमच्छों को उनके प्राकृतिक आवास में ही रहने देना सबसे उचित है, जहां वे पारिस्थितिकी तंत्र का महत्वपूर्ण हिस्सा बन सकते हैं।
अभी 2 साल पहले की ही बात है जब उत्तर प्रदेश के अमेठी जिले के एक किसान, आरिफ मोहम्मद की दोस्ती सारस पक्षी से हो गई थी। इस मामले पर मुस्तैदी दिखाते हुए उत्तर प्रदेश के वन विभाग ने सारस को आरिफ की दोस्ती रिहा किया था साथ ही आरिफ पर कार्रवाई भी की थी। अब मध्यप्रदेश में मगरमच्छों को रिहाई के बाद इंसाफ मिलता है या नहीं, ये आने वाले वक्त में ही स्पष्ट हो पाएगा।
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