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जानिये बाढ़ कैसे प्रभावित करती है मगरमच्छ के जीवन को

बाढ़ जैसी आपदाएं एक झटके में मगरमच्छ के प्रजनन की पूरी प्रक्रिया पर पानी फेर सकती है। मिसाल के तौर पर साल 2022 में चंबल नदी में आई एक बाढ़ के कारण वहां के 95 फीसदी अंडे बह गए थे।

By Chandrapratap Tiwari
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Source: X(@Rainmaker1973)

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बीते दिनों मध्यप्रदेश नर्मदा नदी का जल स्तर बढ़ने के बाद एक मगरमच्छ नर्मदापुरम के सेठानी घाट पर विचरण करने लगा था। इस वजह से स्थानीय लोगों के बीच डर का माहौल था साथ ही प्रशाशन ने इसे लेकर चेतावनी भी जारी की थी। लेकिन इस तस्वीर का एक दूसरा पहलू भी है। नदी का स्तर बढ़ने से उस मगरमच्छ के आवास में भी परिवर्तन आया होगा। आइये संक्षेप में जानते हैं कि कैसे बाढ़ मगरमच्छ और अन्य जलीय जीवों के आवास को प्रभावित करती हैं। 

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अमूमन तो नदी का जल स्तर बढ़ने से मगरमच्छ का क्षेत्र बड़ा होता है। इसी के साथ अगर बढ़े हुए क्षेत्र में जैव विविधता पनप पाए तो तो उसके भोजन का विस्तार होता है। लेकिन आमतौर बाढ़ जैसी स्थितियों का मगरमच्छों पर नकारात्मक प्रभाव ही पड़ता है। 

कैसे बाढ़ प्रभावित करती है मगरमच्छों के प्रजनन को 

मगरमच्छ का प्रजनन चक्र नवंबर में ठंड के मौसम की शुरुआत में शुरू होता है। फरवरी और जून के बीच, मादाएं घोंसले के लिए पानी के किनारे से 1 से 2,000 मीटर दूर 35-56 सेमी गहरे गढ्ढे खोदती हैं। वे 8-46 अंडे वाले दो क्लच तक बिछाती हैं। मगरमच्छ के एक अंडे का वजन औसतन 128 ग्राम होता है। 

मादा मगरमच्छ को एक क्लच बिछाने में आमतौर पर आधे घंटे से भी कम समय लगता है। इसके बाद, मादाएं घोंसले को बंद करने के लिए उसके ऊपर रेत खुरचती हैं। इन अण्डों की हैचिंग का मौसम सामान्यतः दो महीने बाद होता है। 

दक्षिण भारत में यह अप्रैल और जून के बीच, और श्रीलंका में अगस्त और सितंबर के बीच हैचिंग की प्रक्रिया होती है। इसके बाद मादाएं बच्चों को खोदकर निकालती हैं, उन्हें अपने थूथन में उठाती हैं और पानी में ले जाती हैं। तदुपरांत मादा और नर दोनों एक वर्ष तक बच्चों की रक्षा करते हैं। लेकिन बाढ़ जैसी आपदाएं एक झटके में इस पूरी प्रक्रिया पर पानी फेर सकती है। मिसाल के तौर पर साल 2022 में चंबल नदी में आई एक बाढ़ के कारण वहां के 95 फीसदी अंडे बह गए थे। 

बाढ़ की स्थिति में अक्सर मगरमच्छ तेज बहाव से बचने के लिए शांत और स्थिर जल की तलाश करते हैं। इस तेज बहाव के कारण कई बार मगरमच्छ घायल भी हो जाते हैं। जनवरी 2024 में श्रीलंका की नीलवाला नदी में भीषण बाढ़ आने के बाद वहां के खारे पानी के मगरमच्छ छोटी नहरों और आसपास के गांवों में पहुंच गए थे। श्रीलंका की यह नदी अपने बाढ़ और उसके बाद होने वाले मगरमच्छों के विस्थापन के लिए कुख्यात है। 

मानव-मगरमच्छ संघर्ष और सिकुड़ती मगरमच्छों की आबादी 

इन सब के अलावा बाढ़ के कारण होने वाली सबसे बड़ी समस्या हैं मानव-मगरमच्छ संघर्ष। 2019 में ऑस्ट्रेलिया के क्वींसलैंड में आई बाढ़ के बाद कुछ मगरमच्छ बाहर आ गए थे इसके चलते वहां के लोग डर गए थे। मध्यप्रदेश में सेठानी घाट के उदाहरण के अलावा एक ताजा घटनाक्रम भी है। जहां दमोह में एक स्टॉप डैम के पास के खेतों में मगरमच्छ जा पहुंचा था। 

हालांकि ये उदाहरण सामान्य हैं, लेकिन कुछ उदाहरण मानव-मगरमच्छ संघर्ष की एक भयानक तस्वीर पेश करते हैं। जहां 12 जुलाई को उत्तरप्रदेश के लखीमपुर खीरी में एक मगरमच्छ बाढ़ के साथ बह कर मानव आबादी के बीच आ गया था। इसके बाद स्थानीय लोगों ने मगरमच्छ को एक खंभे से बांधकर घंटो प्रताड़ित किया। बाद में वन अधिकारीयों को सूचना मिलने पर उस मगरमच्छ को रेस्क्यू किया गया। 

भारत में मगरमच्छ की प्रजातियों के कैसे हैं हालात 

भारत में मुख्यतः मगरमच्छ की तीन प्रजातियाां पाई जातीं हैं। ये प्रजातियां घड़ियाल, मगर और खारे पानी का मगरमच्छ (Crocodylus Porosus) हैं। खारे पानी का मगरमच्छ भारत  राज्यों, जैसे कि पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, अंडमान-निकोबार में पाया जाता है। भारत के सुंदरवन और भितरकनिका के मैंग्रोव इसके प्रमुख आवास हैं। ये खारे पानी के मगरमच्छ भारत में सबसे ठीक स्थिति यानी, आईयूसीएन के अनुसार ‘लीस्ट कंसर्न’ की श्रेणी में आते हैं। 

Salt water crocodile
खारे पानी का मगरमच्छ, स्त्रोत: X(
@AgentSaffron)

लखीमपुर खीरी वाली घटना में जिस मगरमच्छ को प्रताड़ित किया गया था वह मगर प्रजाति (Crocodylus Palustris) का था। आईयूसीएन के मुताबिक यह प्रजाति 'वल्नरेबल' की सूची में आती है। आईयूसीएन के ही 2013 के आंकड़ों के अनुसार भारत में इनकी अधिकतम संख्या 4,287 बताई गई है।

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मगर मगरमच्छ

वहीं भारत की अन्य प्रजाति 'घड़ियाल' (Gavialis Gangeticus) है, जो कि आईयूसीएन की सूची में 'क्रिटिकली एनडेंजर्ड' की सूची में आती है। आमतौर पर शर्मीले माने जाने वाले ये घड़ियाल भारत की सबसे ज्यादा जल में रहने वाली मगरमच्छ प्रजाति हैं। लेकिन चिंता की बात है की घड़ियाल अब भारत की चंबल, सोन, गिरवा, और गंडक नदी तक ही सीमित रह गए हैं, और पूरे दुनिया भर में मात्र 650 परिपक्व घड़ियाल ही अब शेष रह गए हैं।

gharial crocodile
घड़ियाल  Source: X(
@skumarias02)

जाहिर तौर भारत के तीन में से 2 मगरमच्छ प्रजातियों की स्थिति चिंताजनक है। इनमें से घड़ियाल बहुत ही सीमित संख्या में सिमटते जा रहे हैं। भारत में मगरमच्छों की यह स्थिति जाहिर तौर पर बाढ़ के दौरान  सुरक्षा के विशेष प्रयास, जन जागरुकता की पर्याप्त गुंजाईश दर्शाती है। 

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