बीते 24 अप्रैल को फ़ूड सिक्योरिटी इन्फोर्मेशन नेटवर्क (FSIN) की एक सालाना रिपोर्ट, ग्लोबल रिपोर्ट ऑन फूड क्राइसिस (GRFC 2024) प्रकाशित हुई है। इस रिपोर्ट की विषयवस्तु वैश्विक खाद्यान्न उपलब्धता पर बड़ा सवालिया निशान लगाती है। इस रिपोर्ट के मुताबिक साल 2023 में 59 देशों में लगभग 282 मिलियन लोगों को बड़े पैमाने पर तीव्र खाद्य असुरक्षा (food crisis) का सामना करना पड़ा। आइये जानते हैं और क्या-क्या है इस रिपोर्ट में।
खाद्य संकट के प्रमुख कारक
इस रिपोर्ट ने माना है कि बढ़ते संघर्ष और असुरक्षा, आर्थिक उतार चढ़ाव के प्रभाव और चरम मौसमी घटनाओं ने दुनिया भर में तीव्र खाद्य असुरक्षा को बढ़ा दिया है। ये इंटरलिंक्ड कारक खाद्य प्रणालियों की कमजोरी, हाशिये में जाती ग्रामीण समस्याएं, खराब प्रशासन और असमानता को बढ़ा रहे हैं। साथ ही वैश्विक स्तर पर आबादी के बड़े पैमाने पर विस्थापन का कारण बन रहे हैं। इन सब के अतिरिक्त विस्थापित आबादी की हालत खाद्य असुरक्षा से और भी दुष्कर हो जाती है।
संघर्ष/असुरक्षा से बढ़ा खाद्य संकट
2023 में संघर्ष वाले हॉटस्पॉट में, विशेष रूप से फिलिस्तीन (गाजा पट्टी) और सूडान में खाद्य संकट चिंताजनक रूप से बढ़ा। 20 देशों में संघर्ष इस संकट का प्राथमिक कारण बन गया। इसके चलते 135 मिलियन लोग सीधे तौर पर प्रभावित हुए। सूडान को इसके कारण सबसे बड़ी समस्या का सामना करना पड़ा। 2022 की तुलना में, वैश्विक स्तर पर 8.6 मिलियन अधिक लोगों को उच्च स्तर की भीषण खाद्य असुरक्षा का सामना करना पड़ा है।
चरम मौसमी घटनाओं के कारण बढ़ी खाद्य असुरक्षा
चरम मौसमी घटनाएँ 18 देशों में खाद्य असुरक्षा का प्राथमिक कारण था। यहाँ 77 मिलियन से अधिक लोगों को तीव्र खाद्य असुरक्षा के उच्चस्तर का सामना करना पड़ा। जबकि 2022 में 12 देशों में 57 मिलियन लोगों को हाई लेवल खाद्य असुरक्षा का सामना करना पड़ा था।
साल 2023 में दुनिया ने सबसे गर्म वर्ष का अनुभव किया और जलवायु संबंधी झटकों ने आबादी को प्रभावित किया। इसके साथ ही अल नीनो की घटना और जलवायु परिवर्तन से संबंधित मौसम की घटनाओं ने 2023 को रिकॉर्ड पर सबसे गर्म वर्ष बना दिया (Page 6, Key Findings)। वर्तमान में भूमध्यरेखीय प्रशांत क्षेत्र में प्रचलित अल नीनो की स्थितियाँ भारत सहित दुनिया भर के कई स्थानों में गर्म तापमान के लिए आम तौर पर जिम्मेदार हैं।
आर्थिक परिस्थितियों से बढ़ी खाद्य असुरक्षा
इनसे मुख्य रूप से 21 देश प्रभावित हुए जहां लगभग 75 मिलियन लोग उच्च स्तर की तीव्र खाद्य असुरक्षा का सामना कर रहे थे। यह आयातित खाद्य और कृषि इनपुट पर उनकी उच्च निर्भरता, मुद्रा मूल्यह्रास, उच्च कीमतों और उच्च ऋण स्तर सहित व्यापक आर्थिक चुनौतियों के कारण हुआ है।
वहीं 2023 में दुनिया के सबसे बड़े खाद्य संकट वाले 10 देश कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य, नाइजीरिया, सूडान (Sudan), अफगानिस्तान, इथियोपिया, यमन, सीरियाई अरब गणराज्य, बांग्लादेश, पाकिस्तान और म्यांमार थे। लेकिन एक सकारात्मक बात यह है कि 2023 में डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो और यूक्रेन (Ukrain) सहित 17 देशों में स्थिति में सुधार हुआ है।
वैश्विक खाद्य संकट के लिए भारत द्वारा उठाये गए कदम
संयुक्त राष्ट्र खाद्य कार्यक्रम (UNWFP) के माध्यम से अफगानिस्तान के लोगों को भारत की मानवीय खाद्य सहायता मानवीय संकटों के प्रति इसकी प्रतिबद्धता और सराहनीय कदमों का एक उदाहरण है। भारत ने डब्ल्यूटीओ के 13वें मंत्रिस्तरीय सम्मेलन (एमसी13) के दौरान, खाद्य सुरक्षा उद्देश्यों के लिए सार्वजनिक स्टॉकहोल्डिंग पर एक स्थायी समाधान की आवश्यकता के बारे में मुखरता से अपना पक्ष रखा था।
इस हालिया रिपोर्ट के अनुसार खाद्य संकट झेल रही आबादी का आंकड़ा 2022 से थोड़ा सा कम था लेकिन यह अभी भी कोविड पूर्व आंकड़ों से बहुत अधिक है। जंग की घटनाओं और चरम मौसमी घटनाओं ने इंसान का जीवन मुहाल कर दिया है। शायद यह सही समय है जब अमन, पर्यावरण, और जटिल आर्थिक चुनौतियों पर इंटरडिसप्लिनरी चर्चा हो और समाधान निकलने का प्रयास किया जाए।
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