साल 2025 में टीकमगढ़ जिले के गांवों में पानी का इंतजाम किया जाना था। लेकिन 102 गांवों में बोरबेल करने के बाद पानी न मिलने से योजनाएं बीच में ही अटक गई हैं। इसके चलते लोगों को गर्मियों में पानी के इंतजाम में मशक्कत करनी पड़ सकती है।
टीकमगढ़ जिले में चंदेलकालीन सैल सागर तालाब पर लोग कब्जा कर पक्के मकानों का निर्माण कर रहे हैं। इसे लेकर स्थानीय लोग कब्जा हटाने की मांग कर रहे थे। लेकिन अब तक कोई एक्शन नहीं लिया गया है। हाल में आए नए कलेक्टर से लोग कार्यवाही की मांग कर रहे हैं।
Tikamgarh is one of the districts in Madhya Pradesh where filariasis is common. In total, 11 districts in the state are affected. Before 2021, there were more than 150 active cases of filariasis here.
The water-scarce village has only one functional hand pump and the other is dried up. Women of the village walk for around 1 kilometre early in the morning to fetch water.
पानी की कमी वाले इस गांव में केवल एक हैंडपंप काम कर रहा है और दूसरा सूख गया है। गांव की महिलाएं सुबह-सुबह पानी लाने के लिए करीब 1 किलोमीटर तक पैदल चलती हैं।
Despite having a pond nearby, the primary school still lacks any water connectivity, hence the toilets, though constructeda, remain shut. | On Ground |
बुन्देलखण्ड के सुदूर गांवों की जमीनी हकीकत जल जीवन मिशन डैशबोर्ड पर उपलब्ध जानकारी से उलट है। नजदीक ही एक तालाब होने के बावजूद, प्राथमिक विद्यालय में अभी भी पानी की सुविधा नहीं है, इसलिए शौचालय बनने के बावजूद बंद रहते हैं।
टीकमगढ़ लोकसभा से भाजपा ने दिग्गज वीरेंद्र खटीक को रिपीट किया है तो वहीं कांग्रेस ने युवा चेहरे पंकज अहिरवार पर भरोसा जताया है। ऐसे में यह जानना दिलचस्प होगा कि इस लोकसभा क्षेत्र के लोगों के लिए कौन कौन से मुद्दे महत्वपूर्ण हैं।
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