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Loksabha Election: टीकमगढ़ लोकसभा सीट में कौन-से मुद्दों पर पड़ेंगे वोट?

Loksabha Election: टीकमगढ़ लोकसभा सीट में कौन-से मुद्दों पर पड़ेंगे वोट?
Loksabha Election: टीकमगढ़ लोकसभा सीट में कौन-से मुद्दों पर पड़ेंगे वोट?

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Loksabha Election: टीकमगढ़ को बुंदेलखंड का अयोध्या कहा जाता है। इस क्षेत्र में ओरछा के पर्यटक स्थल हैं। टीकमगढ़ लोकसभा अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है। पहले ये लोकसभा खजुराहो लोकसभा के अंतर्गत आती थी, लेकिन 2008 में हुए परिसीमन के बाद यह एक स्वतंत्र लोकसभा के अस्तित्व में आ गई है। 2009 के लोकसभा चुनावों से अब तक यहां से भाजपा के वीरेंद्र खटीक ही जीतते आ रहे हैं। आइये जानते हैं इस लोकसभा का सियासी माहौल और समझते हैं यहां की जनता के मुद्दे। 

क्या कहती है टीकमगढ़ की डेमोग्राफी 

टीकमगढ़ लोकसभा में, टीकमगढ़, निवाड़ी छतरपुर की कुल 8 विधानसभाएं शामिल हैं। यहां 8 में से 6 पर भाजपा को जीत मिली थी और 2 विधानसभाओं में कांग्रेस काबिज़ है। 

टीकमगढ़ एक ग्रामीण लोकसभा है, यहां 77 फीसदी ग्रामीण मतदाता हैं। टीकमगढ़ लोकसभा अनुसूचित जाती के लिए आरक्षित है, यहां 52 फीसदी एससी वोटर हैं। टीकमगढ़ में अनुसूचित जनजाति के मतदाताओं की संख्या 4.5 फीसदी है, वहीं इस लोकसभा में मुस्लिम मतदाताओं का हिस्सा करीब 3.5 फीसद है। 

कौन है आमने सामने 

टीकमगढ़ से भारतीय जनता पार्टी ने वीरेंद्र खटीक को तीसरी दफा मैदान में उतारा है। वीरेंद्र खटीक भाजपा के सीनियर नेता हैं। वीरेंद्र 7 बार सांसद और 2 बार भारत सरकार में मंत्री रह चुके हैं। वीरेंद्र खटीक वर्तमान सरकार में सामजिक न्याय एवं सशक्तिकरण मंत्रालय सँभालते हैं, इसके अलावा इन्हे वर्तमान लोकसभा का प्रोटेम स्पीकर भी बनाया गया था। वीरेंद्र खटीक टीमकगढ़ से लगातार रिकॉर्ड मतों से जीतते आ रहे हैं, और इस बार टीकमगढ़ से चौथी बार अपनी दावेदारी पेश करने को तैयार हैं। 

वीरेंद्र खटीक के सामने कांग्रेस ने कांग्रेस ने युवा नेता पंकज अहिरवार को मौका दिया है। पंकज वर्तमान में टीकमगढ़ कांग्रेस के एससी विभाग के जिलाध्यक्ष हैं। पंकज कांग्रेस के यंग ब्लड है, और इस लोकसभा चुनाव में दिग्गज वीरेंद्र खटीक के सामने अपनी दावेदारी पेश करने जा रहे हैं। 

क्या हैं टीकमगढ़ की जनता के मुद्दे 

टीकमगढ़ भी बुंदेलखंड के अन्य क्षेत्रों की तरह जल की समस्या से जूझ रहा है। टीकमगढ़ में आए दिन खबरें आतीं हैं की वहां हफ़्तों पानी की सप्लाई नहीं हुई है। 6 माह पहले ही खबर आई थी कि टीकमगढ़ के वार्ड क्र. 23 में 15 दिनों से पानी की सप्लाई नहीं हो पाई थी और वहां के 150 लोगों को एक ही हैंडपंप से काम चलना पड़ रहा था। टीकमगढ़ में पिछले 15 सालों से 1 दिन के अंतराल में पानी की सप्लाई हो रही है। वहीं 5 अप्रैल की ही खबर है कि लोगों को दूषित पानी मिल रहा है। 

टीकमगढ़ में एक कृषि कॉलेज और लॉ कॉलेज है। टीकमगढ़ में स्कूली शिक्षा के लिए नवोदय और केंद्रीय विद्यालय है। टीकमगढ़ में आईटीआई कॉलेज भी हैं, लेकिन यहां मेडिकल और इंजीनियरिंग कॉलेज नहीं हैं। वहीं निवाड़ी में उच्च शिक्षा के विकल्प काफी सीमित हैं। 

निवाड़ी हालांकि एक छोटा जिला है, लेकिन निवाड़ी में स्वास्थ्य सुविधाएं कम हैं। निवाड़ी में जिला अस्पताल नहीं है, मात्र 2 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र हैं। हालाँकि टीकमगढ़ जिला अस्पताल को कायाकल्प अभियान के अंतर्गत पूरे प्रदेश में 15वीं रैंक मिली थी, और यहां के सिविल सर्जन को 3 लाख रूपये पुरूस्कार में मिले थे।

टीकमगढ़ में पायरोफ्लाइट के खनन स्थल हैं और निवाड़ी में अच्छी क्वालिटी का कंस्ट्रक्शन स्टोन पाया जाता है। इसके साथ ही टीकमगढ़ से अवैध खनन के मामले भी सामने आते रहते है, 3 वर्ष पहले ही टीकमगढ़ के बाबई गांव में अवैध खनन का मामला सामने आया था जहां गाँव के बड़े क्षेत्र में स्टोन क्रशर मिले थे। इससे इलाके में बहुत धूल बढ़ गई थी और लोगों को सांस लेने में समस्या आने लगी थी। 

निवाड़ी में भी अवैध खनन और स्टोन क्रशिंग की गतिविधियां धड़ल्ले से चलती हैं। 28 मार्च को  एनजीटी ने निवाड़ी में स्टोन क्रशिंग और अवैध खनन के मामले को संज्ञान में लिया था। इन गतिविधियों के कारण स्थानीय लोगों को असुविधा हो रही थी, और ओरछा वन्य जीव अभ्यराण्य की आब-ओ-हवा पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा था। एनजीटी ने इसकी जांच के लिए 2 सदस्यीय कमेटी का गठन कर जांच की रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया है। 

टीकमगढ़ में स्वच्छता प्रबंधन भी लचर है, आए दिन सफाई कर्मियों की नाराजगी की खबर आती है, और शहर की गलियों में कचरे के ढेर लगे मिलते हैं। जनवरी में सफाई कर्मियों ने 2-2 महीने से तनख्वाह न मिलने से नाराज होकर टीकमगढ़-झांसी हाईवे पर चक्का जाम कर दिया था। उन्हें ठण्ड में काम करने में सहूलियत के उद्देश्य से गर्म कपड़े बांटे गए थे, कर्मचारियों ने बताया की वे स्वेटर खराब क्वालिटी के थे, और विरोध जताते हुए उन्होंने उसे भी फेंक दिया था। टीकमगढ़ में सफाई की स्थिति में कोई सुधार देखने को नहीं मिला है, 2 हफ्ते पहले की ही खबर में चौंकाने वाली स्थिति सामने आई है, जहां कचरा उठाने वाली मोटर गाडी को रस्सी बांध कर हाथ से खींचा जा रहा है।                  

टीकमगढ़ में भी बुंदेलखंड के अन्य क्षेत्रों की तरह टूरिज़्म पोटेंशिअल है, और टीकमगढ़ की समस्याएं भी बुंदेलखंड की बाकी इलाकों की तरह ही हैं। टीकमगढ़ में साफ पानी, साफ शहर, और पर्यावरणीय नियमों की अनदेखी एक बड़ी समस्या है। टीकमगढ़ में मतदान दूसरे चरण में यानी 26 अप्रैल को होने हैं। देखने का विषय है की टीकमगढ़ की ये समस्याएं राजनीतिक चर्चाओं में जगह बना पाती हैं या नहीं।  

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  • Journalist, focused on environmental reporting, exploring the intersections of wildlife, ecology, and social justice. Passionate about highlighting the environmental impacts on marginalized communities, including women, tribal groups, the economically vulnerable, and LGBTQ+ individuals.

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