बीते दिनों इंदौर में सीएम राइज स्कूल, और स्पोर्ट्स काम्प्लेक्स के निर्माण के लिए मल्हार आश्रम के कई पेड़ों को प्रशाशन द्वारा काट डाला गया है। इनमें से कई 40 से 80 साल पुराने पेंड़ भी थे, और कटे हुए पेड़ों की संख्या 100 के तकरीबन की बताई जा रही है।
चावल की खेती के लिए काफी चुनौतीपूर्ण और लंबी प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है। धान की खेती के लिए भरे हुए पानी में जाना पड़ता है, जिससे कई प्रकार के कीड़े और मच्छर पनपते हैं, जो किसने के स्वास्थ और जीवनचर्या को प्रभावित करते हैं।
बीसलपुर में ग्राम पंचायत ने सरकारी योजनाओं के सही क्रियान्वयन और स्थानीय सहयोग की मदद से जल सुरक्षा को प्राप्त किया है। इसके साथ ही किसानों की उपज में भी महत्वपूर्ण इजाफा दर्ज हुआ है।
मध्यप्रदेश का वन विभाग जानवरों के लिए सुरक्षात्मक कदम उठा रहा है। बीते दिनों मध्यप्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में चीतों को एंटी डॉट लगाए जा रहे हैं। यह कदम बारिश के बाद होने वाले इंफेक्शन से चीतों को बचाने के लिए उठाया जा रहा है।
वनाग्नि की खबरों के बीच अल्मोड़ा जिले का शीतलाखेट गांव एक मॉडल बन कर उभरा है, जहां समूचे ग्राम समुदाय ने मिलकर अपने वनों को बचाया है। शीतलखेट की सरकारी सेवा में फार्मसिस्ट गजेंद्र पाठक जी इस क्षेत्र में गांव की महिलाओं के साथ लंबे समय से कार्य कर रहे हैं।
पानी न मिलने पर कई बार जानवर पानी की खोज में गांव तक चले आते है। इन घटनाओं से एनिमल-ह्यूमन कंफ्लिक्ट का खतरा बढ़ जाता है। इन्ही बातों को ध्यान में रखते हुए एक चायवाले, कानजी मेवाड़ा ने स्थानीय लोगों के सहयोग से जवाई वन क्षेत्र में बड़ा काम किया है।
बीसलपुर गांव में 'जीव दया सेवा समिति' नाम की एक संस्था भीषण गर्मी में भी इन जानवरों आसरे से लेकर इलाज तक का ध्यान रखती है। वे जानवरों के लिए ऐसी व्यवस्था तैयार करते हैं जिससे उन्हें छाया, दाना और पानी तीनों सहजता से उपलब्ध हो सके।
इस वर्ष देश में हीटवेव के कारण जानवर भी बुरी तरह प्रभावित हुए। जबकि इंसानों के पास छाया और ठंडा पानी उपलब्ध था, सड़कों पर रहने वाले जानवर इन सुविधाओं से वंचित थे। AWH ने शहर में कई जगहों पर पानी के बर्तन लगवाए और सैकड़ों जानवरों की जान बचाई।
जबलपुर नगर निगम, जबलपुर शहर के अलग-अलग हिस्से में 12 लाख पेड़ों का वृक्षारोपण करने जा रहा है। नगर निगम के अनुसार इस पूरी परियोजना में 8 करोड़ से अधिक का खर्च आने वाला है।
भारत में अफ्रीका से 20 चीते लाए गए थे, इनमें से 10 की मृत्यु हो चुकी थी। लेकिन अब कि जब भारत में इस परियोजना का दूसरा चरण शुरू होने जा रहा है, इसकी फिजिबिलिटी सवालों के घेरे में है।