भोपाल गैस त्रासदी के लिए ज़िम्मेदार यूनियन कार्बाइड के बचे हुए कचरे को जलाने पर मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की डिविजनल बेंच ने सोमवार 06 जनवरी को सुनवाई की। इस दौरान चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत और जस्टिस विवेक जैन की बेंच ने दोनों पक्षों की दलीलों को सुना। मगर दो सदस्यीय बेंच ने मामले में कोई भी नया फैसला नहीं दिया है। इस मामले की अगली सुनवाई 18 फरवरी को होगी।
दरअसल कोर्ट यूनियन कार्बाइड के बचे हुए कचरे के निपटान के लिए दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही है। मामले में 3 दिसंबर 2024 को सुनवाई करते हुए कोर्ट ने राज्य सरकार को फटकार लगाते हुए कचरे के जल्द निपटारण का आदेश दिया था। इस आदेश पर कर्रवाई करते हुए प्रदेश सरकार ने भोपाल की यूनियन कार्बाइड की फैक्ट्री से यह कचरा निकाल कर धार जिले के पीथमपुर की एक फैक्ट्री में भेज दिया था।
लगभग 358 टन कचरे को भारी सुरक्षा के बीच 2 जनवरी की सुबह भोपाल से 240 किमी दूर स्थित फैक्ट्री में पहुंचाया गया। मगर यहां स्थानीय लोगों द्वारा इसे जलाने को लेकर लगातार विरोध किया जा रहा था। 3 जनवरी को पीथमपुर में इसका विरोध करते हुए 2 युवकों ने खुद को आग लगा ली थी। इसके बाद यहां माहौल तनाव पूर्ण हो गया था।
इस पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए राज्य के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा था कि सरकार मामले की स्थिति से कोर्ट को अवगत करवाएगी और फिर ही इसके निपटारण को लेकर कोई फैसला लिया जाएगा। अब सोमवार को इस मामले में सुनवाई करते हुए प्रदेश सरकार ने कोर्ट से स्थिति को संभालने और स्थानीय सहमती बनाने के लिए 6 हफ्ते का समय मांगा। कोर्ट में सरकार ने कहा कि उन्हें कंटेनर से कचरा बाहर निकालने की अनुमति दी जाए।
हालांकि कोर्ट ने कहा कि इसके लिए सरकार को कभी नहीं रोका गया है। कोर्ट ने मीडिया को इस बारे में हिदायत देते हुए गलत जानकारी न फैलाने के लिए कहा है। कोर्ट में इंदौर के डॉक्टर और स्थानीय लोगों ने भी आवेदन दाखिल किए हैं। लोगों का कहना है कि कचरे को पीथमपुर में जलाने के पर्यावरणीय दुष्प्रभाव होंगे जिससे लोगों को गंभीर बीमारियां हो सकती हैं।
साथ ही कोर्ट में डाऊ केमिकल और यूनियन कार्बाइड से जवाब मांगने के लिए भी कहा गया है। फिलहाल स्थानीय स्तर प्रशासन लोगों को कचरे के निष्पादन के बारे में जागरूक करने के लिए जन संपर्क कर रहा है। मगर स्थानीय लोगों का कहना है कि प्रशासन अपनी बात कह तो रहा है मगर ग्रामीणों का पक्ष नहीं सुन रहा है।
2-3 दिसंबर 1984 की रात को, भोपाल में यूनियन कार्बाइड की कीटनाशक फैक्ट्री से मिथाइल आइसोसाइनेट (MIC) गैस का रिसाव हुआ था, जिसमें कम से कम 5,479 लोग मारे गए थे और हजारों लोग गंभीर चोटों और दीर्घकालिक स्वास्थ्य समस्याओं से ग्रस्त हो गए थे।
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