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अंडमान निकोबार में कटेंगे लाखों पेड़, भरपाई होगी मध्य प्रदेश में

अंडमान निकोबार में कटेंगे लाखों पेड़, भरपाई होगी मध्य प्रदेश में
अंडमान निकोबार में कटेंगे लाखों पेड़, भरपाई होगी मध्य प्रदेश में

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अंडमान निकोबार द्वीप समूह में भारत सरकार एक बड़ी विकास परियोजना चलाने जा रही है। इस परियोजना के अंतर्गत 4 बड़े प्रोजेक्ट हैं, जिनके एवज में 8 लाख के लगभग पेड़ काटे जाने हैं। इन कटे हुए पेड़ों की क्षतिपूर्ति के लिए मध्यप्रदेश में वृक्षारोपण किये जाने हैं। जहां एक ओर सरकार इस परियोजना को एक महत्वपूर्ण सामरिक परियोजना मान रही है, वहीं दूसरी ओर इसके पर्यवरणीय दुष्परिणाम के भी खतरे हैं। इसके अलावा क्षतिपूर्ति के लिए हुए वृक्षारोपणों की प्रगति भी संशयों के घेरे में रही है। आइये समझते हैं क्या है ये पूरा मामला। 

72 हजार करोड़ की लागत से तैयार हो रही है परियोजना 

भारत में द्वीपों के विकास की परिषद केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में गठित की गई है। इस परिषद ने अंडमान निकोबार द्वीप समूह के ग्रेट निकोबार में 72 हजार करोड़ की लागत से एक विकास परियोजना शुरू करने की बात की है। इसमें मुख्यतः 4 प्रकार के निर्माण किये जाएंगे। इस परियोजना के तहत ग्रेट निकोबार में एक 14.2 मिलियन टन की क्षमता का एक कार्गो पोर्ट, एक ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट, एक टाउनशिप और एक गैस और सोलर पावर प्लांट का निर्माण किया जाएगा। 

8 लाख से अधिक पेड़ चढ़ेंगे विकास की भेंट 

ग्रेट निकोबार में 2 राष्ट्रीय उद्यान और एक बायोस्फियर रिजर्व आते हैं। द्वीप के 910 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में से 161 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को परियोजना के लिए डायवर्ट किया जाएगा, जिसमें 130 वर्ग किलोमीटर का प्राथमिक वन क्षेत्र भी शामिल है। 

नीति आयोग ने ग्रेट निकोबार के ‘होलिस्टिक डेवलपमेंट’ के लिए लाइ जा रही इस योजना की एक प्री फिजिबिलिटी रिपोर्ट तैयार की थी। इस परियोजना के लिए पर्यावरणीय क्लियरेंस मिल चुका है। जिसके तहत 130.75 वर्ग किमी वनों को डायवर्ट किया जाएगा। इसके तहत डायवर्जन के लिए प्रस्तावित क्षेत्र का 50% से अधिक यानी 65.99 वर्ग किमी क्षेत्र हरित विकास के लिए आरक्षित है। इस क्षेत्र में किसी भी पेड़ की कटाई की परिकल्पना नहीं की गई है। यह उम्मीद की गई है कि विकास क्षेत्र का लगभग 15 फीसदी हिस्सा हरा और खुला स्थान बना रहेगा। हालांकि इस परियोजना में प्रभावित होने वाले पेड़ों की संख्या 9.64 लाख तक होने की संभावना है।

कैम्पा फंड के तहत होगा मध्यप्रदेश में क्षतिपूरक वनीकरण 

ग्रेट निकोबार में हो रही वनों की कटाई की भरपाई के लिए मध्यप्रदेश में वृक्षारोपण किया जाएगा। इसकी वजह है कि अंडमान का 75 फीसदी से अधिक हिस्सा वनों से ढंका हुआ है, वहां नए सिरे से वनीकरण की गुंजाइश नहीं है। इस वृक्षारोपण के लिए मध्यप्रदेश के तीन जिले कटनी, देवास और रायसेन को चुना गया हैं। इस वृक्षारोपण के लिए द्वीप प्रशासन की ओर से 20 करोड़ रुपये की धनराशि, और 10 प्रतिशत एनवीपी (नेट प्रेजेंट वैल्यू) की राशि मध्यप्रदेश के वन विभाग को दी जाएगी। 

मध्यप्रदेश के वन विभाग को यह धनराशि कैम्पा फंड (Compensatory Afforestation Fund Management and Planning Authority) के तहत दी जाएगी। कैम्पा फण्ड का उद्देश्य गैर-वन उपयोगों के लिए हस्तांतरित वन भूमि की क्षतिपूर्ति के एक तरीके के रूप में वनीकरण और पुनर्जनन गतिविधियों को बढ़ावा देना है। 

क्यों वैकल्पिक वृक्षारोपण है सवालों के घेरे में 

नवंबर 2017 में, सीएफआर-एलए नाम की एक संस्था के एक अध्ययन ने 10 राज्यों में 2,479 प्रतिपूरक वनीकरण वृक्षारोपण का विश्लेषण किया था। इस विश्लेषण में पाया गया कि 70 प्रतिशत से अधिक वनीकरण में वन संरक्षण अधिनियम के तहत जारी दिशानिर्देशों का स्पष्ट उल्लंघन हुआ है। ये वृक्षारोपण गैर-वन भूमि के बजाय वन भूमि पर स्थापित किए गए थे, जब कि वन संरक्षण अधिनियम के अनुसार ये वैकल्पिक वनीकरण गैर-वन भूमि में ही किया जाना चाहिए।

यह वन (संरक्षण) अधिनियम के तहत जारी दिशानिर्देशों के पैरा 3(2)(i) का उल्लंघन है, जिसमें कहा गया है कि प्रतिपूरक वनीकरण उसी जिले में गैर-वन भूमि पर किया जाना चाहिए जहां वनों का दोहन हुआ हैं। अंडमान निकोबार के विषय में भी यह स्पष्ट है कि, वन काटे अंडमान में जा रहे हैं और क्षतिपूरक वनीकरण मध्यप्रदेश में किया जा रहा है। 

हालांकि कि इस मामले पर राजयसभा में सरकार की ओर से स्पष्टीकरण दिया गया है कि इस प्रक्रिया में ग्रेट निकोबार के लेदरबैक कछुए, और प्रवालों को कोई क्षति नहीं पहुंचाई जाएगी। वहीं सरकार इसे सामरिक और आर्थिक दृष्टिकोण से एक महत्वपूर्ण परियोजना बता रही है। हालांकि इस परियोजना के चलते बड़े पैमाने पर अंडमान की वन संपदा, जैव विविधता, और पारिस्थितकी का ह्रास स्पष्ट दिखाई दे रहा है।

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  • Journalist, focused on environmental reporting, exploring the intersections of wildlife, ecology, and social justice. Passionate about highlighting the environmental impacts on marginalized communities, including women, tribal groups, the economically vulnerable, and LGBTQ+ individuals.

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