इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर (IUCN) ने मैंग्रोव पारिस्थितिकी तंत्र के अपने पहले वैश्विक मूल्यांकन में तमिलनाडु (Tamilnadu), श्रीलंका (Sri Lanka) और मालदीव (Maldives) तक फैले तटीय क्षेत्रों में मैंग्रोव (Mangrove) को 'क्रिटिकली इंडेंजर्ड' की कैटेगरी में रखा है। इसके बाद मैंग्रोव की रक्षा के तमिलनाडु वन विभाग ने 20 गांवों की एक समिति का गठन किया है।
22 मई को जारी हुई आईयूसीएन की रिपोर्ट में, दुनिया भर में उष्णकटिबंधीय, उपोष्णकटिबंधीय और गर्म समशीतोष्ण तटों तक फैले 36 भौगोलिक क्षेत्रों का आकलन किया गया है। इनमें से केवल दक्षिण भारत, श्रीलंका और मालदीव और उत्तर-पश्चिमी अटलांटिक क्षेत्र में एक गर्म तापमान को क्रिटिकली इंडेंजर्ड का टैग दिया गया है।
दक्षिण भारतीय पारिस्थितिक क्षेत्र में, तिरुवरूर जिले के मुथुपेट, रामनाथपुरम और दक्षिणी केरल के एक छोटे हिस्से में मैंग्रोव को अध्ययन के लिए लिया गया था। मैंग्रोव पारिस्थितिकी तंत्र जैव विविधता संरक्षण, स्थानीय समुदायों को आवश्यक उत्पाद और बेहतर वातावरण मुहैय्या कृते हैं। इसके साथ ही मैंग्रोव जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को भी कम करते हैं।
आईयूसीएन के अनुसार, मैंग्रोव के लिए ख़तरा तेजी से विकसित हो रहा था। इस रिपोर्ट में कहा गया कि “अतीत में, हमने लकड़ी के दोहन, कृषि और झींगा पालन के कारण वनों की कटाई, और बांध निर्माण के कारण मीठे पानी और तलछट प्रवाह में बदलाव के कारण अप्रत्यक्ष प्रभावों को देखा। आज, जलवायु परिवर्तन के कारण मैंग्रोव को अतिरिक्त चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, जिसमें समुद्र के स्तर में वृद्धि और चक्रवाती तूफानों की आवृत्ति और गंभीरता में वृद्धि शामिल है।”
भारतीय वन राज्य रिपोर्ट के अनुसार, तमिलनाडु में मैंग्रोव क्षेत्र 2001 में 23 वर्ग किमी से दोगुना होकर 2021 में 45 वर्ग किमी हो गया है। तमिलनाडु का मैंग्रोव क्षरण पड़ोसी द्वीपों की तुलना में कम गंभीर है, हालांकि गाजा चक्रवात से मुथुपेट को भारी क्षति हुई थी। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक तमिलनाडु के कई जिलों में लगभग 25 वर्ग किमी में मैंग्रोव बहाली का काम पूरा हो चुका है। विश्व बैंक द्वारा वित्त पोषित तमिलनाडु कोस्टल रेस्टोरेशन मिशन के तहत अन्य 15 वर्ग किमी प्रस्तावित है।
तमिलनाडु में मैंग्रोव की हिफाजत के लिए सरकार साइंटिफिक तरीकों के अलावा, स्थानीय समुदायों की भूमिका की भी पहचान कर रही है। इसी सिलसिले में वन विभाग ने 20 गांवों के लोगों का एक पैनल बनाया है, जो मैंग्रोव का स्वामित्व लेकर इसकी रखवाली सुनिश्चित करेंगे।
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