Powered by

Advertisment
Home हिंदी

बढ़ता भूजल तापमान: जलवायु परिवर्तन का नया चेहरा

जर्मनी के कार्लज़्रुह इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के नेतृत्व में भूजल (Ground Water) के तापमान को लेकर एक शोध हुआ है। यह शोध बताता है कि, इस सदी के अंत तक भूजल के 2 से 3.5 डिग्री सेल्सियस तक गर्म होने की संभावना है।

By Ground report
New Update
ground water

Source: X(@Cetter15)

Listen to this article
0.75x 1x 1.5x
00:00 / 00:00

जर्मनी के कार्लज़्रुह इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के नेतृत्व में भूजल (Ground Water) के तापमान को लेकर एक शोध हुआ है। यह शोध बताता है कि, इस सदी के अंत तक भूजल के 2 से 3.5 डिग्री सेल्सियस तक गर्म होने की संभावना है। इससे जल की गुणवत्ता और सुरक्षा के साथ-साथ उन पारिस्थितिक तंत्रों को भी खतरा हो सकता है जो इस संसाधन पर निर्भर हैं। 

"World's first global groundwater temperature model" नाम के इस शोध में  मध्य रूस, उत्तरी चीन, उत्तरी अमेरिका के हिस्सों और दक्षिण अमेरिका के अमेज़न वर्षावन में सबसे तेज़ गर्मी की दर का अनुमान लगाया गया है।

वैश्विक भूजल तापमान मॉडल के निष्कर्ष और संभावित खतरे 

इस शोध के शोधकर्ताओं की टीम ने कहा कि जलवायु परिवर्तन की चर्चा में आमतौर पर मौसम की घटनाओं और जल की उपलब्धता पर ध्यान केंद्रित किया जाता है। लेकिन हमें यह भी सोचना चाहिए कि यह भूजल को कैसे प्रभावित करता है, जो पृथ्वी पर जीवन के लिए आवश्यक है। भूजल का गर्म होना उन पारिस्थितिक तंत्रों को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकता है जो उस पर निर्भर हैं, उन्होंने कहा।

इस रिसर्च मॉडल में यह अनुमान भी लगाया कि वर्ष 2100 तक, वैश्विक स्तर पर 60-600 मिलियन लोग उन क्षेत्रों में रह सकते हैं जहाँ भूजल का तापमान किसी भी देश द्वारा निर्धारित पीने के पानी के तापमान की उच्चतम सीमा से अधिक हो जाएगा। 

रिसर्च टीम के एक सदस्य राउ ने जोखिम की और संकेत करते हुए कहा कि, गर्म भूजल बीमारी पैदा करने वाले सूक्ष्मजीवों की बढ़ोतरी के खतरों को भी बढ़ाता है। यह पीने के पानी की गुणवत्ता और संभावित रूप से लोगों के जीवन को भी प्रभावित करता है। "यह विशेष रूप से उन क्षेत्रों में चिंता का विषय है जहां साफ पीने के पानी की पहुंच पहले से ही सीमित है, और उन क्षेत्रों में जहां भूजल बिना सफाई के उपयोग में लिया जाता है," राउ ने आगे कहा।

ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन और भूजल तापन 

शोधकर्ताओं ने पानी में गर्मी के प्रसार को आधार बनाकर वर्तमान भूजल तापमान का मॉडल तैयार किया और 2000-2100 के बीच दुनिया भर में परिवर्तनों का अनुमान लगाया।

"हम दिखाते हैं कि वाटर टेबल की गहराई पर (परमफ्रॉस्ट क्षेत्रों को छोड़कर) भूजल का वर्ष 2000 और 2100 के बीच औसतन 2.1 डिग्री सेल्सियस तक गर्म होने का रूढ़िवादी अनुमान है, जो एक मध्यम उत्सर्जन के परिदृश्य के तहत है," अध्ययन के लेखकों ने नेचर जियोसाइंस पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन में लिखा।

इस परिदृश्य के तहत, उत्सर्जन के रुझान ऐतिहासिक पैटर्न से उल्लेखनीय रूप से नहीं बदलते हैं। हालांकि, मॉडल ने दिखाया कि उच्च-उत्सर्जन परिदृश्य, या जीवाश्म ईंधन-चालित विकास को ध्यान में रखने पर, भूजल तापमान 3.5 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ सकता है।

शोधकर्ताओं ने कहा कि भूजल का गर्म होना चिंता का कारण हो सकता है, हालांकि यह इस पर निर्भर करता है कि ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में कटौती करके जलवायु परिवर्तन के मुद्दे को कम किया जा सकता है या नहीं। उन्होंने कहा कि गर्म भूजल जल की गुणवत्ता को भी प्रभावित कर सकता है, जिससे उसकी केमेस्ट्री और माइक्रोबायोलॉजी भी  प्रभावित होती है।

भूजल तापन का स्थानीय पारिस्थितिकी तंत्र पर प्रभाव

ऑस्ट्रेलिया के चार्ल्स डार्विन विश्वविद्यालय के सह-लेखक डिलन इरविन ने कहा, "यदि तापमान बढ़ता है, तो हम अपने स्थानीय जलजीवों पर बड़ा प्रभाव देख सकते हैं, जिसमें उनके प्रजनन प्रक्रियाएं शामिल हैं, जो उन उद्योगों और समुदायों को प्रभावित करेंगी जो इन पारिस्थितिक तंत्रों पर निर्भर हैं।"

यह भी पढ़ें

पर्यावरण से जुड़ी खबरों के लिए आप ग्राउंड रिपोर्ट को फेसबुकट्विटरइंस्टाग्रामयूट्यूब और वॉट्सएप पर फॉलो कर सकते हैं। अगर आप हमारा साप्ताहिक न्यूज़लेटर अपने ईमेल पर पाना चाहते हैं तो यहां क्लिक करें।