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Source X(@BhajanlalBjp)
राजस्थान सरकार (Rajasthan Government) ने प्रदेश की नौकरशाही को ध्यान में रखते हुए एक बड़ा फैसला लिया है। राजस्थान सरकार के मुख्य सचिव सुधांश पंत ने सभी विभागों से ऐसे अधिकारीयों और कर्मचारियों की सूची मांगी है जिन पर भ्रष्टाचार के आरोप हैं। ऐसे अधिकारीयों को राजस्थान सरकार वीआरएस (VRS) की जगह सीआरएस (CRS), यानी अनिवार्य रिटायरमेंट दे सकती है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार राजस्थान सरकार इस पर 4 जून के बाद बड़ा फैसला ले सकती है।
मुख्य सचिव का आदेश ऐसे सरकारी अधिकारी/कर्मचारी के लिए है, जिन्होंने राजस्थान सिविल सेवक (पेंशन) नियम, 1996 के नियम 53(1) के तहत 15 वर्ष की सेवा या 50 वर्ष की आयु (जो भी पहले हो) पूरी कर ली है। संदिग्ध सत्यनिष्ठा, अक्षमता, या असंतोषजनक कार्य प्रदर्शन के कारण अपनी आवश्यक प्रभावशीलता खो चुके सरकारी सेवकों की जांच की जाएगी। इन सरकारी सेवकों को तीन महीने के नोटिस या तीन महीने के अग्रिम वेतन और भत्ते के साथ राज्य सेवा से तुरंत हटाया या प्रतिस्थापित किया जा सकता है।
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इसके साथ ही एक स्क्रीनिंग कमेटी का गठन किया जाएगा। इस कमेटी में 2 अधिकारी विभाग के कर्मियों के काम करने की शैली, गुणवत्ता, और सत्यनिष्ठा आदि का अवलोकन करने के बाद अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेंगे। इस रिपोर्ट के सम्बंधित विभाग के अनुमोदन के बाद इस पर पर आगे फैसला लिया जाएगा। यह पूरी प्रक्रिया 31 अक्टूबर तक पूरी की जाएगी।
राजस्थान के कर्मचारी संघों ने राज्य सरकार के इस फैसले का विरोध किया है। कर्मचारी संघों ने सरकार की इस कार्रवाई पर राज्यव्यापी आंदोलन की बात कही है।
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