इंदौर का सिरपुर तालाब एक अंतर्राष्ट्रीय महत्व का वेटलैंड और रामसर साइट है। सिरपुर तालाब के इर्द-गिर्द लम्बे समय से नियमों की अनदेखी करते हुए स्थाई प्रकृति का निर्माण कार्य किया जा रहा था। इस वजह से सिरपुर तालाब की पर्यावरणीय स्थिति और जैव विविधता प्रभावित हो रही थी। इस विषय को लेकर पर्यावरण कार्यकर्ता राशिद नूर खान ने एनजीटी (राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण) में याचिका लगाई थी। ग्राउंड रिपोर्ट ने इस मसले पर ग्राउंड रिपोर्ट की थी। हाल ही में इस मामले में एनजीटी का एक नया आदेश आया है।
दरअसल नियमों के अनुसार किसी भी आद्रभूमि (wetland) के एफटीएल (फुल टैंक लेवल) के दायरे में कोई भी स्थाई प्रकृति का निर्माण नहीं किया जा सकता। लेकिन इंदौर के सिरपुर तालाब में नियमों को ताक में रखते हुए तालाब की परिधि में एसटीपी का निर्माण कार्य किया जा रहा था।
इसके खिलाफ एनजीटी में एक याचिका दाखिल की गई। इसके बाद प्राधिकरण द्वारा निर्माण पर रोक लगा दी गई। मामले पर सुनवाई करते हुए एनजीटी ने एक आदेश में तालाब पर हुए स्थाई प्रकृति के निर्माण कार्य को गिराने के लिए कहा।
अब इस मामले में एनजीटी का नया आदेश आया है। एनजीटी ने एमपीपीसीबी (मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड) को आदेश देते हुए कहा है कि वह स्थानीय नगर निगम के जिम्मेदार अफसरों पर कार्रवाई करे।
एनजीटी के आदेश के बाद प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने इंदौर नगर निगम के तीन अफसरों- निगम आयुक्त शिवम वर्मा, तत्कालीन इंजीनियर सुनील गुप्ता, एवं वर्तमान प्रभारी आर.एस. देवड़ा के खिलाफ मामला दर्ज किया है। एमपीपीसीबी ने 17 दिसंबर को इन तीनों अधिकारियों पर जल (प्रदूषण एवं नियंत्रण) अधिनियम, 1974 की धारा 24, 25, 44, एवं 47 के तहत मामला दर्ज किया है। हालांकि इस पूरे प्रकरण की सुनवाई अभी भी एनजीटी में चल रही है, और इस पर अंतिम फैसला आना बाकी है।
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