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Loksabha Election: जानिए खजुराहो लोकसभा सीट के बारे में

Loksabha Election: जानिए खजुराहो लोकसभा सीट के बारे में
Loksabha Election: जानिए खजुराहो लोकसभा सीट के बारे में

Loksabha Election: खजुराहो (Khajuraho) लोकसभा मध्यप्रदेश की बहुत ही खास लोकसभा सीट रही है। यहां से विद्यावती चतुर्वेदी, सत्यव्रत चतुर्वेदी, और उमा भारती जैसे दिग्गजों ने हार और जीत दोनों का स्वाद चखा है। छत्रसाल और चंदेल राजाओं की धरती कहा जाने वाला यह क्षेत्र ऐतिहासिक धरोहरों से भरा हुआ है। खजुराहो लोकसभा उत्तर प्रदेश के साथ सीमा भी साझा करती है। आइये जानते है कैसा है खजुराहो का सियासी माहौल, और क्या हैं यहां की जनता के मुद्दे। 

Khajuraho
Source: unesco

क्या कहती है खजुराहो की डेमोग्राफी 

खजुराहो में छतरपुर(चांदला, राजनगर), पन्ना (पन्ना, गुन्नौर, पवई), और कटनी (मुंड़वारा, बहोरिबंध, विजयराघवगढ़) की कुल मुलकर 8 विधानसभाएं हैं। यहां सभी विधानसभाओं में भाजपा ही काबिज है।   

खजुराहो एक ग्रामीण लोकसभा है, यहां के 81 फीसदी मतदाता ग्रामीण हैं। खजुराहो में अनुसूचित जनजाति के 15 और अनुसूचित जाति के 18.5 फीसदी मतदाता हैं, वहीं खजुराहो में मुस्लिम मतदाता 3 प्रतिशत हैं।   

कौन है आमने सामने 

भाजपा ने खजुराहो से वी.डी. शर्मा को रिपीट किया है। पिछले चुनाव में वी.डी. शर्मा ने रिकॉर्ड मतों से जीत दर्ज की थी। वी.डी. शर्मा ने छात्र राजनीति से शुरुआत की थी। वी.डी. शर्मा ऐबीव्हीपी के राष्ट्रीय संगठन के महत्वपूर्ण पदों पर कार्य कर चुके हैं। वी.डी. शर्मा भाजपा में  2013 में आए। पहले उन्हें प्रदेश महामंत्री बनाया गया। 2020 में वी.डी. शर्मा को मध्यप्रदेश भाजपा की कमान सौंपी गई। वी.डी. शर्मा के अध्यक्ष बनने के बाद प्रदेश में कई बड़े परिवर्तन आए, जैसे ज्योतिरादित्य सिंधिया कांग्रेस छोड़ भाजपा आए, और मध्यप्रदेश में शिवराज सिंह की सरकार बनी। अब वी.डी. शर्मा एक बार फिर खजुराहो से अपनी दावेदारी पेश कर रहे हैं। 

वी.डी. शर्मा के जवाब में कांग्रेस ने यह सीट सपा के लिए छोड़ दी थी। सपा ने यहां से मीरा यादव को टिकट दिया था। लेकिन मीरा यादव का नामांकन रद्द होने के कारण, सपा और कांग्रेस ने सहमति से कांग्रेस की ओर से आर.बी. प्रजापति को टिकट दिया है। आर.बी. पूर्व आईएएस अधिकारी रह चुके हैं, और इस चुनाव में वी.डी. शर्मा का मुकाबला करेंगे।      

क्या हैं खजुराहो की जनता के मुद्दे 

खजुराहो लोकसभा के कई क्षेत्र देश के टूरिस्ट स्पॉट हैं। यहां खजुराहो के ऐतिहासिक मंदिर हैं, हर साल देश दुनिया में विख्यात खजुराहो नृत्य महोत्सव होता है। पन्ना में पांडव की गुफाएं और पन्ना नेशनल पार्क है। पन्ना में हीरे की खदानें हैं, और कटनी में सीमेंट की फैक्ट्रियां हैं। इन सब के बाद भी खजुराहो लोकसभा में बुनियादी सुविधाएं नदारद हैं। आइये एक-एक कर के यहां की समस्याओं को समझते हैं। 

खजुराहो लोकसभा में कनेक्टिविटी सबसे बड़ी समस्या है। खजुराहो एक टूरिस्ट स्पॉट है, यहां एयरपोर्ट और रेलवे इत्यादि की सुविधाएं उपलब्ध है। खजुराहो को अब वन्दे भारत की भी सौगात दे दी गई है। मगर इस लोकसभा में खजुराहो मात्र एक अपवाद है। पन्ना में अब तक कोई रेलवे स्टेशन नहीं है। छतरपुर में रेलवे स्टेशन है मगर यहां से सीमित गाड़ियां ही हैं। इस कारण यह के लोगों को बस का महंगा और लंबा सफर चुनना पड़ता है, और क्षेत्र की खराब सड़कें यहां का सफर और भी दुश्वार कर देती हैं। 

इतने बड़े क्षेत्र के परिवहन का भार अकेले नेशनल हाईवे 39 पर है। हालांकि जनवरी 2023 में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने बमीठा से सतना तक 105 किलोमीटर लम्बे, 4 लेन ग्रीनफील्ड हाईवे के निर्माण की बात की थी, लेकिन अभी यह परियोजना आकर नहीं ले पाई है। इसके अलावा अभी कुछ दिन पहले ही इलाके के सांसद वी.डी. शर्मा ने नितिन गडकरी से पन्ना से मंडला एलिवेटेड हाईवे की मांग की है, लेकिन इस पर अभी तक आधिकारिक जवाब नहीं आया है। अगर हम हाइवे की बात को किनारे कर दें तो भी पन्ना के अंदर की सड़कों की हालत भी खस्ता ही है। 

अगर पन्ना और छतरपुर की बात करें तो यहां रोजगार के पर्याप्त अवसर उपलब्ध नहीं है। पन्ना में बीते दिनों जे.के. सीमेंट का प्लांट तो लगा, इन्होने क्षेत्रीय लोगों को रोजगार देने से किनारा कर लिया। जिन लोगों ने प्लांट के लिए जमीन दी थी उन्हें रोजगार देने का वादा किया गया था, लेकिन वादे पर अमल नहीं हुआ।  

JK Cement Panna
JK Cement Plant Panna

कटनी का बड़ा क्षेत्र इस लोकसभा का हिस्सा है, लेकिन अभी तक कटनी से कोई खजुराहो का सांसद नहीं बना है। वी.डी. शर्मा खुद मुरैना के हैं। कटनी के लोगों की शिकायत है, बाहरी जिलों के सांसद उनकी समस्याओं पर ध्यान नहीं देते हैं। कटनी में उद्योग तो हैं, लेकिन यहां उच्च शिक्षा की सुविधाएँ नहीं हैं। कटनी में मेडिकल, इंजीनियरिंग, और लॉ कॉलेज नहीं है। खैर उच्च शिक्षा की व्यवस्थाएं इस पूरे लोकसभा में ही नगण्य हैं। 

खजुराहो खास बुंदेलखंड का इलाका है जो अपने सूखे की समस्या के लिए कुख्यात है। इसके समाधान के लिए केन-बेतवा रिवर लिंक का उपाय निकला गया, लेकिन वो अभी बहुत दूर की कौड़ी है, इसके अलावा उसके नकारात्मक पर्यावरणीय प्रभाव का भी खतरा है। केन बेतवा के लिए भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया भी अपारदर्शी और अस्पष्ट है। इसे लेकर पन्ना और छतरपुर के ग्रामीणों ने प्रदर्श भी किया था, और विधानसभा चुनाव से पहले इसे एक मुद्दा भी बनाया गया था। अब तक इस समस्या का कोई हल नहीं निकल पाया है।   

इस लोकसभा में पर्यावरण के नियमों को ताक पर रखने की भी खबरें आती रही हैं। हीरे की खदानों के लिए, बक्सवाहा के निवासियों के कड़े विरोध के बाद भी 2.5 लाख से अधिक पेंड़ काट डाले गए थे। पन्ना में शिकायतें आईं थी की शहर का दूषित जल किलकिला नदी पर छोड़ दिया जाता था, जिससे यहां के स्थानीय निवासियों को समस्याएं भी आईं थी। इस पर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने संज्ञान लेते हुए जांच के आदेश भी दिए थे। 

कटनी में खनन और उद्योगों के जरिये यहां के जल स्त्रोत प्रदूषण झेलते ही रहत हैं। कटनी की नदियों पर दूषित जल छोड़ने पर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने, कटनी की नगर परिषदों पर 96 लाख का जुर्माना भी लगाया था, इसमें से 64 लाख का जुर्माना विजयराघवगढ़ की नगर परिषद पर लगाया गया था। वहीं 2023 में कटनी में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के नियमों को ताक में रखते हुए, पोकलेन मशीनों से नदियों के करीब अवैध खनन भी किया गया था। कटनी में ऐसी घटनाओं की लिस्ट लंबी है, लेकिन ये गतिविधियां बंद होने का नाम नहीं ले रहीं हैं। 

खजुराहो में चुनाव दूसरे चरण में, यानि 26 अप्रैल को होगा। इस लोकसभा में खजुराहों के मंदिर, कटनी के सीमेंट उद्योग, और पन्ना नेशनल पार्क के अलावा कुछ ही चीजें है जो संतोषजनक स्तर पर हैं। ये क्षेत्र बेहतर सुविधाओं के लिए अभी भी संघर्ष कर रहा है। अब खजुराहो की जनता क्या फैसला सुनाती है, ये जानने के लिए हमे 4 जून तक इन्तजार करना होगा।

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