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रीवा लोकसभा सीट पर रोज़ी-रोटी और खेती किसानी के मुद्दे हावी

रीवा लोकसभा सीट पर रोज़ी-रोटी और खेती किसानी के मुद्दे हावी
रीवा लोकसभा सीट पर रोज़ी-रोटी और खेती किसानी के मुद्दे हावी

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रीवा मध्यप्रदेश की बहुत खास सीट रही है। रीवा की सीट ऐतिहासिक है, यहां की जनता ने चुनावों में राजा, रानी और राजकुमार तक को सबक सिखाया है। रीवा की जनता ने लोकसभा के चुनावों में, लगभग हर पार्टी को मौका दिया है। इस लोकसभा से अब तक कांग्रेस 6 और भाजपा 4 बार जीत चुकी है। यहां से बीएसपी, जनता दल, जनता पार्टी, भाजपा और कांग्रेस सभी नेता चुना कर जाते रहे हैं, लेकिन 2014 से यहां भाजपा का ही झंडा लहरा रहा है। आइये समझते हैं रीवा का सियासी गणित और समझते हैं रीवा की जनता के मुद्दे। 

क्या हैं रीवा के जातीय समीकरण 

रीवा में कुल 8 विधानसभा सीटें हैं, जिनमे से सात पर भाजपा और 1, सेमरिया विधानसभा पर कांग्रेस काबिज है। रीवा के 83 फीसदी मतदाता ग्रामीण हैं। रीवा में अनुसूचित जनजाति के 16 फीसदी और अनुसूचित जाति के 13 फीसद मतदाता हैं, वहीं रीवा में मुस्लिम मतों का हिस्सा 3 प्रतिशत के करीब है। 

कौन है आमने सामने 

रीवा से भाजपा ने जनार्दन मिश्रा को तीसरी बार टिकट दिया है। जनार्दन मिश्र भाजपा से 2014 से जीतते आ रहे हैं, इन्हे उपमुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ला का खास भी बताया जाता है। जनार्दन मिश्र भाजपा के जिला अध्यक्ष के पद पर काम कर चुके हैं। जनार्दन मिश्र अपने अजीब बयानों के लिए भी ख्यात हैं। एक बार उन्होंने एक सभा में कहा था की मोदी की दाढ़ी से बाल गिरता है और लोगों के घर बन जाते हैं। उन्होंने एक बयान में 15 लाख तक के भ्रष्टाचार को जायज भी ठहराया था।, ऐसे ही बयानों की लम्बी फेहरिस्त है। हालांकि रीवा की जनता जनार्दन मिश्र से खुश नहीं नजर आती है, लेकिन भाजपा ने फिर से जनार्दन मिश्र को मौका दिया है। 

कांग्रेस ने जनार्दन मिश्रा की चुनौती के रूप में नीलम अभय मिश्रा को चुनाव में उतारा है। दरअसल नीलम मिश्रा 2013 में, और उनके पति अभय मिश्रा 2008 में भाजपा से सेमरिया विधानसभा से विधायक रहे थे, लेकिन बाद में वे कांग्रेस में आ गए। 2023 में मिश्रा दंपति भाजपा में शामिल हुए थे लेकिन टिकट न मिलने पर कांग्रेस आ गए। कांग्रेस ने अभय मिश्रा को टिकट दिया, और वर्तमान में रीवा सिर्फ एक ही विधानसभा, सेमरिया हारा है, और वहां भाजपा के, के.पी. त्रिपाठी को हराने वाले कांग्रेस के अभय मिश्रा ही हैं। अब कांग्रेस ने उनकी पत्नी नीलम मिश्रा को बड़ी जिम्मेदारी के साथ मैदान पर उतारा है। 

क्या हैं रीवा की जनता के मुद्दे 

यूं तो महंगाई और बेरोजगारी राष्ट्रीय मुद्दे हैं, लेकिन रीवा में ये काफी प्रासंगिक हैं। रीवा में उद्योग के नाम पर सिर्फ एक सीमेंट फैक्ट्री है, जो कि लम्बे समय से घाटे में चलने के बाद पिछले साल बिक गई है। इसके अलावा रीवा में उद्योग का कोई दूसरा उदाहरण नजर नहीं आता है। रीवा के लोग मुंबई, पुणे, सूरत जैसे औद्योगिक क्षेत्रों में पलायन करने को मजबूर हैं। 

रीवा में एशिया का सबसे बड़ा सोलर प्लांट है, जिसका उद्घाटन खुद प्रधानमंत्री मोदी ने किया था। जब यह प्लांट खुला था तब कहा गया था की इससे क्षेत्र में रोजगार बढ़ेंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। रोजगार बढ़े नहीं, अलबत्ता पार्टनर कंपनियों ने क्लीनिंग रोबॉट्स से काम लिया है, जो कई मजदूरों का काम अकेले करता है।

Rewa Solar Power Plant
रीवा सोलर प्लांट 

जिले में सोलर प्लांट है, और प्रदेश की सरकारें दम भरतीं हैं कि, यहां 24 घंटे बिजली रहती है, लेकिन खेतों में सिंचाई के समय यहां का किसान बार बार पावर कट से परेशान होता है। यानि रीवा के सोलर प्लांट से दिल्ली मेट्रो तो सही चल रही है, लेकिन इससे रीवा के मजदूरों और किसानों को कुछ नहीं मिला है। 

रीवा की सबसे बड़ी समस्या जो की पिछले 15-20 वर्षों से रीवा को जकड़े हुए है, वो है नशीली दवा कोरेक्स की अवैध सप्लाई। आपको बता दें की ये दवा बैन हो चुकी है, फिर भी रीवा में हर महीने इसकी कम से कम दो खेप पुलिस पकड़ती है, लेकिन अभी तक वह इस नेक्सस को तोड़ नहीं पाई है। रीवा से राजेंद्र शुक्ल लंबे समय से कैबिनेट का हिस्सा रहे हैं और वर्तमान में प्रदेश के उप मुख्यमंत्री हैं, इसके बाद भी ये समस्या मुद्द्तों से चली आ रही है और बढ़ती ही जा रही है। इससे शहर में अपराध बढ़ रहे हैं, और युवाओं का जीवन बर्बाद हो रहा है। 

रीवा में आवारा पशुओं के आतंक ने यहां के किसानों को परेशान कर रखा है। ये आवारा पशु किसान की खड़ी फसल बर्बाद कर देते हैं, खेत रौंद डालते हैं, और दुर्भाग्य से इसके लिए कोई मुआवजा भी नहीं है। अलावा इसके जंगली पशु जैसे कि नील गाय और बंदर ने भी रीवा में आतंक मचा  रखा है। नील गाय झुण्ड में आकर खेत के खेत निपटातीं हैं, और बंदर गरीबों के कच्चे मकान को अस्त व्यस्त कर के उसके ऊपर अतिरिक्त खर्च बढ़ाते हैं। यहां भाजपा लंबे समय से सत्ता में है लेकिन लंबे समय से चली आ रही इन परेशानियों का निराकरण नहीं हो पाया है। Stray animals in Rewa

रीवा को कई ट्रेनों की सौगात मिली है, जैसे रीवा-भोपाल वन्दे भारत ट्रेन है और रीवा से मुंबई की ट्रेन है। इन सब के बाद भी रीवा से रेल्वे के विकल्प सीमित हैं, क्योंकि रीवा अभी तक सिंगल लाइन है। हालांकि सांसद जनार्दन मिश्र ने रीवा से मिर्जापुर लाइन बनाने की बात की है, उसका सर्वे भी किया गया लेकिन अब तक कोई ठोस नतीजे नहीं निकल कर आए हैं। इसके अलावा रीवा एयरपोर्ट का काम भी लगभग पूरा हो चुका है, लेकिन ये कब से ऑपरेट होगा इसे लेकर कोई स्पष्टता नहीं है। 

इन सब के अलावा रीवा में अवैध खनन और स्टोन क्रशिंग की गतिविधियां भी धड़ल्ले से चलती हैं, इससे शहर की हवा बिगड़ती है और लोगों का स्वास्थ्य। मध्य प्रदेश राज्य पर्यावरण प्रभाव आकलन प्राधिकरण (MPSEIAA) ने पाया कि रीवा में स्टोन क्रशिंग की 32 यूनिटें बिना किसी लइसेंस और क्लेरेंस के चल रहीं हैं। इस पर राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) ने अपने 29 फरवरी के आदेश में 5 सदस्यीय संयुक्त समिति को इसकी जांच करके रिपोर्ट देने को कहा है। 

रीवा में मतदान दूसरे चरण में, 26 अप्रैल को होने हैं। रीवा के किसानों और रोजी-रोटी के लिए बड़े शहरों में भटक रहे युवाओं की समस्याएं कितनी सुनी और गौर की जातीं हैं, ये देखने का विषय होगा। हालांकि रीवा जनार्दन मिश्र को मौका देती है या उलटफेर करती है, ये जानने के लिए हमें 4 जून का इन्तजार करना होगा।  

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  • Journalist, focused on environmental reporting, exploring the intersections of wildlife, ecology, and social justice. Passionate about highlighting the environmental impacts on marginalized communities, including women, tribal groups, the economically vulnerable, and LGBTQ+ individuals.

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