केरल के कोच्चि (Kochchi) में पेरियार (Periyar) नदी में हजारों मरी हुई मछलियां तैरती हुई पाई गईं। मंगलवार से यहां के निकट वरपुझा, कदमक्कुडी और चेरनल्लूर जैसी पंचायतों के मछली फार्मों में बड़ी संख्या में मरी हुई मछलियाँ पाई गईं। इस घटना के बाद बुधवार को यहां स्थानीय किसानों और निवासियों ने विरोध प्रदर्शन शरू कर दिया। स्थानीय लोगों का कहना है कि इस घटना के लिए आस-पास की फैक्ट्रियों से रासायनिक कचरे का अवैध निर्वहन जिम्मेदार था।
लाखों का हुआ नुकसान
स्थानीय मछली किसानों, विशेष रूप से केज फार्मिंग करने वाले लोगों ने इसे लेकर शिकायत की है। उन्होंने बताया कि बड़े पैमाने पर हुई मछलियों की मौत के कारण उनका कई लाख रुपये का नुकसान हो गया है। इसके चलते क्षेत्र में काफी विरोध प्रदर्शन भी हुआ है। इस व्यापक विरोध प्रदर्शन को देखते हुए जिला प्रशासन ने भी इस मामले पर कार्रवाई की।
जिला कलेक्टर एन. एस. के. उमेश ने राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को मछलियों की मौत के कारणों की तत्काल जांच करने का आदेश दिया है। साथ ही उन्होंने पूरे घटनाक्रम का अध्ययन करने के लिए विशेष समिति का गठन किया है। यह समिति एक सप्ताह के भीतर अपनी रिपोर्ट पेश करेगी।
पानी में ऑक्सीजन का स्तर अचानक नीचे चला गया
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों ने पहले ही घटना स्थल से पानी और मृत मछलियों के नमूने एकत्र कर लिए हैं। इसके साथ ही नमूनों को विस्तृत जांच के लिए केरल यूनिवर्सिटी ऑफ फिशरीज एंड ओशन स्टडीज (KUFOS) की लैब में भेज दिया है। बोर्ड के अधिकारियों की प्रारंभिक धारणा है कि, पानी में ऑक्सीजन के स्तर में अचानक गिरावट के कारण मछलियाँ सामूहिक रूप से मर गई होंगी।
चूंकि यह एक औद्योगिक क्षेत्र है, इसलिए जिला कलेक्टर ने प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के पर्यावरण इंजीनियर को यह रिपोर्ट देने का भी काम सौंपा है। इस रिपोर्ट में यह देखा जाएगा कि, क्या नदी में छोड़े गए रासायनिक मलबे के कारण बड़े पैमाने पर मछलियों की मौत हुई है।
मछलियों की बड़ी संख्या में मौत के बाद लोगों ने इसे लेकर कड़ा प्रदर्शन किया। एलूर में स्थानीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड कार्यालय पर बुधवार को बड़ा प्रदर्शन हुआ। इस प्रदर्शन में मछली किसान, स्थानीय लोग, पर्यावरण कार्यकर्ता और कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने हिस्सा लिया।
प्रदर्शनकारियों ने कार्यालय के सामने मरी हुई मछलियाँ रख दीं और बोर्ड के अधिकारियों के खिलाफ नारे लगाए। प्रदर्शनकारियों ने यह भी आरोप लगाया कि वे उन कारखानों के खिलाफ कड़े कदम नहीं उठा रहे हैं जो कथित तौर पर पेरियार नदी में रासायनिक अपशिष्ट बहाते हैं।
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