मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार भारत सरकार 4 बाघों (Tiger) को कंबोडिया (Cambodia) भेज सकता है। भारत द्वारा यह प्रयास कंबोडिया में बिग कैट्स (Big Cats) के पुनर्वास के लिए किया जा रहा है। इस बाबत नवंबर 2022 में नई दिल्ली और नोम पेन्ह के बीच दुनिया का पहला ट्रांसनेशनल टाइगर रीइंट्रोडक्शन पैक्ट हो चुका है।
कंबोडिया, राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण के अधिकारियों और कंबोडिया में भारत की राजदूत देवयानी खोबरागड़े ने कुछ दिन पहले एक ऑनलाइन बैठक में भाग लिया था। उन्होंने नवंबर-दिसंबर तक चार बाघों को कंबोडिया भेजने के प्रस्ताव पर चर्चा की। हालांकि, इस पर आखिरी फैसला आना बांकी है।
कंबोडिया का आखिरी बाघ 2007 में मोंडुलकिरी प्रान्त में एक कैमरा ट्रैप पर देखा गया था। सितंबर 2017 में, कंबोडियाई सरकार ने डब्ल्यूडब्ल्यूएफ (WWF) की मदद से देश में बाघों को फिर से लाने की योजना की घोषणा की थी।
अवैध शिकार, निवास स्थान की हानि और अन्य कारकों के कारण कंबोडिया ने अपने सभी बाघ खो दिए। अब कंबोडिया अपने देश में बाघों का पुनर्वास चाह रहा है। ऐसे में भारत की अपेक्षा है कि कंबोडिया में पहले बाघों के अनुकूल परिस्थितियां निर्मित हों।
नवीनतम सरकारी आंकड़ों के अनुसार, 2022 में भारत में बाघों की संख्या 3,682 थी। यह वैश्विक जंगली बाघों की आबादी का 70 प्रतिशत से अधिक है। भारत ने बाघ संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए 1 अप्रैल, 1973 को प्रोजेक्ट टाइगर (Project Tiger) लॉन्च किया। प्रारंभ में, इसमें 18,278 वर्ग किमी में फैले नौ बाघ अभयारण्य शामिल थे। वर्तमान में, भारत में 53 बाघ अभयारण्य हैं जो 75,000 वर्ग किमी (देश के भौगोलिक क्षेत्र का लगभग 2.4 प्रतिशत) से अधिक बाघों के आवास को कवर करते हैं।
बाघों की आबादी वाले देश - भारत, बांग्लादेश, भूटान, चीन, कंबोडिया, इंडोनेशिया, लाओस, मलेशिया, म्यांमार, नेपाल, रूस, थाईलैंड और वियतनाम - ने 2010 में 2022 तक अपनी बिग कैट्स की संख्या दोगुनी करने के लिए प्रतिबद्धता जताई थी। इस पर उल्लेखनीय काम करते हुए भारत ने लक्ष्य से 4 साल पहले, 2018 में ही बाघों की जनसंख्या दोगुनी कर ली है।
यह भी पढ़ें
- पर्यावरण बचाने वाले उत्तराखंड के शंकर सिंह से मिलिए
- मिलिए हज़ारों मोरों की जान बचाने वाले झाबुआ के इस किसान से
- देसी बीजों को बचाने वाली पुणे की वैष्णवी पाटिल
- जवाई लेपर्ड सेंचुरी के आस-पास होते निर्माण कार्य पर लगते प्रश्नचिन्ह
पर्यावरण से जुड़ी खबरों के लिए आप ग्राउंड रिपोर्ट को फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम, यूट्यूब और वॉट्सएप पर फॉलो कर सकते हैं। अगर आप हमारा साप्ताहिक न्यूज़लेटर अपने ईमेल पर पाना चाहते हैं तो यहां क्लिक करें।