Powered by

Advertisment
Home हिंदी

2025 तक कैंसर कैपिटल बन सकता है भारत: रिपोर्ट

अपोलो हॉस्पिटल्स की हालिया हेल्थ ऑफ द नेशन 2024 रिपोर्ट के अनुसार, 2025 तक भारत में कैंसर के मरीजों की संख्या बढ़कर 15.7 लाख होने की उम्मीद है, जो कि 2020 में 14 लाख थी। इससे भारत संभावित रूप से दुनिया की 'कैंसर राजधानी' का खिताब हासिल कर सकता है।

By Ground Report Desk
New Update

Source: Apollo Hospitals

Listen to this article
0.75x 1x 1.5x
00:00 / 00:00

अपोलो हॉस्पिटल्स (Apollo Hospitals) की हालिया हेल्थ ऑफ द नेशन 2024 (Health of the Nation) रिपोर्ट के अनुसार, 2025 तक भारत में कैंसर के मरीजों की संख्या बढ़कर 15.7 लाख होने की उम्मीद है, जो कि 2020 में 14 लाख थी। पिछले 20 वर्षों में, गैर-संचारी रोगों में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, जिससे वे देश में मृत्यु का प्राथमिक कारण बन गए हैं। रिपोर्ट इस बात पर प्रकाश डालती है कि कैंसर एक प्रमुख चिंता के रूप में उभरा है, जिससे भारत संभावित रूप से दुनिया की 'कैंसर राजधानी' का खिताब हासिल कर सकता है।

Advertisment

क्या कहती है रिपोर्ट

रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में, प्रचलित कैंसर का स्तर जेंडर के अनुसार अलग-अलग है। जिनमें स्तन, ओवरी और सर्वाइकल कैंसर महिलाओं में सबसे अधिक पाए जाते हैं। वहीं फेफड़े, मुंह और प्रोस्टेट कैंसर पुरुषों में प्रमुख हैं। 

भारत में कैंसर के डायग्नोसिस की औसत आयु अन्य देशों की तुलना में कम है। अपोलो के निष्कर्षों के अनुसार, भारत में स्तन कैंसर के डायग्नोसिस की औसत आयु 52 वर्ष है, जबकि संयुक्त राज्य अमेरिका और यूरोप में यह 63 वर्ष है। फेफड़े के कैंसर के लिए, अपोलो में डायग्नोसिस की औसत आयु 59 वर्ष है, जबकि पश्चिम में यह औसत लगभग 70 वर्ष है। इन सब के बावजूद, भारत में कैंसर जांच दर बहुत कम है। 

भारत में स्तन कैंसर (Breast Cancer) की जांच 1.9% है जबकि संयुक्त राज्य अमेरिका में 82%, ब्रिटेन में 70% और चीन में 23% है। भारत में सर्वाइकल कैंसर की जांच 0.9% है, जबकि संयुक्त राज्य अमेरिका में 73%, ब्रिटेन में 70% और चीन में 43% है। वहीं अपोलो अस्पताल में, कोलन कैंसर के 30% मरीज़ 50 वर्ष से कम आयु के हैं।

publive-image
Source: Apollo Hospitals 

क्या हैं इस बढ़ते कैंसर के कारण

रिपोर्ट ने हाइपरटेंशन, मोटापा और बढ़ते डायबिटीज को कैंसर का बड़ा कारण माना है। रिपोर्ट में बताया गया है कि उनकी स्क्रीनिंग में 4 में से 3 लोग या तो मोटे हैं या ओवरवेट हैं। और वहीं 10 में से 1 अनकंट्रोलड डायबिटीज का शिकार हैं। इन सब के अतिरिक्त बिगड़ता पर्यावरण, दूषित खान पान और बिगड़ती लाइफस्टाइल भी कैंसर के बढ़ने का एक बड़ा कारण है।

प्रदूषण के कारण बढ़ा है कैंसर का खतरा

नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ (NIH) के शोधकर्ताओं ने पाया कि पार्टिकुलेट वायु प्रदूषण के उच्च स्तर वाले क्षेत्र में रहने से स्तन कैंसर की घटनाओं में वृद्धि हुई है। शोधकर्ताओं ने देखा कि स्तन कैंसर की घटनाओं में सबसे अधिक वृद्धि उन महिलाओं में हुई, जिनके अध्ययन में उनके घर के पास औसतन पार्टिकुलेट मैटर स्तर (पीएम 2.5) अधिक था, उन लोगों की तुलना में जो पीएम 2.5 के निम्न स्तर वाले क्षेत्रों में रहते थे। इस शोध  शोधकर्ता ने कहा कि, “हमने उच्च PM2.5 के जोखिम वाले क्षेत्रों में रहने के कारण स्तन कैंसर की घटनाओं में 8% की वृद्धि देखी है। हालाँकि यह अपेक्षाकृत मामूली वृद्धि है, लेकिन ये निष्कर्ष महत्वपूर्ण हैं क्योंकि वायु प्रदूषण एक सर्वव्यापी खतरा है जो लगभग सभी को प्रभावित करता है।

वहीं WHO के अनुसार वयस्कों में फेफड़ों के कैंसर (Lung Cancer) से होने वाली लगभग 11% मौतें घरेलू ऊर्जा जरूरतों के लिए मिट्टी के तेल या लकड़ी, लकड़ी का कोयला या कोयले जैसे ठोस ईंधन के उपयोग के कारण होने वाले घरेलू वायु प्रदूषण से होने वाले कार्सिनोजेन के संपर्क के कारण होती हैं।

क्या है आगे की राह 

अपोलो हॉस्पिटल की इस रिपोर्ट कुछ सुझाव और हिदायतें भी बताई गई हैं। इनमे बेहतर खानपान और अच्छे रहन सहन के अलावा नियमित जांच और लगातार मॉनिटरिंग की बात कही गई है। रिपोर्ट बताती है कि शुरुआती चरण में ही डायग्नोस हुई लगभग 98 प्रतिशत महिलाओं की 5 ईयर सर्वाइवल रेट उन 31 फ़ीसदी महिलाओं से बेहतर होता है, जो देर से डायग्नोस होती हैं। इन सब के अलावा पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए कदम उठाना, विकास करना, और संसाधनों का उपयोग करना एक समग्र और जरूरी विकल्प है ही।

यह भी पढ़ें

पर्यावरण से जुड़ी खबरों के लिए आप ग्राउंड रिपोर्ट को फेसबुकट्विटरइंस्टाग्रामयूट्यूब और वॉट्सएप पर फॉलो कर सकते हैं। अगर आप हमारा साप्ताहिक न्यूज़लेटर अपने ईमेल पर पाना चाहते हैं तो यहां क्लिक करें।