![young-male-psysician-with-patient-measuring-blood-pressure.jpg](https://img-cdn.thepublive.com/fit-in/1280x960/filters:format(webp)/ground-report/media/media_files/EqvwTtbrr332uklh5pgk.jpg)
PC - Senivpetro via freepik
भारत में हाइपरटेंशन (Hypertension) को लेकर हालिया स्थिति अच्छी नहीं मानी जा सकती है। विश्व स्वास्थ संगठन ने यह अनुमान लगाया गया है कि भारत में चार वयस्कों में से कम से कम एक को उच्च रक्तचाप है, लेकिन, उनमें से केवल 12% का ही रक्तचाप नियंत्रण में है। इसके अलावा हाल की अपोलो हॉस्पिटल की 'हेल्थ ऑफ़ द नेशन' रिपोर्ट में भी हाइपरटेंशन को भारत में कैंसर के बढ़ते खतरे का एक सूचक माना है।
क्या है हाइपरटेंशन?
हाइपरटेंशन (उच्च रक्तचाप) तब होता है जब आपकी रक्त वाहिकाओं में दबाव बहुत अधिक (140/90 mmHg या अधिक) होता है। यह सामान्य है लेकिन अगर इलाज न किया जाए तो यह गंभीर हो सकता है। हाइपरटेंशन के आमतौर पर कोई स्पष्ट लक्षण नहीं है, इससे अवेयर रहने का सबसे अच्छा तरीका है नियमित रूप से अपने ब्लड प्रेशर की जांच करवाना।
हाइपरटेंशन के कई कारण हो सकते हैं, मसलन अनुवांशिक कारण, अव्यवस्थित जीवनचर्या और खानपान, मोटापा, धूम्रपान और शराब का अत्यधिक सेवन। जीवनशैली में बदलाव जैसे स्वस्थ आहार खाना, तंबाकू छोड़ना और अधिक एक्टिव रहना रक्तचाप को कम करने में मदद कर सकता है। इसके अलावा यह बीमारी लाइलाज नहीं है, इसके लिए पार्यप्त दवाएं खोजी जा चुकी हैं।
![hy](https://img-cdn.thepublive.com/filters:format(webp)/ground-report/media/media_files/BZ5MUXUFFeqPez63ZvpE.webp)
कैसा है भारत में हाइपरटेंशन का हाल
नेशनल फॅमिली हेल्थ सर्वे 5 (NFHS 5) के आंकड़ों की मानें तो भारत के 15 वर्ष या उससे अधिक उम्र के 24 प्रतिशत के पुरुष और 21 प्रतिशत महिलाऐं इस व्याधि की शिकार हैं। इसके अलावा 39 फीसदी महिलाऐं और 49 प्रतिशत पुरुष हाइपरटेंशन से पहले के चरण में है, आसान शब्दों में कहें तो ये हाइपरटेंशन की कगार में हैं।
इस सर्वे के दौरान 67 प्रतिशत महिलाएं और 54 प्रतिशत पुरुषों ने कहा कि सर्वेक्षण से पहले कभी उनका रक्तचाप मापा गया था। 12 फीसदी महिलाएं और 9 फीसदी पुरुष कहते हैं कि दो या दो से अधिक मौकों पर उन्हें डॉक्टर या हेल्थ प्रोफेशनल द्वारा बताया गया था कि उन्हें उच्च रक्तचाप है। हालाँकि, इलाज लिए हुए उच्च रक्तचाप के रोगियों में से केवल 7% महिलाएं और 6% पुरुष ही वर्तमान में उनके रक्तचाप को कम करने के लिए दी गई दवा का सेवन कर रहे हैं। ये आंकड़े आम देशवासियों की इस बीमारी को लेकर गंभीरता और जागरूकता को दर्शाते हैं।
NFHS 5 के मुताबिक 22.5 फीसदी शहरी और 19.9 फीसदी ग्रामीण महिलाऐं हाइपरटेंशन की शिकार हैं। वहीं मध्यप्रदेश के 25.9 फीसदी शहरी और 21.5 फीसदी ग्रामीण हाइपरटेंशन का शिकार हैं। ये सिर्फ वो आंकड़े हैं जो हाइपरटेंशन पर काबू पाने के लिए दवाओं का सहारा लेते हैं। मॉडरेट स्तर के आंकड़े लेने पर मध्यप्रदेश की स्थिति और भी चिंताजनक हो जताई है।
अलग-अलग पृष्ठभूमि में हाइपरटेंशन
महिलाओं और पुरुषों दोनों में, उम्र के साथ उच्च रक्तचाप की व्यापकता तेजी से बढ़ती है। लगभग एक-चौथाई महिलाएँ और 40-49 आयु वर्ग के पुरुषों को उच्च रक्तचाप होता है। यहां तक कि पहले की उम्र में भी, आठ में से एक महिला और लगभग हर पांच 30 से 39 वर्षीय पुरुष में से पांच में से एक को उच्च रक्तचाप है।
सिक्किम में महिलाओं में उच्च रक्तचाप की व्यापकता सबसे अधिक (35%) है। और पुरुषों में यह आंकड़ा सर्वाधिक दादरा और नगर हवेली और दमन एवं दीव में सर्वाधिक(42%) है। महिलाओं और पुरुषों दोनों के लिए, दक्षिणी राज्यों में राष्ट्रीय औसत की तुलना में उच्च रक्तचाप का प्रसार अधिक है।
इस सर्वे में यह भी रेखांकित किया गया, कि बॉडी मास इंडेक्स (BMI) में वृद्धि के साथ उच्च रक्तचाप की व्यापकता में लगातार और तेजी से वृद्धि हो रही है। चालीस प्रतिशत मोटे पुरुष और 28 प्रतिशत मोटी महिलाएँ उच्च रक्तचाप से ग्रस्त हैं।
हाइपरटेंशन को लेकर क्या हैं सरकार के प्रयास
अनुमानतः भारत के 20 करोड़ वयस्क उच्च रक्तचाप से पीड़ित हैं, जिनमें से लगभग 2 करोड़ ही इसे नियंत्रण में रखते हैं। भारत सरकार ने "25 बाय 25" लक्ष्य अपनाया है, जिसका लक्ष्य 2025 तक गैर-संचारी रोगों (एनसीडी) के कारण समय से पहले मृत्यु दर को 25% तक कम करना है। नौ स्वैच्छिक लक्ष्यों में से एक में उच्च रक्तचाप के प्रसार को 2025 तक 25% तक कम करना शामिल है।
25 बाय 25, इंडियन हाइपरटेंशन कंट्रोल इनिशिएटिव (IHCI) के अंतर्गत आता है। यह एक 5-वर्षीय पहल है जिसमें स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय, भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद, राज्य सरकारें और WHO-भारत शामिल हैं। IHCI का लक्ष्य उच्च रक्तचाप प्रबंधन और नियंत्रण के बिल्डिंग ब्लॉक को मजबूत करने के लिए साक्ष्य-आधारित रणनीतियों को पूरक और तीव्र करके भारत सरकार के एनसीडी (Non Communicable Diseases) के लक्ष्य की प्रगति में तेजी लाना है।
भारत में बढ़ता हाइपरटेंशन एक चिंताजनक विषय है। देश के ग्रामीण और इंटीरियर क्षेत्रों में स्वास्थ सेवाओं की सीमित पहुंच इसे और भी भयावह रूप दे देती है। लेकिन देश की बड़ी आबादी का इसे लेकर जागरूक न होना भी एक महत्वपूर्ण बिंदु है। जैसा कि आंकड़े बताते हैं कि बहुत कम लोग ही नियमित अपने ब्लड प्रेसर की जांच करवाते है, ये स्थिति बीमारी को और भी घातक शक्ल दे सकती है।
यह भी पढ़ें
- पर्यावरण बचाने वाले उत्तराखंड के शंकर सिंह से मिलिए
- मिलिए हज़ारों मोरों की जान बचाने वाले झाबुआ के इस किसान से
- देसी बीजों को बचाने वाली पुणे की वैष्णवी पाटिल
- जवाई लेपर्ड सेंचुरी के आस-पास होते निर्माण कार्य पर लगते प्रश्नचिन्ह
पर्यावरण से जुड़ी खबरों के लिए आप ग्राउंड रिपोर्ट को फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम, यूट्यूब और वॉट्सएप पर फॉलो कर सकते हैं। अगर आप हमारा साप्ताहिक न्यूज़लेटर अपने ईमेल पर पाना चाहते हैं तो यहां क्लिक करें।