Climate Crisis: दक्षिण अमेरिकी देश वेनेज़ुएला दुनिया का पहला ऐसा देश बन गया है जहाँ के ग्लेशियर ख़त्म हो चुके हैं. दरअसल इस देश में ला कोरोना नाम का अंतिम ग्लेशियर मौजूद है. मगर यह ग्लेशियर लगातार सिकुड़ रहा है. ऐसे में अन्तराष्ट्रीय क्रायोस्फियर क्लाइमेट इनिशिएटिव (ICCI) का मानना है कि इसे ग्लेशियर नहीं माना जा सकता.
#Venezuela has officially lost its last glacier after La Corona glacier on Humboldt peak, 4,900 meters above sea level, became too small to be classed as a #glacier.
— International Cryosphere Climate Initiative (@ICCInet) May 6, 2024
This makes Venezuela the first country in the Andes mountain range to lose all its glaciers. https://t.co/BJyqouUjMY
घटते हुए ग्लेशियर
साल 1910 में वेनेज़ुएला में 6 ग्लेशियर थे. इनका विस्तार 1000 वर्ग किमी तक था. मगर वैश्विक तापमान के बढ़ने के चलते यह पिघलने शुरू हो गए. साल 2011 तक आते-आते छः में से 5 ग्लेशियर पूरी तरह गायब हो गए. इसके बाद सिर्फ ला कोरोना ही एक मात्र ग्लेशियर बचा. मगर यह ग्लेशियर भी अब केवल 2 हेक्टेयर बड़ा ही बचा है. जबकि एक अंतराष्ट्रीय संगठन के अनुसार 0.1 वर्ग किमी से बड़े बर्फ़ के हिस्से (ice masses) को ही ग्लेशियर कहा जा सकता है.
हिमालय में पिघलते ग्लेशियर और बढ़ता समुद्री जल स्तर
भारत, पाकिस्तान, नेपाल और भूटान सहित एशिया महाद्वीप का एक बड़ा हिस्सा हिन्दुकुश हिमालय (HKH) क्षेत्र में आता है. यह श्रृंखला ग्लेशियर्स का घर भी है. मगर संयुक्त राष्ट्र (UNFCCC) के अनुसार दुनिया का यह हिस्सा -0.18 डिग्री सेल्सियस (प्रति दशक) की रफ़्तार से गर्म हो रहा है. इसके परिणाम स्वरूप 1980 से 2010 के बीच यानि मात्र 30 साल में भूटान अपने 23 प्रतिशत और नेपाल 25 प्रतिशत ग्लेशियर खो चुका है. वहीँ भारत के कश्मीर में 122 से अधिक ग्लेशियर डूब चुके हैं.
यूँ भी इंटरनेश्नल सेंटर फॉर इंटिग्रेटेड माउन्टेन डेवेलपमेंट (ICIMOD) के अनुसार यदि ग्लोबल वार्मिंग वर्तमान गति से होती रही तो इस सदी के अंत तक हिन्दुकुश अपनी 80 प्रतिशत बर्फ़ खो देगा. जिसके चलते यहाँ रहने वाले 240 मिलियन लोग और इसकी डाउनस्ट्रीम में रहने वाले 1.65 बिलियन लोग अप्रत्याशित रूप से चरम मौसमी घटनाओं का सामना कर रहे होंगे.
पिघलते हुए ग्लेशियर समुद्र का जल स्तर बढ़ा रहे हैं. इसे और आसन करके कहें तो दुनिया डूबने के और करीब जाती जा रही है. याद रखने की बात यह भी है कि एशिया की 10 प्रमुख नदियों (river basin) के लिए यह ग्लेशियर ही पानी का स्त्रोत हैं. ऐसे में इन नदियों के किनारे रहने वाले 2 बिलियन लोगों के अस्तित्व पर भी संकट मंडरा रहा है.
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