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पहली बार भोपाल के जंगलों में लगी आग, प्रशासन पर लापरवाही का आरोप

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पहली बार भोपाल के जंगलों में लगी आग, प्रशासन पर लापरवाही का आरोप
पहली बार भोपाल के जंगलों में लगी आग, प्रशासन पर लापरवाही का आरोप

गुरुवार के दिन मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के अलग-अलग क्षेत्रों से आग लगने की खबरें सामने आई हैं। ये दुर्घटनाएं भोपाल के औद्योगिक क्षेत्र, गांवों और जंगलों में घटीं हैं। गौरतलब है कि भोपाल के जंगलों में पहली बार इस तरह की वनाग्नि की घटना हुई हैं। हालांकि इनमें से कई घटनाओं का कारण अभी तक स्पष्ट नहीं हुआ है। वनाग्नि के संबंध में ग्राउंड रिपोर्ट से बात करते हुए भोपाल के पर्यावरण कार्यकर्ताओं ने इसे प्रशासनिक लापरवाही का परिणाम बताया। उनका कहना है कि प्रदेश सरकार आग बुझाने के आधुनिक संसाधनों की पूर्ति को नज़रअंदाज़ कर रही है साथ ही वन अमला भी एक्टिव नहीं है जिससे इस तरह की घटनाएं लगातार हो रही हैं। 

कलियासोत के जंगल में आग

भोपाल के कलियासोत डैम के पास और वाल्मी के पीछे जंगल में गुरुवार शाम करीब 6 बजे आग लग गई। आग की लपटें और धुआं देखकर राहगीरों ने फायर कंट्रोल रूम को सूचना दी। हवा की वजह से आग फैल गई और वाल्मी स्थित सरकारी आवासों तक पहुंच गई। आग लगने की सूचना मिलते ही भोपाल के कलेक्टर कौशलेन्द्र विक्रम सिंह और डीएफओ लोकप्रिय भारती मौके पर पहुंचे।

सुरक्षा के मद्देनज़र 8 घरों को खाली करावा लिया गया। गुरुवार रात तकरीबन 9:30-10 बजे तक भी आग बुझाने की जद्दोजहद जारी रही और आखिरकार आग को काबू में कर लिया गया। इस घटना में कुछ कर्मचारियों के मामूली रूप से झुलसने की खबर भी है। 

पर्यावरण कार्यकर्ता राशिद नूर के अनुसार जिस इलाके में यह आग लगी है वह बाघ विचरण क्षेत्र है और पर्यावरण की दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण है। वह कहते हैं कि यह आग वन अमले की लापरवाही का नतीजा है।

“जब आग लग गयी थी तब भी वन अमला वहां दर्शक बन कर खड़ा रहा। जबकि आग बुझाने के मामले में वन प्रशासन के कर्मचारियों को विशेष ट्रेनिंग दी जाती है। अगर वन विभाग अपनी ज़िम्मेदारी समझकर आग बुझाने में सहयोग करता तो आग फैलने से रोकी जा सकती थी।”  

वह भोपाल में अन्य जगहों में लगी आग का संदर्भ देते हुए कहते हैं कि दुनिया भर में आग बुझाने के लिए ड्रोन जैसी आधुनिक पद्धतियों का उपयोग किया जा रहा है मगर भारत में इस तरह की सुविधा नहीं है। वह कहते हैं कि जब बीते 3-4 सालों में मुख्यमंत्री कार्यालय सहित प्रदेश के सबसे महत्वपूर्ण सरकारी भवनों में भी आग लगनी की घटना हो चुकी हो तो स्थानीय प्रशासन को अब तक इसे बुझाने के लिए आधुनिक प्रबंध कर लेने चाहिए थे। 

वह कालियासोत में लगी आग की जांच की मांग करते हैं और कहते हैं,

“जंगल में कई निजी निर्माण हैं, ये लोग नहीं चाहते कि बाघ की उपस्थिति इस क्षेत्र में बनी रहे ऐसे में जहां कभी आग नहीं लगी वहां आग लगना संदेह पैदा करता है कि कहीं यह बाघ को भगाने की साजिश तो नहीं है।” 

आदमपुर छावनी में लगी आग

भोपाल के आदमपुर छावनी (Aadampur Chawani) की कचरा खंती बीते तीन दिन से आग की जद में है। खंती में लगी आग तीन दिन बाद भी पूरी तरह नहीं बुझी है। मौजूदा जानकारियों के अनुसार यहां से अभी भी धुआं उठ रहा है और फायर ब्रिगेड की गाड़ियां, पानी के टैंकर और सीवेज क्लीनिंग मशीनें लगी हुई हैं। इसके साथ ही 8 पोकलेन मशीनें भी यहां काम कर रही हैं। 

जाहिर तौर पर इस आग ने खंती (adampur khanti) के प्रबंधन पर सवालिया निशान खड़े कर दिए हैं। खंती के जिस हिस्से में आग लगी है, वहां ज्यादातर प्लास्टिक कचरा है जो सीमेंट फैक्ट्रियों में ईंधन के रूप में इस्तेमाल होना था। यहां लगी आग ने खंती में रोज आने वाले कचरे के निपटान और अलगाव को सवालों के घेरे में ला दिया है। इस काम के लिए इंदौर की सुसज्जा इंटरप्राइजेस प्राइवेट लिमिटेड को ठेका दिया गया था।

पर्यावरण कार्यकर्त्ता नितिन सक्सेना मानते हैं कि इस खंती में आग जानबूझकर लगाई गई है। वह कहते हैं कि मुख्य सचिव को मामले को त्वरित संज्ञान में लेकर प्रमुख सचिव स्तर जांच कमेटी बनाकर दोषियों पर कार्यवाही की जानी चाहिए।

टेंडर की शर्तों के अनुसार कंपनी को हर काम के लिए निगम पर निर्भर रहना पड़ता है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक़ कंपनी ने यहां पहुंच मार्ग भी नहीं बनाया और सारी मशीनें नगर निगम की ही लगी हुई हैं। आग बुझाने का प्रबंध कंपनी को करना था, लेकिन न तो कंपनी ने ऐसा किया और न ही निगम के अधिकारियों ने इस ओर ध्यान दिया।

भेल परिसर में लगी आग

भोपाल के भेल (भारत हैवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड) के गेट नंबर 9 के पास परिसर में गुरुवार सुबह 11:30 बजे पैकिंग मटेरियल में आग लग गई। सूखी लकड़ी जलने से बीच-बीच में फटने जैसी आवाजें भी आती रहीं। जंगल जैसे इस इलाके में सूखे पेड़, पत्तियां और घास की वजह से आग तेजी से फैल गई। आग की लपटें 15 फीट से ज्यादा ऊंचाई तक दिखाई देने लग गईं और धुएं का गुबार 15 किमी दूर तक नजर आया।

आग पर काबू पाने के लिए सीआईएसएफ, नगर निगम और एसडीईआरएफ की तैनाती हुई। आग की सूचना मिलते ही भोपाल के कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह, गोविंदपुरा एसडीएम रवीश श्रीवास्तव और मंत्री विश्वास सारंग भी मौके पर पहुंचे। 

शाम तक आग पूरी तरह नहीं बुझ सकी और करीब 11 घंटे बाद ही काबू में आई। इस आग से हजारों पेड़-पौधे जल गए। मंत्री सारंग ने कहा कि यदि यह आग बाहर निकल जाती तो शहर में बड़ा हादसा हो सकता था।

भोपाल में अन्य आग की घटनाएं 

एनआईटीटीटीआर ( National Institute of Technical Teachers’ Training and Research) भोपाल के परिसर में स्थित चंद्रकांता हॉस्टल में गुरुवार तड़के लगभग 5 बजे आग लग गई। आशंका बताई जा रही है कि यहां शार्ट सर्किट की वजह से आग लगी। जब यह घटना घटी तब हॉस्टल में ट्रिपल आईटी भोपाल के लगभग 80 छात्र सो रहे थे। आईआईआईटी भोपाल के निदेशक प्रो आशुतोष कुमार सिंह खुद मौके पर पहुंचे और बाल्टी से पानी डालकर आग बुझाने में मदद की।

वहीं भोपाल के बागसेवनिया इलाके में बुधवार देर रात दो दुकानों में आग लग गई, जिससे किराना और मोबाइल की दुकानें पूरी तरह जलकर खाक हो गईं। रात करीब 2 बजे मोहल्ले वालों ने आग की सूचना दी। लोग बाल्टियों से पानी डालकर आग बुझाने का प्रयास करते रहे, लेकिन सारा सामान जल गया।

इसके साथ ही नवीबाग के श्मशान में एक शव का दाह संस्कार हो रहा था, जिससे चिता की चिंगारी पास के खेत में पहुंच गई और नरवाई में आग लग गई। तेज हवा चलने से आग तेजी से फैली और चार मकान चपेट में आ गए। लेकिन समय रहते आग पर काबू पा लिया गया। जिससे बड़ा नुकसान होने से बच गया।

एक ही दिन शहर के अलग-अलग कोनों में बड़ी मात्रा में आग लगने की घटनाएं की अप्रत्याशित हैं। इन घटनाओं में अब तक किसी की जान जाने की खबर अब तक नहीं आई हैं, लेकिन कुछ लोग इसमें घायल जरूर हुए हैं। ये घटनाएं प्राकृतिक हैं या मानवीय लापरवाही का नतीजा यह स्पष्ट होना अभी शेष है। 

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  • Journalist, focused on environmental reporting, exploring the intersections of wildlife, ecology, and social justice. Passionate about highlighting the environmental impacts on marginalized communities, including women, tribal groups, the economically vulnerable, and LGBTQ+ individuals.

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