राज्य का मालवा-निमाड़ क्षेत्र सोयाबीन की खेती के लिए जाना जाता हैं। इन क्षेत्रों में सोयाबीन की फसल को 80 फीसदी तक नुकसान हुआ हैं। कहीं-कहीं तो पूरी तरह से फसल तबाह हो गई है।
On Ground | Madhya Pradesh | Jashraj shared how the farmers of his village were unable to go up to their fields with water filled over across the route.
Soybean farmers in Madhya Pradesh are struggling with yellow mosaic virus, exacerbated by waterlogging from heavy rains. Experts stress the need for early detection, effective drainage, and control methods to prevent widespread crop failure.
सोयाबीन किसानों के विरोध प्रदर्शन के बाद मध्यप्रदेश की कैबिनेट ने एक प्रस्ताव पास किया था। इस प्रस्ताव में केंद्र सरकार से अनुरोध किया गया था कि वे सोयाबीन को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदने की अनुमति दें। जिस पर केंद्र सरकार ने मुहर लगा दी है।
Union Agriculture Minister Shivraj Singh Chouhan announced that farmers in Madhya Pradesh can now sell their soybean at the Minimum Support Price (MSP).
The central government will procure soybean at the Minimum Support Price (MSP) of Rs 4,894 per quintal under the Price Support Scheme (PSS) to protect farmers from economic losses and ensure fair compensation.
Madhya Pradesh is the state with the most soybean output, with 45.97 lakh tonnes, followed by Maharashtra (45.74 lakh tonnes), Rajasthan (10.69 lakh tonnes).
इस बार सरकार ने सोयाबीन के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य 4892 तय किया है। यह पिछले वर्ष की एमएसपी से 292 रुपये अधिक है। हालांकि प्रदेश के किसान संगठन इस मूल्य से नाखुश हैं, और उनकी मांग है कि सोयाबीन पर एमएसपी को बढ़ा कर 6000 किया जाए।