कांग्रेस द्वारा विधानसभा प्रत्याशियों की दूसरी लिस्ट जारी करने के बाद मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में राजनीतिक स्थिती और भी साफ़ हो गई है. राजधानी की सभी 7 सीटों पर कांग्रेस द्वारा प्रत्याशी घोषित कर दिए गए हैं. बीते गुरुवार की रात हुई घोषणा के अनुसार भोपाल की हुज़ूर विधानसभा (Huzur Vidhansabha) सीट से मौजूदा विधायक और बीजेपी प्रत्याशी रामेश्वर शर्मा के सामने कांग्रेस के पूर्व पीसीसी सदस्य नरेश ज्ञान चंदानी होंगे. इस सीट में दोनों ही उम्मीदवार साल 2018 में हुए विधानसभा चुनाव वाले ही हैं.
Huzur Vidhansabha: क्या है इस सीट का इतिहास?
साल 2007 में हुए परिसीमन के बाद हुज़ूर विधानसभा (Huzur Vidhansabha) सीट अस्तित्व में आई. 2008 में बीजेपी की ओर से जीतेंद्र दग्गा चुनाव जीते. इसके बाद 2013 में रामेश्वर शर्मा को बीजेपी का टिकट मिला. इस तरह बीते 10 साल से शर्मा और बीते 15 सालों से बीजेपी ही इस सीट पर क़ाबिज़ है. बीते विधानसभा चुनाव में रामेश्वर शर्मा ने नरेश ज्ञानचंदानी को 15 हज़ार 725 वोटों से हराया था.
वोट के आँकड़े
यदि जातिगत समीकरण की बात करें तो सामान्य और ओबीसी समुदाय को मिलाकर इस सीट में 73 प्रतिशत वोटर्स हैं. वहीँ 14.2 प्रतिशत वोटर्स अनुसूचित जाति के अंतर्गत आते हैं. सिन्धी समुदाय यहाँ 14 प्रतिशत के करीब वोट साझा करता है. बीते विधानसभा चुनाव में शर्मा को 65.48 प्रतिशत वोट मिले थे.
Huzur Vidhansabha: क्या है प्रमुख मुद्दा?
रामेश्वर शर्मा बीजेपी के हिन्दुत्ववादी नेता माने जाते हैं. वह मूल रूप से संघ से आते हैं. प्रदेश में उनकी छवि भी हिंदूवादी नेता की ही है. हाल ही में दिग्विजय सिंह के एक बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए रामेश्वर शर्मा ने कहा था कि क्या कांग्रेस और दिग्विजय सिंह का पीएफ़आई से कोई सम्बन्ध है. इसके अलावा भी यह सीट हिंदुत्व के प्रभाव वाली ही मानी जाती है. इस विधानसभा क्षेत्र के दामखेड़ा झुग्गी में रहने वाले सीताराम साहू कहते हैं कि कांग्रेस हिन्दू विरोधी और देश विरोधी है. वह और उनके पिता खुद को कट्टर बीजेपी समर्थक के रूप में परिचित करवाते हैं.
विकास हुआ है मगर क्या हुआ है पता नहीं
साहू कहते हैं कि रामेश्वर शर्मा द्वारा काफी विकास किया गया है. वह कहते हैं,
“जो काम जनता पार्टी (भारतीय जनता पार्टी) ने किए हैं वह किसी ने नहीं किए हैं.” हमने उनसे जानना चाहा कि क्या काम हुए हैं. इस पर वह सिर्फ़ इतना कहते हैं, “बहुत से काम हुए हैं.”
हालाँकि बाद में वह सीवेज, पानी की लाइन बिछना और सिक्स लेन रोड बनना गिनाते हैं. साहू की दूकान के सामने एक बोर्ड लगा हुआ है जिसमें लिखा है ‘मा. रामेश्वर शर्मा जी द्वारा दामखेड़ा A सेक्टर में सामुदायिक भवन निर्माण कार्य का भूमिपूजन किया गया.’ हमने सीताराम साहू से पूछा कि यह सामुदायिक भवन कहाँ बना हुआ है? इस पर वह कहते हैं कि उन्हें नहीं पता कि ऐसा कोई भवन कहीं बना है. इसी क्षेत्र की रहने वाली बबिता पटेरिया दिव्यांग हैं. उनके पति राजेश पटेरिया भी दिव्यांग हैं. उनके अनुसार उन्हें कोई भी समस्या नहीं है. बीती सरकार द्वारा किए गए कामों से हुए लाभ के बारे में पूछने पर वह पीडीएस का ज़िक्र करते हैं. हालाँकि वह कहते हैं कि उन्हें सभी सरकारी योजनाओं का लाभ मिल रहा है.
सिर्फ़ गरीबों का घर टूटेगा
हाल ही में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने कलियासूत नदी के कैचमेंट एरिया में मौजूद रहवासी क्षेत्र को हटाने का फैसला दिया था. इस फैसले पर फिलहाल अमल नहीं किया गया है. अगर इस पर कार्यवाही की जाती है तो दामखेड़ा झुग्गी और आस-पास स्थित बहुमंजिला इमारतें तोड़ दी जाएँगी. मामला फिलहाल कोर्ट में है. इस पर राजेश पटेरिया कहते हैं कि जब सभी का घर टूटेगा तो उनका भी टूट जाएगा इससे उनको कोई दिक्कत नहीं है. मगर अजय तिवारी कहते हैं कि कोर्ट में बड़ी बिल्डिंगों में रहने वाले लोग केस जीत जाएँगे क्योंकि उनके पास पैसा और कागज़ हैं. वह कहते हैं,
“इससे सिर्फ ग़रीबों का घर टूटेगा.”
रोज़गार मुख्य समस्या है
दामखेड़ा की इस बस्ती में एक मंदिर के पास कुछ युवा बैठकर बात कर रहे हैं. इन्हीं में से एक दीपक सेन बीएससी (BSc) की पढ़ाई कर रहे हैं. वह कहते हैं कि उनके लिए सबसे बड़ा मुद्दा रोज़गार है.
“यहाँ ज़्यादातर लोग बेलदारी का काम करते हैं. जो लोग पढ़े-लिखे हैं उनके पास कोई भी काम ही नहीं है.”
दीपक कहते हैं. मध्यप्रदेश सरकार द्वारा हाल ही में युवाओं को रोज़गार दिलाने के उद्देश्य से सीखो कमाओ योजना शुरू की गई थी. दीपक को इस योजना के तहत इंदौर की एक फार्म में काम मिला था. वह कहते हैं, “8 हज़ार में कैसे मैं इंदौर में रहता और कमाता.” वह बताते हैं कि हाल ही में हुए पटवारी भर्ती घोटाले से भी युवाओं का भविष्य प्रभावित हुआ है. हालाँकि रोज़गार के मसले पर जब हम सीताराम साहू से बात करते हैं तो वह कहते हैं, “हमें रोज़गार नहीं चाहिए हम खुद का रोज़गार कर रहे हैं.” साहू की किराना का व्यवसाय करते हैं.
विकास नहीं हुआ है
इस विधानसभा (Huzur Vidhansabha) क्षेत्र के एक अन्य निवासी अजय तिवारी विकास होने की बात से इनकार करते हैं. “बीते 20 साल से सब ऐसा ही है जैसा अभी आप देख रहे हैं. इसे आप विकास कहते हैं?” वह गुस्से में कहते हैं. इस बस्ती के बाहर मुख्य कोलार रोड पर सड़क बनाने का काम जारी है. इसका ज़िक्र करते हुए वह कहते हैं, “5 सालों से यहाँ रोड बन ही रहा है वह कब बनेगा पता नहीं.” इसी तरह वह स्टेडियम के अब तक न बन पाने पर भी सवाल उठाते हैं.
हिंदुत्व से हमें कोई फायदा नहीं है
रामेश्वर शर्मा की हिंदुत्व राजनीति का ज़िक्र करते हुए हमने अजय तिवारी से पूछा कि इससे उन्हें क्या फायदा मिला है?
“हिन्दू की राजनीति से हमको कोई भी फायदा नहीं मिला है. हमको रोज़गार चाहिए.”
दामखेड़ा सेक्टर बी में दाखिल होते ही हमें कई मैकेनिक की दुकानें नज़र आती हैं. इन्हीं में से एक फरहान हुसैन कहते हैं, “यहाँ पानी की बहुत समस्या है. थोड़ा सा बारिश होते ही यहाँ पानी भर जाता है.” वह मुख्य मार्ग पर बने डिवाईडर की ओर इशारा करते हुए कहते हैं, “वह जो टूटा हुआ डिवाईडर आप देख रहे हैं. उसे पानी निकलने के लिए नगर पालिका ने तोड़ा है.” वह कहते हैं कि रोड के दूसरी ओर स्थित सेक्टर A का पानी भी बहकर उनके मोहल्ले में ही जमा हो जाता है.
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