मध्यप्रदेश में चुनावों की घोषणा होने के बाद सत्तारूढ़ बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही पार्टियाँ चुनाव प्रचार में जुट गई हैं. ऐसे में सबकी निगाहें मध्य प्रदेश के ग्वालियर क्षेत्र पर हैं. ग्वालियर लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत 8 विधानसभा सीटें आती हैं. इसमें 6 सीटें ग्वालियर ज़िले की हैं तो वहीँ 2 शिवपुरी की. बीते विधानसभा चुनाव में इनमें से 7 में भाजपा को हार का सामना करना पड़ा था. भाजपा केवल 1 सीट पर ही जीत हासिल कर पाई थी. साल 2018 में हुए विधानसभा चुनावों के दौरान कांग्रेस के हाथ में सत्ता आई थी और इसमें ग्वालियर क्षेत्र ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. इस चुनाव में यहाँ की ग्वालियर विधानसभा (Gwalior 15) एक बार फिर चर्चा का केंद्र है. इसका कारण है मध्य प्रदेश के ऊर्जा मंत्री का यहाँ से चुनाव लड़ना.
014 | ग्वालियर ग्रामीण |
015 | ग्वालियर |
016 | ग्वालियर पूर्व |
017 | ग्वालियर दक्षिण |
018 | भीतरवार |
019 | डाबरा एससी |
Gwalior 15 से ऊर्जा मंत्री हैं मैदान में
ज़िले की ग्वालियर (ग्वालियर 15) सीट से मध्यप्रदेश के ऊर्जा मंत्री प्रध्युमन सिंह तोमर बीजेपी की ओर से मैदान में हैं. तोमर सिंधिया खेमे के नेता हैं. वह 2018 में आई कांग्रेस सरकार में भी मंत्री रहे हैं. मगर साल 2020 में ज्योतिरादित्य सिंधिया के पार्टी बदल लेने के बाद वह भी बीजेपी में शामिल हो गए थे. विधायक और मंत्री पद से इस्तीफ़ा देने के बाद हुए उपचुनावों में तोमर ने 33 हज़ार वोटों के अंतर से जीत दर्ज की थी.
चर्चा में रहते हैं तोमर
तोमर मीडिया में लगातार चर्चा में रहने वाले नेता हैं. वह फिलहाल अपने प्रचार के अनोखे तरीके के चलते चर्चा में हैं. तोमर अपने क्षेत्र में घर-घर घूम रहे हैं और लोगों से 1 रूपया मांग रहे हैं. मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार उन्होंने प्रचार के दौरान कहा है कि वह एक रूपए का ब्याज़ ज़रुर चुकाएँगे. इसके अलावा वह लोगों के घरों से मांग कर ही भोजन कर रहे हैं. मगर इससे पहले भी वह कई बार चर्चा में रहे हैं.
कैबिनेट की एक मीटिंग के दौरान ग्वालियर में एक शराब की दुकान को बंद करवाने का प्रस्ताव था. इस पर बिना चर्चा हुए ही प्रस्ताव को मंजूरी मिल गई थी. इसकी प्रतिक्रिया में तोमर जाकर मुख्यमंत्री के सामने दंडवत हो गए. इसके अलावा बीते साल अपने क्षेत्र में ख़राब सड़कें होने के विरोध में वे नंगे पैर घूम रहे थे. सड़कों की मरम्मत हो जाने के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने उन्हें चप्पल पहनाई थी.
आँकड़े और माहौल तोमर के पक्ष में
ग्वालियर विधानसभा में संघ के प्रभाव वाली विधान सभा मानी जाती है. भले ही 2018 में कांग्रेस ने चुनाव जीता हो मगर इस विधान सभा में कुल 6 बार बीजेपी, 5 बार कांग्रेस, एक बार जनता पार्टी और एक बार हिन्दू महासभा ने जीत दर्ज की है. बीते 2 विधानसभा चुनाव में प्रध्युमन ने जीत हासिल की है. ऐसे में कांग्रेस ने उनके जीत के रथ को रोकने के लिए सुनील शर्मा को मैदान में उतारा है.
अगर इस विधानसभा सीट की बात करें तो बिजली प्रमुख मुद्दा रहने वाला है. इसके अलावा साफ़ पानी और रोज़गार जैसे मुद्दे भी प्रभावी रहेंगे.
सिंधिया खेमे के नेता कांग्रेस से प्रत्याशी
इस सीट से कांग्रेस की टिकट पर लड़ रहे सुनील शर्मा का यह दूसरा चुनाव होगा. इससे पहले इसी सीट पर हुए उप चुनावों में उन्हें हार का सामना करना पड़ा था. शर्मा भी सिंधिया के क़रीबी माने जाते थे. मगर साल 2020 में वह कांग्रेस में ही रहे और तोमर के खिलाफ चुनाव लड़ा. शर्मा ज़मीनी नेता माने जाते हैं वह खराब पानी, सड़क और रोज़गार के मुद्दे को पहले से ही उठाते रहे हैं.
Keep Reading
- सीहोर में बनेगी नई सब्ज़ी मंडी, मौजूदा मंडी में “पिछले 15 दिन से नहीं लगी झाड़ू”
- Sehore Siwan River: हर दिन नेता इस नदी को मरता हुआ देख रहे हैं… बस देख रहे हैं…
- “यहाँ 40 परसेंट बेकरी बंद हो चुकी हैं”, क्या हैं भोपाल के बेकरीवालों के चुनावी मुद्दे?
- Bhopal Jawahar Chowk: यहाँ कभी बस स्टैंड था अब कुछ भी नहीं बचा
Follow Ground Report for Climate Change and Under-Reported issues in India. Connect with us on Facebook, Twitter, Koo App, Instagram, Whatsapp and YouTube. Write us on [email protected]