बड़वानी ज़िले के तलून गाँव में नहर फूटने से किसान के खेत में पानी भर गया. इससे यहाँ के किसान की फ़सल ख़राब हो गई. स्थानीय लोगों का कहना है कि यह नहर पहली बारिश में ही फूट गई जबकि अभी पूरा मानसून का सीज़न बचा हुआ है.
The building of Bhopal's voluntary organization 'Eklavya Foundation' has been made environment-friendly. This building presents an example of new building construction techniques to provide relief from rising heat.
हरदा ज़िले की युवा लड़कियाँ जलवायु परिवर्तन के महिलाओं पर होने वाले प्रभाव के विषय में लोगों को जागरूक कर रही हैं. वह इसके लिए नुक्कड़ नाटक, चित्रकला और जन संपर्क का सहारा ले रही हैं. इस अभियान का असर वह अपने निजी जीवन में भी देख पा रही हैं.
भोपाल की स्वयंसेवी संस्था 'एकलव्य फाउंडेशन' का भवन पर्यावरण अनुकूल बनाया गया है. यह भवन बढ़ती गर्मी से निजात दिलाने के लिए नवीन भवन निर्माण तकनीक की मिसाल पेश करता है.
सरदार सरोवर के चलते सितम्बर 2023 में आई बाढ़ के पीड़ितों को उचित मुआवज़ा दिलाने की मांग को लेकर नर्मदा बचाओ आन्दोलन की नेता मेधा पाटकर अनशन पर बैठ गई हैं. बीते 15 जून से जारी इस अनशन में उनके साथ प्रभावित परिवार भी शामिल हैं.
'Jal Ganga Samwardhan Abhiyan' has been started by the Madhya Pradesh government to repair the water bodies. But the ancient stepwells located in Samasgarh a short distance from the capital Bhopal are still in bad condition.
मध्यप्रदेश के निमाड़ क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले खरगोन, बड़वानी और खण्डवा ज़िले प्रदेश के गर्म ज़िले माने जाते हैं. मगर यहाँ के किसान बढ़ते तापमान के दुष्प्रभाव से अछूते नही हैं. फसल से लेकर किसान तक बढ़ते तापमान से सभी बुरी तरह प्रभावित हैं।
Protests in Bhopal against govt plan to rebuild bungalows for ministers & officers intensify, with hundreds gathering in Shivaji Nagar area on Friday, demanding withdrawal of the decision to cut trees.
मध्यप्रदेश के कैबिनेट मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि 29 हज़ार पेड़ काटे नहीं बल्कि स्थानांतरित किए जाएँगे. मगर सवाल यह है कि क्या वाकई भोपाल नगर निगम या फिर वन अमला इतना सक्षम है कि इतनी बड़ी संख्या में पेड़ स्थानांतरित किए जा सकें?
प्रदेश की राजधानी भोपाल में इन दिनों 29 हज़ार पेड़ काटने को लेकर काफी विवाद हो रहा है. शिवाजी नगर और तुलसी नगर की कुछ महिलाओं ने पेड़ों से चिपक कर प्रतीकात्मक विरोध भी किया. उनका कहना है कि यह पेड़ उनके द्वारा बड़े किए गए हैं अतः हम इन्हें नहीं कटने देंगे.