Read this story in English: सम्राट मिहिर भोज की जयंती पर देश भर में तनाव का माहौल होता है। ग्वालियर में महिर भोज की जयंती पर सभी आयोजनों पर रोक के साथ-साथ शहर में धारा 144 लागू कर दी गई है। इसके तहत सभी प्रकार की रैलियों, प्रोसेशन, सोशल मीडिया पर भड़काऊ मैसेजस पर प्रशासन कड़ी नज़र रखेगा।
अगर कोई भी व्यक्ति किसी समुदाय विशेष को टार्गेट करता हुआ भड़काउ पोस्टर, कटआउट, बैनर, फ्लेक्स, होर्डिंग या झंडा लेकर सड़क पर निकलेगा तो उसपर सख्त कार्रवाई के आदेश दिए गए हैं।
चिरवाई नाके पर स्थित मिहिर भोज स्टैच्यू के आस पास कड़ी सुरक्षा व्यस्था की गई है। इस नाके से ट्रैफिक डायवर्ट किया गया है। इस क्षेत्र के दर्जनों सरकारी और प्राईवेट स्कूलों में छुट्टी घोषित की गई है।
बताया जा रहा है कि पिछले तीन दिनों से सोशल मीडिया पर गुर्जर सेना और राजपूत समुदाय के लोग सम्राट मिहिर भोज की जयंती पर उत्सव मनाने के लिए मैसेजेस भेज रहे हैं। इसमें ग्वालियर के चिरवाई नाके पर बड़ी संख्या में लोगों को आमंत्रित किया गया था। जैसे ही यह खबर प्रशासन को मिली दोनो पक्षों के लोगों को चेतावनी दी गई है।
1 वर्ष पहले सम्राट मिहिर भोज की प्रतिमा को ग्वालियर के चिरवाई नाके पर स्थापित किया गया था। 8 सितंबर 2021 को नगर निगम द्वारा शीतला माता रोड चिरवाई नाका चौराहा पर सम्राट मिहिर भोज महान की प्रतिमा का अनावरण किया। इसमें नेम प्लेट में बस सम्राट महिर भोज लिखा था। फिर नेम प्लेट बदली गई और नाम के आगे गुर्जर शब्द जोड़कर उन्हें गुर्जर सम्राट मिहिर भोज नाम दिया गया। राजपूत क्षत्रिय समाज ने इसका विरोध किया। दोनों समुदाय एक-दूसरे के सामने आ गए। यहीं से सम्राट मिहिर भोज की जाति को लेकर विवाद शुरू हो गया।
दोनों गुट के बीच इस मामले के कारण हिंसक झड़प हो चुकी है। यह मामला हाईकोर्ट में है, जब तक यह फैसला नहीं होता की सम्राट किस जाति के थे तब तक ग्वालियर और चंबल में तनाव का महौल बना रहेगा।
अब समझते हैं कि कौन थे सम्राट मिहिर भोज?
-सम्राट मिहिर भोज वर्ष 836 से 885 के दौरान उत्तरप्रदेश के कनौज में शासन करते थे।
-वो प्रतिहार डायनैस्टी के शासक थे, उन्होंने 50 वर्ष तक शासन किया था।
-मुल्तान से बंगाल और कश्मीर से कर्नाटक तक उनका शासन हुआ करता था।
-आज के समय के मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, पंजाब, हरियाणा, उड़ीसा, गुजरात और हिमाचल उनकी रियासत में शामिल थे।
-राजा मिहिर भोज भगवान विष्णु के भक्त थे।
-कुछ लोग मानते हैं कि दिल्ली के महरौली का नाम उन्हीं के नाम पर पड़ा है।
-दिल्ली के मुख्यमंत्री साहेब सिंह वर्मा ने नैशनल हाईवे 24 का नाम मिहिर भोज के नाम पर रखा था।
-सम्राट मिहिर भोज का स्कंद पुराण के प्रभास खंड में वर्णन मिलता है।
-50 साल तक शासन करने के बाद उन्होंने अपनी गद्दी अपने पुत्र महेंद्र पाल को सौंप दी थी और खुद सन्यास लेकर वन में चले गए थे।
-अरब ट्रैवलर सुलेमान ने 851 एडी में लिखी अपनी किताब Srilite Turikh में सम्राट मिहिर भोज को इस्लाम का सबसे बड़ा दुश्मन बताया था।
गुर्जर समाज और राजपूतों के बीच सम्राट महिर भोज की जाति को लेकर विवाद है। दोनों ही समुदाय मिहिर भोज को अपना बताने में लगे हुए हैं।
गुर्जर या राजपूत?
गु्र्जर समुदाय का दावा है कि हमेशा से महिर भोज के नाम के आगे गुर्जर लिखा जाता रहा है। 851 ईस्वी में भारत भ्रमण पर आए अरब यात्री सुलेमान ने उनको गुर्जर राजा और उनके देश को गुर्जर देश कहा है। सम्राट मिहिर भोज के पौत्र सम्राट महिपाल को कन्नड़ कवि पंप ने गुर्जर राजा लिखा है।
गुर्जरों का कहना है कि क्षत्रिय कोई जाति नहीं है। क्षत्रिय एक वर्ण है, जिसमें जाट, गुर्जर, राजपूत अहीर (यादव ), मराठा आदि सभी जातियां आती हैं।
वहीं क्षत्रिय महासभा का दावा है कि राजपूत युग भारत वर्ष के समस्त दस्तावेजों में 700 ईस्वी से 1200 ई तक रहा है। इसी दौरान सम्राट मिहिर भोज प्रतिहार राजवंश का शासन भी रहा है। उनका भी यही दावा है कि गुर्जर कोई जाति नहीं होती, संपूर्ण प्रदेश 'गुर्जर प्रदेश' नाम से पहले जाना जाता था। भारत वर्ष में आए विदेशी नागरिक, इतिहास के पन्नों को रखा है, जिसमें गुर्जर प्रतिहार वंश में गुर्जर का मतलब स्थान है, न कि जाति।
ज्यादातर लोगों का मानना है कि यह विवाद बेमतलब का है, अगर मिहिर भोज की मूर्ती पर गुर्जर प्रतिहार सम्राट मिहर भोज लिख दिया जाए तो विवाद खत्म हो जाएगा।
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