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मध्यप्रदेश के उप-मुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ल का दिलचस्प सियासी सफर

पांच बार के विधायक, 4 बार के मंत्री, शिवराज सिंह चौहान के ख़ास इन सब के अलावा एक और उपलब्धि है जो राजेंद्र शुक्ल ने अपने CV  में दर्ज कर ली है, और वो है मध्य प्रदेश का उप मुख्यमंत्री बनना। 

By Ground Report
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Rajendra Shukla Deputy CM Madhya Pradesh Profile

पांच बार के विधायक, 4 बार के मंत्री, शिवराज सिंह चौहान के ख़ास इन सब के अलावा एक और उपलब्धि है जो राजेंद्र शुक्ल ने अपने CV  में दर्ज कर ली है, और वो है मध्य प्रदेश का उप मुख्यमंत्री बनना। 

राजेंद्र शुक्ल रीवा के शाशकीय इंजीनियरिंग कालेज के सिविल इंजीनियरिंग के छात्र रहे , बाद में 1986 से यहीं से छात्र संघ का चुनाव जीता। 1998 में पहली बार रीवा से विधानसभा का चुनाव लड़े पर, पर रीवा राजघराने से आने वाले पुष्पराज सिंह से 1,394 के करीबी अंतर से हार गए, परन्तु 2003 से जीत का जो सिलसिला शुरू हुआ है वो अभी तक जारी है, और ये राजेंद्र शुक्ल ही है जिन्होंने रीवा को बीजेपी का अभेद्य किला बना दिया है। 

करोड़ों में है संपत्ति

राजेंद्र शुक्ल मध्य प्रदेश के रईस मंत्रियों में आते है ADR के अनुसार 32 करोड़ की संपत्ति के मालिक है, पेशे से ठेकेदार हैं, आपके पिता श्री भैय्यालाल शुक्ल भी विख्यात ठेकेदार थे।  2003 की विधानसभा से लगातार राजेंद्र शुक्ल को महत्वपूर्ण विभाग मिलते रहे हैं चाहे वह  खनिज, ऊर्जा, वन हो या फिर उद्योग नीति विभाग हो। इन पदों पर रहते हुए इन पर कई आरोप भी रहे जैसे की समदड़िया को रीवा की शासकीय जमीने रियायती दरों पर उपलब्ध कराना, पर राजेंद्र शुक्ल लगातार इनका खंडन करते रहे और इसकी कभी जांच भी नहीं हुई।       

विंध्य के विकास पुरुष के नाम से ख्यात राजेंद्र शुक्ल ने रीवा में कई विकास कार्य कराये, चाहे वह सड़क अवसंरचना हो, फ्लाईओवर निर्माण हो , वाइट टाइगर सफारी हो या फिर जिले में एयरपोर्ट का आना हो, इन सबके पीछे राजेंद्र शुक्ल का प्रयास होता है। हालाँकि रीवा में कई समस्याएं है जिनका निराकरण शेष है जैसे, जल, आवारा पशुओं द्वारा खेती का नुकसान, स्वच्छता, या फिर बेरोजगारी, इन सब के समाधान की आस जनता लम्बे समय से लगाए हुये है। 

Who is Rajendra Shukla Deputy CM of Madhya Pradesh

विंध्य क्षेत्र के बड़े नेताओं में नाम शुमार

राजेंद्र शुक्ल की सबसे बड़ी उपलब्धि विंध्य क्षेत्र का सबसे बड़ा नेता बन कर उभरना है, भले ही प्रदेश में मात्र 5 प्रतिशत ब्राम्हण आबादी हो, परन्तु रीवा  में ब्राम्हण आबादी 38 प्रतिशत के लगभग है और वहीँ प्रदेश की 60 ऐसी सीट है जहाँ ब्राम्हण वोट एक बड़ा फैक्टर बनते है।  इस क्रम में अर्जुन सिंह, श्रीनिवास तिवारी के बाद राजेंद्र शुक्ल विंध्य के सबसे बड़े नेता और एक बड़े ब्राम्हण नेता के तौर पर उभरे है।  यह गौरतलब हो की गोपाल भार्गव और सीता शरण शर्मा जैसे कद्दावर ब्राम्हण चेहरों की मौजूदगी के बाद भी राजेंद्र शुक्ल को उप मुख्यंत्री पद के लिए चुना जाना राजेंद्र शुक्ल की बीजेपी में अहमियत को दर्शाता है।  

हालाँकि राजेंद्र शुक्ल का राजनैतिक सफर इतना आसान भी नहीं रहा जितना की यह दूर से दिखता है। पिछले चुनावों में पार्टी के ही अभय मिश्रा राजेंद्र शुक्ल के विरोध में कांग्रेस से चुनाव लड़े, भाजपा के सत्ता में आने के बाद राजेंद्र शुक्ल को कैबिनेट कोई पद नहीं दिया गया, बल्कि देवतालाब के गिरीश गौतम को विधानसभा का स्पीकर बनाया गया इससे जनता काफी निराश भी हुई वहीँ यह खबरें भी काफी प्रचारित हुई की राजेंद्र शुक्ल और प्रदेश अध्यक्ष वी. डी. शर्मा के बिच अनबन है, पर राजेंद्र शुक्ल ने हाल के एक में इन सब बातों को नकारा है। पार्टी के भीतर एवं बाहर के विरोधो के बाद भी राजेंद्र शुक्ल लगातार अजेय और प्रगति की ओर अग्रसर हैं,  यह देखने लायक होगा की राजेंद्र शुक्ल उपमुख्यमत्री के तौर पर रीवा, और प्रदेश को किस दिशा में लेकर जाते हैं।  

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