बीते दिनों इंदौर जिले के नागरिकों और पर्यावरण प्रेमियों ने पेड़ों को कटने से बचाने के लिए और पर्यावरण की बहाली के लिए प्रदर्शन किया। इस प्रदर्शन में शहर के कई वरिष्ठ नागरिकों ने मानव श्रृंखला बना कर प्रदर्शन किया। यह प्रदर्शन पर्यावरण प्रेमी नागरिक मंच के द्वारा आयोजित किया गया था और इस प्रदर्शन के द्वारा शहर की बंद कपड़ा मिलों के पास मौजूद वृक्षों को सिटी फॉरेस्ट घोषित करने की मांग की गई।
दरअसल जुलाई माह में ही इंदौर के मल्हार आश्रम के समीप सीएम राइज स्कूल और स्पोर्ट्स काम्प्लेक्स बनाने के लिए कई वृक्षों को काटा गया था। इसके बाद मालवा मिल के पास कई वर्ष पुराने वृक्षों के काटे जाने की आशंका है। इंदौर में बंद पड़ी कपडा मिलों के पास लगे वृक्षों को कटने से बचाने के लिए शहरवासी मालवा मिल चौराहे पर एकत्रित हुए। पर्यावरण प्रेमी मंच के द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में शहर के लोगों से पेड़ों की रक्षा के लिए एकजुट होने का आव्हान किया।
पर्यावरण प्रेमी मंच द्वारा आयोजित इस प्रदर्शन में अलग-अलग संगठनों के सौ से अधिक कार्यकर्ता शामिल हुए। इनमें पद्मश्री जनक पलटा, अजय लागू, ओपी जोशी, एसएल गर्ग, डीके वाघेला, स्वप्निल व्यास, अभय जैन, श्याम सुंदर यादव समेत कई संगठन, संस्थाएं और सामाजिक कार्यकर्ता शामिल हुए।
इस प्रदर्शन में शहर के कई सामाजिक संगठन और प्रबुद्धजनों के द्वारा मालवा मिल चौराहे पर मानव श्रंखला बनाई गई। इस प्रदर्शन में शामिल शहर के सभी नागरिक बैनर, पोस्टर के साथ मानव श्रंखला में आए।
प्रदर्शन में पर्यावरण प्रेमी मंच द्वारा शामिल हुए लोगों को को पत्रक बांटे गए और उन्हें असहनीय गर्मी और घटते भूजल जैसे प्रत्यक्ष पर्यावरणीय परिणामों से अवगत कराया गया। साथ ही प्रदर्शन में कहा गया कि इन बड़े पर्यावरणीय परिवर्तनों के बावजूद सरकार और प्रशासन पेड़ों की कटाई रोकने के लिए बिल्कुल भी गंभीर नहीं हैं। प्रदर्शन के दौरान मंच द्वारा कहा गया कि,
हम महापौर, सांसद और शहर के कई जनप्रतिनिधि और अधिकारियों को इसके लिए ज्ञापन दे चुके हैं। अब हम जन जागरण कर रहे हैं और जनता को इसके लिए इकट्ठा कर रहे हैं।
सभी ने बताया कि यह पूरा आंदोलन जनसहयोग से आयोजित किया जा रहा है। इस आंदोलन में कई संगठन और संस्थाओं के कार्यकर्ता और सामाजिक लोग जुड़े हुए हैं। सभी का उद्देश्य एक ही है कि इंदौर में पेड़ों की कटाई को रोका जाए। आंदोलन सरकार और प्रशासन से मांग की गई कि प्राकृतिक रूप से बने कपड़ा मिलों के शहरी वन को सिटी फारेस्ट घोषित किया जाए।
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