Powered by

Advertisment
Home हिंदी मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने कछुए की कथित तांत्रिक हत्या पर जांच के लिए वन विभाग को दिया निर्देश

मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने कछुए की कथित तांत्रिक हत्या पर जांच के लिए वन विभाग को दिया निर्देश

मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने इंदौर में कथित तांत्रिक विधि से कछुए की हत्या के मामले में गंभीर संज्ञान लिया है। न्यायालय ने वन विभाग और अन्य अधिकारियों को जांच करने और उचित कार्रवाई के लिए निर्देश दिए हैं।

By Ground Report Desk
New Update
What to do if you see a Turtle on the road
Listen to this article
0.75x 1x 1.5x
00:00 / 00:00

मध्यप्रदेश र उच्च न्यायालय की इंदौर खंडपीठ ने एक चौंकाने वाले मामले में महत्वपूर्ण फैसला दिया है। न्यायालय ने राज्य के वन विभाग को एक ऐसी घटना की गहन जांच के निर्देश दिए हैं, जिसमें कथित तौर पर एक कछुए की तांत्रिक विधियों द्वारा हत्या की गई थी।

Advertisment

मुख्य न्यायाधीश सुरेश कुमार कैत और न्यायाधीश विवेक रूसिया की खंडपीठ ने अभिजीत पांडेय की जनहित याचिका पर संज्ञान लिया। न्यायालय ने स्पष्ट निर्देश दिया है कि संबंधित अधिकारी वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 के तहत इस मामले की विस्तृत जांच करें। इस मामले में याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता अभिनव धनोडकर और राज्य की ओर से अधिवक्ता सुदीप भार्गव वकालत कर रहे थे। 

याचिका में दावा किया गया है कि सोशल मीडिया पर दो वीडियो सामने आए, जिनमें तीन व्यक्ति इंदौर के जिला अस्पताल परिसर में संदिग्ध तरीके से कुछ दफन कर रहे थे। याचिकाकर्ता का आरोप है कि ये व्यक्ति वित्तीय लाभ के लिए तांत्रिक क्रिया द्वारा कछुए की हत्या कर रहे थे।

25 मई, 2024 को याचिकाकर्ता ने रालामंडल अभयारण्य के अधीक्षक को शिकायत की। इसके बाद वन विभाग ने जांच शुरू की और मृत कछुए को बाहर निकाला गया। फोरेंसिक जांच के लिए कछुए को जबलपुर के नानाजी देशमुख पशु चिकित्सा विश्वविद्यालय भेजा गया।

Advertisment

पोस्टमार्टम रिपोर्ट में पाया गया कि कछुए पर पूरे शरीर पर कुमकुम लगा था। याचिका में तर्क दिया गया है कि कछुा भारत में पूजनीय जानवर है और इसके साथ क्रूरता वन्यजीव संरक्षण अधिनियम तथा पशु क्रूरता निवारण अधिनियम के विपरीत है।

याचिकाकर्ता ने न्यायालय से अधिकारियों को जांच पूरी करने और उचित कार्रवाई करने का निर्देश देने की मांग की थी। न्यायालय ने संबंधित एजेंसियों को वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 के तहत इस मामले की जांच का आदेश दे दिया। हालांकि इस मामले की हकीकत जांच के बाद ही स्पष्ट हो पाएगी। 

भारत में स्वतंत्र पर्यावरण पत्रकारिता को जारी रखने के लिए ग्राउंड रिपोर्ट का आर्थिक सहयोग करें। 

Advertisment

यह भी पढ़ें

कूड़े की यात्रा: घरों के फर्श से लैंडफिल के अर्श तक

‘अस्थमा है दादी को…’: दिल्ली में वायु प्रदूषण से मजदूर वर्ग सबसे ज़्यादा पीड़ित

किसान बांध रहे खेतों की मेढ़ ताकि क्षरण से बची रहे उपजाउ मिट्टी

कचरे से बिजली बनाने वाले संयंत्र 'हरित समाधान' या गाढ़ी कमाई का ज़रिया?

पर्यावरण से जुड़ी खबरों के लिए आप ग्राउंड रिपोर्ट को फेसबुकट्विटरइंस्टाग्रामयूट्यूब और वॉट्सएप पर फॉलो कर सकते हैं। अगर आप हमारा साप्ताहिक न्यूज़लेटर अपने ईमेल पर पाना चाहते हैं तो यहां क्लिक करें।

पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन से जुड़ी जटिल शब्दावली सरल भाषा में समझने के लिए पढ़िए हमारी क्लाईमेट ग्लॉसरी ।