मैहर को यहाँ के हिन्दू धार्मिक स्थल शारदा मंदिर के लिए जाना जाता है. 8 अक्टूबर को यहाँ एक सभा को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने महाकाल की तर्ज पर भव्य शारदा लोक बनाने की घोषणा की थी. इस दौरान जनता को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा था,
“मैहर में भव्य शारदा माता लोक बनाया जाएगा. शारदा माता लोक के लिए मैने पैसे सुरक्षित रख दिए हैं.”
ज्ञात हो कि यह कार्यक्रम मैहर के ज़िला बनने के बाद आयोजित किया गया था. 5 सितम्बर को मैहर को प्रदेश का 56वां जिला बनाया गया था.
व्यापार में होगा मुनाफ़ा
घंटाघर से शारदा माता मंदिर की ओर जाने वाली ‘देवी जी रोड’ पर स्थित श्रीराम यात्री निवास के संचालक इन्द्रभान सिंह बघेल मुख्यमंत्री द्वारा की गई इस घोषणा को सकारात्मक नज़रिए से देखते हैं. उनका मानना है कि यदि महाकाल के तर्ज पर मैहर में भी शारदा माता लोक बनाया जाता है तो इससे यात्रियों की संख्या बढ़ेगी जिससे यहाँ व्यापार में बढ़ोत्तरी होगी. वह बताते हैं,
“अभी यहाँ मेला (नवरात्रि) और नए साल जैसे मौकों पर भीड़ होती है. मगर यह लोक बनने के बाद बारह महीना भीड़ रहेगी जिससे व्यापार भी बढ़ेगा.”
मेले में होगी सुविधा
मैहर के इस मंदिर में उत्तरप्रदेश के पूर्वांचल क्षेत्र और मध्यप्रदेश के विन्ध्य के साथ ही दोनों प्रदेशों के बुन्देलखण्ड क्षेत्र से श्रद्धालू नियमित रूप से आते हैं. मगर साल में 2 बार पड़ने वाली नवरात्रि (चैत्र और शरद नवरात्री) में यहाँ भीड़ बढ़ जाती है. यही कारण है कि स्थानीय लोग इसे मेला कहते हैं. यहाँ त्रिपाठी प्रसाद भण्डार के संचालक विकास त्रिपाठी बताते हैं कि इस दौरान भीड़ अधिक होती है मगर पार्किंग के ना होने और सड़क पर अतिक्रमण होने से उन्हें और श्रद्धालुओं को दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. सामने मौजूद रोड की ओर इशारा करते हुए वह कहते हैं,
“आप यहाँ अभी आधा घंटा पहले आते तो आपको जाम लगा मिलता. अब मेला ख़त्म हो गया है फिर भी दिन में 4 बार जाम लगता है.”
उनके अनुसार देवी लोक बनने पर सड़कें चौड़ी हो जाएँगी जिससे जाम नहीं लगेगा. साथ ही उनका मानना है कि प्रशासन के सख्त होने के कारण लड़ाई-झगड़ा भी नहीं होगा जिससे वो शांति से व्यापार कर सकेंगे.
मैहर के धार्मिक स्थलों को मिलेगी पहचान
बाहर से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए मैहर में केवल शारदा माता मंदिर ही दर्शनीय स्थल के रूप में देखा जाता है. कुछ लोगों को इसके अलावा शहर में स्थित प्राचीन गोलामठ मंदिर की जानकारी है मगर बाहर से आने वाले बहुत कम लोग ही यहाँ तक जाते हैं. मगर इन्द्रभान सिंह बघेल बताते हैं कि मैहर के पर्वतीय क्षेत्र में इससे भी पुराने और महत्वपूर्ण मंदिर हैं. उनका मानना है कि देवी लोक के बनने पर सरकार द्वारा यदि इन्हें चिन्हित किया जाता है तो लोग इन पुराने मंदिरों का दर्शन भी कर पाएँगे. वह बताते हैं कि मैहर में झरनों जैसे कई प्राकृतिक दर्शनीय क्षेत्र भी हैं.
सुन्दरता के नाम पर सरकार हमको हटा देगी
मंदिर का प्रांगण शुरू होने से पहले ही हमें दुकानें दिखाई देने लगती हैं. लोग इन दुकानों से फूल-माला, प्रसाद और पूजा का अन्य सामान खरीद रहे हैं. इस मंदिर का प्रबंधन देखने वाली माँ शारदा मंदिर प्रबंध समिति द्वारा बंधा बैरियर के पास 100 दुकानों का निर्माण किया गया था. वहीँ मैहर के स्थानीय पत्रकार राजेश सिंह पटेल हमें जानकारी देते हुए बताते हैं कि समिति के अंतर्गत जहाँ 500 से 600 दुकानें आती हैं वहीँ फुटपाथ और तीन शेड के नीचे स्थित छोटी-छोटी दुकानों की संख्या 5 से 6 हज़ार तक है.
शीतल लखेरा बीते 20 सालों से मंदिर परिसर में सिन्दूर बेंचकर गुज़ारा करती हैं. दिन बहर होने वाली कमाई के बारे में बताते हुए वह कहती हैं, “दिन भर में सही-सही बिक्री हो जाए तो भी 400 रूपए ही कमा पाते हैं.” शीतल की आमदनी का एकमात्र ज़रिया ‘5 बाई 3 फुट की दुकान ही है’. मगर देवी लोक बनने की संभावना उनके लिए सुखद नहीं है. वह कहती हैं कि जब देवी लोक बनेगा तो सरकार सुन्दरता के नाम पर उनके जैसे छोटे व्यापारियों को हटा देगी.
दुकान नहीं तो धंधा कैसा?
शारदा लोक बनने पर यहाँ के व्यापारियों की राय मिली जुली हुई है. विकास त्रिपाठी कहते हैं, “मंदिर परिसर और आस-पास की दुकानों में रोज़ जितना व्यापार होता है वो देवी लोक बन जाने से कई गुना बढ़ जाएगा” इसके पीछे का गणित समझाते हुए वह भी श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ने का ही ज़िक्र करते हैं. मगर शीतल की ही तरह टीनशेड के नीचे एक छोटी सी दुकान का संचालन करने वाले अशोक अग्रवाल कहते हैं, “जब दुकान ही नहीं रहेगी तो धंधा कैसे बढ़ेगा?” उनके अनुसार भले ही यहाँ बहुत से लोग सरकारी कागज़ों के अनुसार अवैध दुकानदार हैं मगर उनके अनुसार “आधे मैहर का घर इन्हीं दुकानों से चलता है.”
ग़रीब आदमी नहीं खरीद सकता दुकान
धीरज कुमार कुशवाहा मंदिर में फूल बेंचकर अपने परिवार का भरण पोषण करते हैं. अपनी प्रतिदिन की कमाई 500 रूपए बताते हुए वह पूछते हैं, “यदि मुझे कल को सरकार यहाँ से हटा देती है तो मैं कहाँ जाऊंगा?” धीरज कहते हैं कि महीने भर में उनकी जो कमी होती है उससे 3 बच्चों का परिवार चलाना मुश्किल पड़ जाता है. ऐसे में दुकान ख़रीदना उनके लिए दुर्लभ बात है. वह महंगाई का ज़िक्र करते हुए कहते हैं, “यहाँ दुकान के लिए 10 लाख पगड़ी (सिक्योरिटी मनी) देनी पड़ती है. इतना पैसा देना किसी ग़रीब के बस की बात नहीं है.”
आजीविका का संकट न हो जाए पैदा
शीतल लखेरा के 2 लड़के हैं. दोनों ने ही स्थानीय डिग्री कॉलेज से ग्रेजुएशन किया है. इसके बाद करीब 2 साल तक नौकरी तलाश करने के बाद जब कुछ भी संतोष जनक नहीं मिला तब वह भी शीतल का हाथ बटाने लग गए. अब घर के सभी सदस्य व्यवसाय के रूप में एक ही दुकान का संचालन करते हैं. दुकान उजड़ जाने की आशंका व्यक्त करते हुए वह कहती हैं,
“अगर ये बंद हो गई तो हम 3 लोग कमाने के लिए कहाँ जाएँगे. हमें तो खाने के लाले पड़ जाएँगे.”
उनकी तरह अशोक भी कहते हैं कि उनके बच्चों की फीस उनकी छोटी सी दुकान से ही भरी जाती है यदि यह उजड़ जाएगी तो आने वाली पीढ़ी के लिए संकट पैदा हो जाएगा.
मैहर में देवी लोक के निर्माण कार्य को शुरू होने में अभी समय है. मगर शहर में यह एक चुनावी मुद्दा बन चुका है. जहाँ मंदिर से दूर शहर में रहने वाले लोगों के लिए यह ‘मैहर की किस्मत बदलने वाला’ फैसला है. वहीँ मंदिर में छोटी-छोटी दूकान चलाने वाले व्यापारियों के लिए यह आजीविका पर लटकती हुई तलवार है. हालाँकि इस लोक का अभी तक कोई भी रोड मैप सार्वजानिक नहीं हुआ है.
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