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आपदा के दौरान वर्ल्ड बैंक प्रभावित देशों से क़र्ज़ नहीं वसूलेगा

आपदा और विकाश कार्यों के लिए देशों को लोन देने वाले वर्ल्ड बैंक ने एक ऐसी घोषणा की है जिससे कर्ज़दार आपदा पीड़ित देशों को राहत महसूस होगी.

By Shishir Agrawal
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आपदा और विकाश कार्यों के लिए देशों को लोन देने वाले वर्ल्ड बैंक ने एक ऐसी घोषणा की है जिससे कर्ज़दार आपदा पीड़ित देशों को राहत महसूस होगी. पैरिस में ग्लोबल लीडर्स समिट में बोलते हुए वर्ल्ड बैंक के नए चीफ अजय बंगा ने कहा कि आपदा के दौरान वर्ल्ड बैंक प्रभावित देशों से क़र्ज़ नहीं वसूलेगा ताकि उन्हें आर्थिक दबाव महसूस न हो. उन्होंने आगे कहा कि इससे आपदा के दौरान देश के प्रतिनिधि अपनी जनता की ज़रूरत पर फोकस कर पाएँगे बिना इस बात की चिंता किए की उनपर आर्थिक दबाव बढ़ रहा है. 

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वर्ल्ड बैंक की यह घोषणा वैश्विक स्तर पर क्लाइमेट क्राइसिस से निपटने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में देखी जा रही है. आईपीसीसी ने अपनी हालिया रिपोर्ट में यह चिंता जताई थी कि वैश्विक तापमान को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक रोकना बड़े स्तर पर आने वाली बर्बादी को रोकने के लिए बेहद ज़रूरी है. मगर एक अनुमान के मुताबिक पैरिस समझौते के लक्ष्यों और संयुक्त राष्ट्र के सस्टेनेबल गोल्स को पाने के लिए प्रतिवर्ष 1 ट्रिलियन डॉलर की आवश्यकता है. 

ऐसे देश जिन्हें क़र्ज़ की बेहद आवश्यकता होती है वह मुख्य रूप से 3 तरह से लोन लेते हैं. पहला वह प्राइवेट बांडहोल्डर्स से क़र्ज़ लेते हैं, इसके अलावा वर्ल्ड बैंक जैसे बैंक और तीसरा चीन जैसी बड़ी अर्थव्यवस्था वाले देशों से क़र्ज़ लिया जाता है. इसके अलावा आईएमएफ़ क्रेडिट जैसे विकल्प भी क़र्ज़ लेने के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं. वर्ल्ड बैंक के एक आँकड़े के अनुसार विकासशील देशों द्वारा लिए गए कुल क़र्ज़ का तीन चौथाई हिस्सा प्राइवेट बांडहोल्डर्स से लिया गया है. इसके साथ ही एक चौथाई क़र्ज़ वर्ल्ड बैंक जैसे बहुपक्षीय विकास बैंक (multilateral development banks) से लिया गया है. वहीँ करीब 149 बिलियन डॉलर चीन ने दुसरे विकासशील देशों को क़र्ज़ के रूप में दिए हुए हैं. 

वर्ल्ड बैंक का यह भी कहना है कि फिलहाल के लिए यह राहत केवल उन कर्ज़दार देशों के लिए है जो भीषण आपदा प्रभावित हैं और जिनपर पर्यावरण परिवर्तन के कारण प्राकतिक आपदाओं की मार लगातार पड़ती रहती है जिससे उनकी अर्थव्यवस्था लचर हो जाती है. मगर भविष्य में वह इस योजना को अपने सभी क़र्ज़दार देशों के लिए लाने के बारे में विचार कर सकते हैं.

छोटे देश जो आपदाओं का सामना लगातार करते रहते हैं वह क़र्ज़ के एक दल-दल में फंसते जाते हैं. आपदाओं से बचने और राहत कार्य के लिए उन्हें दोबारा क़र्ज़ लेना होता है जबकि वह पहले से ही पुराने क़र्ज़ को चुकाने के लिए संघर्ष कर रहे होते हैं. 

बीते दिनों मई के महीने में मोजाम्बिक ने फ्रेडी नामक तूफ़ान का सामना किया था. जिससे 1.18 मिलियन लोग प्रभावित हुए थे. इस आपदा के मौके पर वर्ल्ड बैंक ने इस देश को 150 मिलियन डॉलर की मदद की थी. इसमें से 100 मिलियन डॉलर ग्रांट के रूप में  दिए गए थे वहीँ 50 मिलियन डॉलर सॉफ्ट क्रेडिट के रूप में दिए गए थे. 

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