मध्यप्रदेश में मॉनसून ब्रेक ने पहले सूखे जैसे हालात पैदा किये उसके बाद आई बारिश ने कई जगह बाढ़ जैसे हालात पैदा कर दिए, इस मौसम की बेरुखी ने राज्य में खरीफ की फसल को पूरी तरह बर्बाद कर दिया है। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री ने किसानों की फसल का सर्वे करवाकर उचित मुआवज़ा देने का आश्वासन दिया है। लेकिन यह काम जिन पटवारियों को करना है वो पिछले 26 दिन से अपना वेतनमान बढ़वाने की मांग को लेकर हड़ताल (Patwari Strike in MP) पर हैं। सरकार अभी तक हड़ताल खत्म करवा पाने में नाकाम रही है। माना जा रहा है कि इस हड़ताल से सबसे ज्यादा नुकसान राज्य का किसान उठाने वाला है। ऐसे में पटवारियों द्वारा हड़ताल के लिए चुने गए समय पर सवाल खड़े हो रहे हैं।
सीहोर में भोपाल संभाग के पटवारियों की रैली
राजधानी भोपाल से 35 किलोमीटर दूर सीहोर शहर में भोपाल संभाग के 1200 से ज्यादा पटवारी इकट्ठा हुए इन्होंने यहां विशाल रैली निकालकर चिंतामन गणेश मंदिर में प्रार्थना की। रैली में मौजूद पटवारियों ने कहा कि सरकार हमारी प्रार्थन नहीं सुन रही है, इसलिए भगवान गणेश की शरण में हम जा रहे हैं।
आष्टा तहसील में पदस्थ पटवारी निलेश तिवारी ने हड़ताल से किसानों को हो रही परेशानी पर कहा कि
"किसान और पटवारी एक दूसरे के पूरक हैं, हम बरसों से किसानों के साथ खड़े रहे हैं। हमारी लड़ाई किसानों से नहीं प्रशासन है। पिछले 25 सालों से मध्यप्रदेश में पटवारियों के साथ भेदभाव किया जा रहा है। हमें 258 रुपए आवास भत्ता और 300 रुपए यात्रा भत्ता मिलता है, आप ही बताईये की आज की तारीख में कहां पर 258 रुपए में मकान किराए पर मिलता है? हमारी मांग है कि हमारा वेतनमान जो अभी 2100 रुपए है वो 2800 रुपए हो और बाकी के भत्तों में भी सरकार बढ़ोतरी करे।"
इछावर तहसील से आईं अकांक्षा शर्मा ने बताया कि
"हमें जो सैलरी मिलती है वो बेहद कम है। इतने कम वेतन से महंगाई के इस दौर में गुज़ारा होना संभव नहीं है। हमारी मांग है कि वेतनमान बढ़ने के साथ-साथ रिक्त पदों पर जल्द से जल्द भर्ती की जाए, क्योंकि कर्मचारी न होने की वजह से एक व्यक्ति पर काम का ज्यादा बोझ पड़ रहा है, जिसका असर हमारी सेहत पर पढ़ने लगा है।"
क्या करते हैं पटवारी?
आपको बता दें कि मध्यप्रदेश में 28 अगस्त से 19 हज़ार से ज्यादा पटवारी हड़ताल (Patwari Strike in MP) पर हैं। पटवारियों की हड़ताल की वजह से जाति प्रमाण पत्र, आय प्रमाण पत्र, स्थाई प्रमाण पत्र, राशन कार्ड सूची में नाम जुड़वाने जैसे आम आदमी के काम अटके हुए हैं। पटवारी गांव स्तर पर प्रशासनिक पद होता है। इनका काम खेती बाड़ी की ज़मीन और उसकी उपज का लेखा-जोखा रखना होता है। ज़मीन को नापना, खरीद-फरोख्त से संबंधित जानकारी भी इनको रखनी होती है। पटवारी गांव की जमीन का नक्शा, कृषि भूमि की गिरदावरी रिपोर्ट, जमाबंदी ब्रिक्री, राजस्व वसूली पत्र और खसरा नंबर आदि अभिलेखों को सुरक्षित रखता है। साथ ही किसानों की फसलों को हुए नुकसान को दस्तावेज़ में रिकॉर्ड करने का काम पटवारियों का होता है, काम बंद (Patwari Strike in MP) होने की वजह से किसानों को मुआवज़ा मिलने में देरी का सामना करना पड़ेगा।
यह पहली बार नहीं है जब मध्यप्रदेश में पटवारी हड़ताल (Patwari Strike in MP) कर रहे हों। दो साल पहले भी जब लंबे समय तक पटवारी हड़ताल से नहीं लौट थे तब हाईकोर्ट ने हड़ताल को अवैध करार दिया था और कर्मचारियों को वापस काम पर लौटना पड़ा था। इस बार भी सरकार उम्मीद कर रही है कि कोई रास्ता निकल आए।
उधर पटवारी संघ ने इस अनिश्चित कालीन हड़ताल (Patwari Strike in MP) का मन बनाया है। बताया जा रहा है कि पटवारियों ने चुनाव नज़दीक देखकर हड़ताल के लिए यह समय चुना है। सरकार कई विभागों के कर्मचारियों की मांगो को पूरा कर रही है। पटवारियों को उम्मीद है इस माहौल में उनकी भी 25 वर्षों से लंबित मांगे पूरी हो जाएंगी। कांग्रेस के पटवारियों को समर्थन देकर कह दिया है कि वो सत्ता में आए तो पटवारियों की मांगे पूरी करेंगे। ऐसे में मुख्यमंत्री शिवराज पर मांगे पूरी करने का दबाव बढ़ गया है।
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