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बुरहानपुर में जागृत आदिवासी दलित संगठन (JADS) के कार्यकर्ता नितिन की गिरफ्तारी पर उठते सवाल

मध्यप्रदेश के बुरहानपुर में जागृत आदिवासी दलित संगठन (JADS) के कार्यकर्त्ता नितिन वर्गीश को बीते 28 अगस्त को गिरफ्तार किया गया है.

By Shishir Agrawal
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Nitin Varghese unlawful arrest in Burhanpur

मध्यप्रदेश के बुरहानपुर में जागृत आदिवासी दलित संगठन (JADS) के कार्यकर्त्ता नितिन वर्गीश को बीते 28 अगस्त को गिरफ्तार किया गया है. पुलिस द्वारा यह कार्रवाई इसी साल मार्च में हुई एक घटना के सम्बन्ध में की गई है. जानकारी के अनुसार 2 मार्च को बुरहानपुर के ग्वारखेड़ा के कुछ आदिवासियों द्वारा वन रेंज ऑफिस पर हमला किया गया था. इसी मामले में पुलिस द्वारा नितिन पर धारा 120 (B) (आपराधिक साजिश) के तहत केस दर्ज किया गया है. नितिन पर आदिवासियों को वन विभाग पर हमला करने के लिए उकसाने का आरोप लगाया गया है. गौरतलब है कि इससे पहले इस संगठन की एक अन्य नेता माधुरी के खिलाफ ज़िला बदर का नोटिस जारी किया गया था.  

ग्राउंड रिपोर्ट से बात करते हुए जागृत आदिवासी दलित संगठन की माधुरी कहती हैं,

“साल 2019 से ही हम बुरहानपुर में आदिवासियों को वन अधिकारों के प्रति जागृत करने का काम कर रहे हैं. इससे प्रशासन में संगठन के खिलाफ एक चिढ़ और द्वेष पैदा हुआ है जिसके तहत यह कार्रवाई की गई है.” 

क्या है पूरा मामला?

नितिन वर्गीश की यह गिरफ़्तारी इसी साल मार्च में बुरहानपुर के वन रेंज कार्यालय में हुए हमले के मामले में की गई है. वर्गीश पर हमला करने के लिए आदिवासियों को उकसाने और फ़रार रहने का आरोप है. 2 मार्च को जब यह कथित हमला हुआ तब वनरक्षक मंतोष कलम वहीँ मौजूद थे. उस दिन की घटना के बारे में हमें बताते हुए शिकायतकर्ता कलम कहते हैं,

“उस दिन हम 4 लोगों को वनअपराध में लिप्त होने के चलते हिरासत में लेकर रेंज ऑफिस आए थे. कुछ देर बाद बहुत अधिक संख्या में गाँव के लोग रेंज ऑफिस पहुँचे और उन्होंने हम पर हमला कर दिया और अपने साथियों को वो छुड़ाकर ले गए. जिसके बाद हमने पुलिस थाने में पहुँचकर मामला दर्ज करवाया था.”

यह घटना बुरहानपुर के ग्वारखेड़ा की है. इस गाँव के निवासी जामसिंह इस पूरी घटना के बारे में बताते हुए कहते हैं,

“दिन में जब हम अपने खेतों में काम कर रहे थे तब नाकेदार हमारे पास आए. उन्होंने हमसे खेत हमारे होने के सबूत (दस्तावेज) माँगे. हमने कहा कि अभी हमारे पास सबूत नहीं हैं. तब उन्होंने कहा कि कल पंचायत में सबूत लेकर आना. हमने उनकी बात मान ली और कहा कि कल हम आधार कार्ड वगैरह लेकर आएँगे. लेकिन उसी दिन शाम को वो लोग आए और 2 महिला और 2 पुरुषों को उठाकर ले गए.” 

जामसिंह की इस बात की पुष्टि गाँव की ही एक अन्य रहवासी रुन्जलीबाई भी करती हैं. उस दिन के बारे में पूछने पर वह इसी विवरण को दोहराती हैं. नाकेदार (वन आरक्षक) द्वारा ज़मीन उनकी होने का सबूत माँगने और खेती करने सम्बंधित सवाल उनसे पूछे गए थे. वह कहती हैं,

“नाकेदार को हमने बताया कि हम किसी भी नई ज़मीन पर खेती नहीं कर रहे हैं. अपनी पुरानी ज़मीन पर ही खेती कर रहे हैं जिस ज़मीन पर हमारे बाप-दादा खेती करते हुए आए हैं.”  

गाँव के लोगों का कहना है कि उस रात जब अपने साथियों को खोजते हुए वो लोग रेंज ऑफिस पहुँचे तो उन्हें  साथियों से मिलने नहीं दिया गया. रुन्जलीबाई बताती हैं कि उन्होंने जब वन रक्षकों से यह पूछा कि उनके आदमी कहाँ हैं तो वन रक्षकों ने उल्टा उन लोगों से प्रश्न करते हुए पूछा कि “कहाँ है तुम्हारा आदमी? हम किसी को भी नहीं लेकर आए हैं.” “हमने उनसे कहा कि हमारे सामने आपने उनको लाया है. इसके बाद उनके द्वारा हम पर लाठीचार्ज किया गया जिसके जवाब में हम लोग हिंसक हो गए.” रुन्जलीबाई बताती हैं. 

इस गाँव के आदिवासी हिंसा करके अपने साथियों को छुड़ाने की बात स्वीकार करते हैं. इस घटना के थोड़े ही देर बाद पुलिस द्वारा 36 लोगों पर मामला दर्ज करके उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था. आरोप है कि इस दौरान पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए गए आदिवासियों के साथ मारपीट की गई. रुन्दली उस रात को याद करती हैं,

“हमें थाने में उन्होंने मारना शुरू किया. वह हमें मारते फिर दर्द की दवा देते और फिर मारते. इस तरह पूरी रात हमारे साथ मार-पीट की गई.”

नितिन की गिरफ्तारी के पीछे तर्क

नितिन पर मामला दर्ज करने और गिरफ्तारी के पक्ष में प्रशासन द्वारा यह तर्क दिया गया है कि वर्गीश के फ़ोन में हमला करने वालों के नंबर से फ़ोन आने के सबूत मिले हैं. जेएडीएस के एक अन्य कार्यकर्त्ता अंतराम अवासे उस शाम को उनके साथ मौजूद थे. वह कहते हैं, “नितिन और मुझे ग्वारखेड़ा से गाँववालों का फ़ोन आया था. हमें उन्होंने बताया कि वन विभाग वाले 4 लोगों को अपने साथ ले गए हैं. हमने उनसे कहा कि वह लोग उन्हें कहाँ ले गए हैं यह गाँव वाले पता लगाएँ और पता नहीं चलने पर पुलिस में शिकायत दर्ज करें.” अवासे आगे बताते हैं कि इसके बाद नितिन द्वारा पहले कलेक्टर को फ़ोन किया गया. कलेक्टर ने नितिन को डीएफ़ओ से बात करने को कहा. “डीएफ़ओ ने पता करने के बाद हमें बताया कि गिरफ़्तार किए गए लोगों को लिखा पढ़ी करके छोड़ दिया जाएगा.” अवासे आगे कहते हैं,

“नितिन पर प्रशासन यह आरोप लगा रहा है कि उन्होंने गांववालों को हमला करने के लिए भड़काया है. जबकि हमारी गांववालों से केवल इस सम्बन्ध में बात हुई थी कि गाँव से लोगों को उठाया गया है.”

अवासे कहते हैं कि यदि लोगों से बात करना ही अपराध साबित करने का आधार है तब कलेक्टर और डीएफओ को भी आरोपी बनाया जाना चाहिए. 

नितिन की फरारी की बात में कितना सच?

जेएडीएस की नेता माधुरी ने बताया कि इस मामले में नितिन को इससे पहले बयान दर्ज करने के लिए लाल बाग़ थाने में बुलाया गया था. यहाँ उन्होंने दोनों बार पहुंचकर अपना बयान दर्ज करवाने का प्रयास किया था. मगर माधुरी के अनुसार “दोनों ही बार नितिन को कोई न कोई कारण देकर उनका बयान नहीं दर्ज किया गया.” वह आगे बताती हैं कि उन्हें जुलाई के अंत में फरार घोषित किए जाने की बात पता चली थी.

“जब दो बार बयान नहीं दर्ज़ किया गया तब नितिन को यह बोला गया था कि पुलिसवाले उन्हें अगली डेट के बारे में बताएँगे मगर इस बीच पुलिस की ओर से कोई भी संपर्क की कोशिश नहीं की गई.”

दरअसल नितिन के एक रिश्तेदार के घर के लेटर बॉक्स में एक दिन अचानक से फरारी का नोटिस मुड़े-तुड़े हुए कागज़ की शक्ल में मिलता है. “यह नोटिस 31 जून का है जबकि इसके 10 दिन पहले ही 20 जून को एक अन्य मामले में नितिन नेपानगर थाने में गए थे. क्या 10 दिन में कोई फरार घोषित किया जाता है?” सवाल पूछते हुए माधुरी कहती हैं. उन्होंने हमें बताया कि हाल ही में नितिन की बहन का देहांत एक जानलेवा बिमारी के चलते हुआ है. इस दौरान अपनी बहन की अंतिम क्रियाएँ करने वह अपने घर गए थे. “इसके अलावा नितिन हमेशा बुरहानपुर में लोगों और प्रशासन के सामने रहा है.” माधुरी कहती हैं.         

नितिन की सेहत को लेकर चिंता

गौरतलब है कि नितिन की बहन को लूपस नामक एक घातक बिमारी थी. खुद नितिन भी इस बिमारी से पीड़ित हैं और बीते दिनों इसके चलते वह बेडरेस्ट पर भी रहे हैं. यह एक इन्फ्लेमेट्री बिमारी है जिसमें पीड़ित का इम्यून सिस्टम उसके शरीर के ही खिलाफ काम करने लगता है जिससे किसी भी तरह का संक्रमण उसके लिए ख़तरनाक साबित हो सकता है. 

ऐसे में नितिन के परिजन सहित उसके दोस्त जेल में उसकी स्थिती को लेकर भी चिंता व्यक्त करते हैं.

“नितिन को अभी खंडवा जेल में रखा गया है जो अपनी क्षमता से ज़्यादा भरा हुआ है. हमने नितिन की बिमारी के बारे में कोर्ट को भी बताया है और मेडिकल सर्टिफिकेट भी पेश किया है. मगर इसे अभी तक संज्ञान में नहीं लिया गया है.” माधुरी बताती हैं. 

पुलिस का पक्ष

ग्राउंड रिपोर्ट ने इस मामले में अधिक जानकारी के लिए बुरहानपुर के एसपी देवेन्द्र पाटीदार से संपर्क किया. फ़ोन पर हुई बातचीत में उन्होंने बताया कि नितिन के फरार होने के चलते धारा 120 (B) के तहत यह कार्रवाही की गई है. गौरतलब है कि 2 मार्च को पुलिस में दर्ज करवाई गई एफ़आईआर में कहीं भी नितिन का ज़िक्र नहीं है. इस बारे में पूछने पर एसपी पाटीदार बताते हैं कि यह धारा बाद में प्रकरण में दर्ज की गई है. इसके बाद व्यस्तता की बात कहते हुए हम उनसे और बातचीत नहीं कर पाए.   

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