बढ़ती ग्लोबल वार्मिंग से पिघलते ग्लेशियर और उसके परिणाम स्वरूप बढ़ता समुद्र का जल स्तर किरिबस (Kiribati) के लोगों को हर रोज़ चिंता में डाल देता है. किरिबस ऑस्ट्रेलिया और हवाई के बीच स्थित एक छोटा सा देश है जो 33 कोरल आईलैंड से बना हुआ है. हालाँकि इनमें से केवल 21 द्वीप ही ऐसे हैं जहाँ बसाहट है. 811 स्क्वायर किलोमीटर में फैले इस देश में लगभग 1 लाख 21 हज़ार 300 जनसँख्या निवास करती है. मगर वैज्ञानिकों की माने तो आने वाले दिनों में इस देश का अस्तित्व पूरी तरह समाप्त हो सकता है.
बढ़ता जलस्तर डूबते लोग
समंदर के किनारे रहने वाले यहाँ के लोगों के लिए साल में एक बार ऊँची समुद्री लहरों का आना कोई नई बात नहीं थी. मगर अब साल में बाढ़ के दिन बढ़ने लग गए हैं. टाइम मैगज़ीन से बात करते हुए यहाँ कि एक कम्युनिटी डेवलपमेंट ऑफिसर कहती हैं,
“पहले समुद्र का जलस्तर साल में एक बार बढ़ता था मगर अब यह हर 2-3 महीने में हो रहा है.”
यदि यहाँ समुद्र का जलस्तर 6 फीट और बढ़ता है तो यह देश ऐसा पहला देश होगा जो क्लाइमेट क्राइसिस के कारण पूरी तरह जलमग्न हो जाएगा.
क्लाइमेट के खिलाफ किरीबस के सरकारी प्रयास
यह देश समुद्र से लगातार जंग लड़ रहा है. इसी क्रम में वह खुद को आने वाले दिनों में होने वाले तबाही के लिए तैयार भी कर रहा है. साल 2014 में किरिबस सरकार द्वारा फिजी में 20 स्क्वेयर किलोमीटर ज़मीन ख़रीदी गई थी. इसका उद्देश्य भविष्य में किरिबस के नागरिकों को ज़रूरत पड़ने पर यहाँ भेजना था. इस देश की आर्थिक व्यवस्था का एक बड़ा हिस्सा अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक सहायता पर निर्भर करता है. साल 2022 में वर्ल्ड बैंक द्वारा किरिबस आउटर आइलैंड रेज़िलिएन्स एंड अडाप्टेशन प्रोजेक्ट के तहत इस देश को 20 मिलियन डॉलर की सहायता प्रदान की गई थी.
अपने एक इंटरव्यू में किरीबस के हाइड्रोग्राफी और चार्टिंग के नेशनल कॉर्डिनेटर टियोन उरीअम (Tion Uriam) बताते हैं कि उनकी सरकार द्वारा लोगों को ऐसे घर बनाने के लिए कहा जा रहा है जिन्हें एक जगह से दूसरी जगह ले जाया जा सके साथ ही परिवारों द्वारा उतने ही संसाधनों का उपयोग किया जा रहा है जितना उनकी दैनिक जीवन के लिए ज़रूरी है. सरकार द्वारा समुद्र के पानी को रोकने के लिए सीवाल (Seawall) और मैनग्रोव पेड़ लगाए जा रहे हैं.
जीने मरने का प्रश्न
इसके अलावा यहाँ के पूर्व राष्ट्रपति एनोट टोंग (Anote Tong) द्वारा हाल ही में कार्बन उत्सर्जन कम न करने के लिए ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ किए गए एक केस को समर्थन भी दिया गया है. अपने एक अन्य बयान में उन्होंने विकसित देशों द्वारा क्लाइमेट क्राइसिस से निपटने के लिए आर्थिक सहायता की मांग करते हुए कहा गया था, “यह हमारे लिए कोई खेल नहीं हैं, यह हमारे जीने-मरने का प्रश्न है.”
अपने एक इंटरव्यू में किरीबस के हाइड्रोग्राफी और चार्टिंग के नेशनल कॉर्डिनेटर टियोन उरीअम (Tion Uriam) बताते हैं कि उनकी सरकार द्वारा लोगों को ऐसे घर बनाने के लिए कहा जा रहा है जिन्हें एक जगह से दूसरी जगह ले जाया जा सके साथ ही परिवारों द्वारा उतने ही संसाधनों का उपयोग किया जा रहा है जितना उनकी दैनिक जीवन के लिए ज़रूरी है. सरकार द्वारा समुद्र के पानी को रोकने के लिए सीवाल (Seawall) और मैनग्रोव पेड़ लगाए जा रहे हैं.
यह भी पढ़ें
- मुख्यमंत्री की घोषणा के बाद भी वसूली जा रही है भोपाल में रेहड़ी पटरी वालों से अवैध ‘फीस’
- सेठानी घाट पर फैला कचरा और ग्राहकों की राह ताकते ऑर्गेनिक दीप
- मैहर सीमेंट उद्योग: दमा और बेरोज़गारी की कहानी
- आवास योजना के होते हुए भी क्यों झुग्गियों में रहने को मजबूर हैं लोग?
Ground Report के साथ फेसबुक, ट्विटर और वॉट्सएप के माध्यम से जुड़ सकते हैं और अपनी राय हमें [email protected] पर मेल कर सकते हैं।