भोपाल। मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में एक-एक कर के नौ चीतों की मौत हो गई। इसके बाद से ही चीता प्रोजेक्ट पर संकट के बादल मंडराने लगे और चीता प्रोजेक्ट के सफल होने पर भी सवाल खड़े होने लगे। वन महकमे ने इस प्रोजेक्ट को सफल बनाने की दोबारा से कार्य योजना तैयार की और इस कार्ययोजना के मुताबिक विशेषज्ञों की सलाह पर कूनो प्रबंधन ने बाकी बचे और एक शावक के साथ 15 चीतों का स्वास्थ्य परीक्षण कराया। इसके लिए उन्हें खुले जंगल व बड़े बाड़े से ट्रैंकुलाईज़ करके छोड़े- छोटे क्वारंटाइन बोमा में रखा गया। स्वास्थ्य परीक्षण पूरा होने के बाद से एक-एक करके चीतों को दोबारा से बड़े बाड़े यानि साफ्ट रिलीज बोमा में छोड़ा जा रहा हैं। इसी कड़ी में शनिवार को मादा चीता वीरा को भी छोटे से बड़े बाड़ें में रिलीज किया गया है। अब तक छोटे से बड़े में 12 चीतों को ट्रांस्फर किया जा चुका है।
मुख्य वन्य प्राणी अभिरक्षक असीम श्रीवास्तव ने बताया कि
"चीता वोरा की निगरानी करने के लिए उससे रेडियो काॅलर पहनाया गया हैं और स्वास्थ्य परीक्षण के दौरान यह भी जांच की गई थी रेडियो काॅलर से संक्रमण तो नहीं हो रहा है, जांच में सामने आया है रेडियो काॅलर वन्य प्राणी फ्रेंडली है, पूरी दुनिया में एक तरह के रेडियो काॅलर का इस्तेमाल किया जाता है और यह रेडियो काॅलर पूरी तरह से वन्य प्राणियों के लिए सुरक्षित है।"
उन्होंने जानकारी देते हुए आगे कहा कि "स्वास्थ्य परीक्षण पूरा होने के के बाद प्रोटोकाल का पालन करते हुए वीरा को बड़े बाड़े में रिलीज किया गया है। यह ट्रांस्फर डाॅक्टरों की टीम और सीनियर अफसरों की मौजूदगी में किया गया है और सभी चीतें स्वास्थ हैं।"
अब इन चीतों के किया गया बड़े बाड़े में रिलीज़
कूनों में अब तक 12 चीतों को बड़े बाड़े में छोड़ा जा चुका है। इनमें मेल और फीमेल दोनों चीतें मौजूद है। नर चीतों में पवन, गौरव, शौर्य, वायु, अग्नि, प्रभास और पावक शामिल हैं, जबकि मादा चीतों में धीरा, नाभा, आशा और गामिनी को छोटे बाड़ों से बड़े बाड़ों में भेजा गया।
एक नजर में चीता प्रोजेक्ट
चीतों को बसाने की परियोजना के तहत पिछले साल 17 सितंबर को आठ नमीबियाई चीतों को कूनो नैशनल पार्क के बाड़ों में छोड़ा गया था, जिनमें पांच मादा और तीन नर शामिल थे। इस साल फरवरी में दक्षिण अफ्रीका से 12 और चीते कूनो लाए गए। बाद में चार शावकों का जन्म हुआ, जिससे उनकी संख्या बढ़कर 24 हो गई। मार्च से अब तक तीन शावकों सहित नौ चीतों की मौत हो चुकी है, जबकि वर्तमान में 14 चीते और एक शावक स्वस्थ स्थिति में हैं। वर्ष 1952 में भारत में चीतों को विलुप्त घोषित कर दिया गया था।
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