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क्या है मोका चक्रवात, जिससे बचने के लिए लाखों लोग छोड़ रहे हैं अपने घर?

विश्व मौसम विज्ञान संगठन के अनुसार ‘मोका’ नाम का साइक्लोन 14 मई को बांग्लादेश की सीमा से लगे म्यांमार के रखीन प्रान्त से टकराएगा.

By Shishir Agrawal
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Why Madden-Julian Oscillation (MJO) wave are crucial in cyclones?

भारत के पड़ोसी देश एक बार फिर प्राकृतिक आपदा झेलने वाले हैं। विश्व मौसम विज्ञान संगठन के अनुसार ‘मोका’ नाम का साइक्लोन 14 मई को बांग्लादेश की सीमा से लगे म्यांमार के रखीन प्रान्त से टकराएगा. इससे म्यांमार और बांग्लादेश के कुछ हिस्सों के बुरी तरह से प्रभावित होने की आशंका है. मोका एक बहुत ही भयंकर चक्रवाती तूफान है जो 10 मई, 2023 को बंगाल की खाड़ी में बना है। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग का दावा है कि यह तूफ़ान 14 मई तक बेहद भयानक रूप (very severe cyclonic storm) ले लेगा जिससे जन-जीवन बड़े पैमाने पर प्रभावित होगा. एक अनुमान के मुताबिक इस दौरान हवा की गति 175 किलोमीटर प्रति घंटा तक हो सकती है. 

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Source: IMD

भारत, म्यांमार और बांग्लादेश में तैयारी शुरू

तीनों देशों की टीमें बचाव के लिए तैनात कर दी गई हैं. बांग्लादेश में प्रभावित लोगों के लिए  576 शेल्टर बनाए गए हैं. माना जा रहा है कि इस तूफान के चलते यहाँ करीब 5 लाख लोगों को अपना घर छोड़ना पड़ेगा. इस तूफ़ान से बांग्लादेश का कॉक्स बाज़ार वाला इलाका सबसे ज़्यादा प्रभावित होने वाला है. कॉक्स बाज़ार में म्यांमार से आए रोहिंग्या शर्णार्थी रहते हैं। पहले से विस्थापन का दर्द झेल रहे रोहिंग्या मुसलमानों के लिए यह दोहरा आघात होगा।

म्यांमार का रखीन प्रान्त इस तूफ़ान की चपेट में आएगा. गौरतलब है कि इस इलाके में अभी लगभग 2 लाख 30 हज़ार शरणार्थी रह रहे हैं. यूनाइटेड नेशन्स ऑफिस फॉर दी कॉर्डिनेशन ऑफ़ ह्यूमैनेटेरियन अफेयर्स (UNOCHA) ने बयान जारी कर कहा है कि इस तूफान से विस्थापित लोग बुरी तरह से प्रभावित होंगे जो चिंता का विषय है. सेना के अलावा म्यांमार में बचाव कार्य के लिए यूएनओसीएचए (United Nations Office for the Coordination of Humanitarian Affairs) की टीम म्यांमार के सिटवे शहर में भेज दी गई है. इसके अलावा म्यांमार के विद्रोही समूह अराकन आर्मी से सम्बंधित राजनैतिक दल यूनाइटेड लीग ऑफ़ अराकन ने भी मदद के लिए हाथ आगे किए हैं. 

भारत की तैयारी

भारतीय मीटिअरलॉजिकल डिपार्टमेंट द्वारा जारी किए गए एक बुलेटिन के अनुसार मोका से भारत के अंडमान निकोबार द्वीप समूह में तेज़ हवाओं के साथ बारिश होने की सम्भावना है. वहीं त्रिपुरा, मिज़ोरम, नागालैंड, मणिपुर और दक्षिणी असम में भी बारिश होने की सम्भावना है. तूफ़ान से होने वाले किसी भी बड़े नुकसान से बचने के लिए पश्चिम बंगाल के दीघा में एनडीआरएफ़ की 8 टीम और 200 बचावकर्मी तैनात कर दिए गए हैं. 

अटलांटिक हैरिकेन कैटेगरी 1 का तूफ़ान है मोका 

जॉइंट टाईफ़ोन वार्निंग सेण्टर के अनुसार मोका केटेगरी 1 अटलांटिक हैरिकेन श्रेणी का तूफ़ान होगा. सैफिर-सिम्पसन हरिकेन विंड स्केल के अनुसार इस श्रेणी में उन तूकानों को रखा जाता है जिसमें हवाओं की गति 64 नॉट्स (74 mph; 119 km/h; 33 m/s) से 82 नॉट्स (95 mph; 153 km/h; 42 m/s) के बीच होती है. 

इस तूफ़ान का असल नाम मोखा है. तूफ़ान का नामकरण यमन के सुझाव पर रेड सी में स्थित मोका नाम के शहर के नाम पर रखा गया है. यह शहर कॉफ़ी के उत्पादन के लिए जाना जाता है. इसी के नाम पर कॉफ़ी के प्रसिद्द प्रकार ‘मोका’ का नाम पड़ा है.    

बंगाल की खाड़ी में बीते कुछ सालों में कुछ बहुत शक्तिशाली तूफ़ान बने हैं. साल 2020 में आया अम्फन तूफ़ान इसका हालिया उदाहरण है. इन्डियन इंस्टीट्यूट ऑफ़ ट्रॉपिकल मेट्रोलॉजी में क्लाइमेट साइंटिस्ट रौक्सी मैथ्यू कोल के अनुसार,

“बंगाल की खाड़ी में तापमान 30 से 32 डिग्री तक देखा गया है. यह अधिक तापमान तूफानों के शक्तिशाली होने के पीछे प्रमुख कारण है. इसके कारण तूफ़ान अधिक तापमान वाली जगह से कम तापमान वाली जगह की और स्थानांतरित होता है.”

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