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भोपाल के वन विहार में वेब सीरीज़ की शूटिंग से कैसे हुआ पर्यावरणीय नियमों का उल्लंघन

Van Vihar Film Shoot Controversy explained

मध्यप्रदेश के भोपाल में स्थित वन विहार राष्ट्रिय उद्यान में एक वेब सीरीज़ की शूटिंग (Van Vihar Film Shoot) चल रही थी. बीते रविवार से जारी इस शूटिंग को लेकर विवाद हो रहा है. खबर के अनुसार पहले यह शूटिंग बिना परमीशन के शुरू हुई थी बाद में शार्ट नोटिस पर इसे अनुमति दी गई. इस फिल्म की टीम द्वारा कुछ गमले रखने की अनुमति ली गई थी मगर बाद में रविवार के दिन यहाँ एक बड़ा सा सेट बनाया गया. पर्यावरणविदों का कहना है कि यह पर्यावरण नियमों के विरूद्ध होने के कारण ग़ैरक़ानूनी है. वहीँ प्रशासन द्वारा सेट को डिसमेंटल करवा दिया गया है. 

van vihar film shoot
शूटिंग के लिए बनाया गया सेट, फ़ोटो – अजय दुबे

क्या है मामला?

राजधानी के इस क्षेत्र में फिल्म ‘पान पर्दा ज़र्दा’ की शूटिंग के लिए मध्य प्रदेश वन विभाग द्वारा अनुमति प्रदान की गई थी. 3 नवम्बर को दी गई इस अनुमति में मध्य प्रदेश वन्यप्राणी (संरक्षण) नियम 1974 का सन्दर्भ देते हुए प्रोडक्शन टीम को ध्वनि विस्तारक यंत्र का प्रयोग न करने की चेतावनी दी गई थी. वहीँ उन्हें मप्र वन्यप्राणी (संरक्षण) नियम 1974 का पालन करने का निर्देश भी दिया गया था. मगर 5 नवम्बर को मौजूद प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार टीम द्वारा सेट बनाने का काम किया गया. इस दौरान उनके द्वारा जनरेटर और ड्रिल मशीन का इस्तेमाल भी किया गया. टीम द्वारा किए गए इसी कृत्य पर आपत्ति दर्ज करवाई गई है.

van vihar film set
शूटिंग के दौरान इस्तेमाल के लिए लाए गए गमले, फ़ोटो – अजय दुबे

वन्य प्राणियों के क़रीब शूटिंग

पर्यावरणविद अजय दुबे कहते हैं कि फिल्म (Van Vihar Film Shoot) की टीम द्वारा भालू (Melursus ursinus) के बाड़े के सामने सेट का निर्माण किया जा रहा था. इस दौरान ड्रिल मशीन और जनरेटर का इस्तेमाल किया जा रहा था. यह मशीनें आवाज़ करती हैं जिनसे वन्य प्राणियों को परेशानी हो सकती है. वहीँ टीम द्वारा जिस शूटिंग स्थान पर शूटिंग की जा रही थी उसे लेकर भी विवाद है. वन विहार की निर्देशक पद्मप्रिया बालाकृष्णनन ग्राउंड रिपोर्ट से बात करते हुए बताती हैं,

“टीम द्वारा लकड़बग्घा (Hyaenidae) के बाड़े के सामने शूटिंग करने की अनुमति दी गई थी.” जबकि टीम द्वारा भालू के बाड़े के सामने शूटिंग की जा रही थी. 

van vihar film crew
शूटिंग के दौरान सड़क के दोनों ओर लगी गाड़ियाँ, फ़ोटो – ग्राउंड रिपोर्ट

पार्क की आवाजाही को नियंत्रित करती शूटिंग टीम

सोमवार दोपहर 12 बजे के करीब जब हम वन विहार पहुँचे तब लकड़बग्घे के बाड़े के थोड़ा पहले शूटिंग (Van Vihar Film Shoot) जारी थी. टीम द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली वैन शूटिंग की जगह के बहुत पहले पार्क थी. मगर शूटिंग स्थल के पास कई गाड़ियाँ नज़र आती हैं. यहाँ इस दौरान आम पर्यटकों का आना-जाना ज़ारी था. इस दौरान इस पर्यटकों के आने-जाने को भी शूटिंग टीम ही नियंत्रित करती है. मौके पर वन विहार के कर्मचारी और पुलिस भी नज़र आते हैं. मगर वह किनारे किसी दर्शक की तरह खड़े ही रहते हैं. 

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क्या कहते हैं नियम?

साल 1972 में बना वन्यप्राणी संरक्षण अधिनियम मध्य प्रदेश में 1974 में लागू किया गया. इस दौरान मध्यप्रदेश वन्यप्राणी (संरक्षण) नियम बनाए गए. इन्हें साल 2021 में संशोधित किया गया. इन संशोधित नियमों में से एक नियम 3 (E) के अनुसार, किसी भी संस्था अथवा व्यक्ति को राष्ट्रिय उद्यान के अन्दर शूटिंग की इजाज़त सम्बंधित उद्यान/अभ्यारण्य की खूबसूरती, वन्य सम्पदा या फिर प्राकृतिक इतिहास को दर्शाने के लिए ही दी जा सकती है. हालाँकि प्रदेश सरकार द्वारा इन कारणों के अतिरिक्त कोई अन्य कारण से शूटिंग करने की इजाज़त विशेष परिस्थिति (special circumstances) में दी जा सकती है.

कहाँ हुआ नियमों का उल्लंघन?

नियमों के अनुसार स्पष्ट है कि इस शूटिंग की अनुमति विशेष परिस्थिति के तहत दी गई है. ऐसा इसलिए क्योंकि यह फिल्म प्रत्यक्ष रूप से वन विहार के प्राकृतिक सौन्दर्य को या फिर यहाँ की वन्य सम्पदा को दिखाने के उद्देश्य से नहीं बनाई जा रही है. साथ ही यहाँ फिल्म का एक भाग शूट किया जा रहा है जिसमें वन विहार मात्र पृष्ठभूमि की तरह इस्तेमाल किया जा रहा है. ऐसे में ज़रूरी हो जाता है कि अनुमति आदेश में विशेष परिस्थिति को स्पष्ट किया जाए. मगर आदेश में ऐसा नहीं किया गया है. अजय दुबे इस आदेश को अस्पष्ट (vague) कहते हैं. उनके अनुसार आदेश में इसका ज़िक्र न होना एक बड़ी प्रशासनिक असफलता है.

शूटिंग में शामिल भीड़, फ़ोटो – ग्राउंड रिपोर्ट 

“हमारी ओर से मिसकम्युनिकेशन हुआ”

हमने वन विहार की निर्देशक पद्मप्रिया बालाकृष्णनन से पूछा कि क्या वह इस आदेश से सम्बंधित विशेष परिस्थिती (Special circumstances) को व्याख्यायित कर सकती हैं? इस पर वह सीधा जवाब देने के बजाए कहती हैं,

“आप स्पेशल को डिफरेंट (Different) मत मानिए. कोई भी चीज़ स्पेशल हो सकती है.”

उन्होंने हमें बताया कि शूटिंग टीम द्वारा टेंट लगाने के लिए अनुमति माँगी गई थी मगर उनके द्वारा सेट लगाया गया. वह कहती हैं कि इस दौरान उनके स्टाफ द्वारा उन्हें ऐसा करने से रोका नहीं गया. यह स्टाफ की गलती है. 

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हमने टीम द्वारा कानून का उल्लंघन किए जाने के बाद भी उन पर कोई भी कार्यवाही न करने के पीछे कारण पूछा. इस पर जवाब देते हुए वह समझाइश देने की बात दोहराते हुए कहती हैं, “हमारी ओर से मिसकम्युनिकेशन हुआ था.” अजय दुबे इस घटना के लिए प्रदेश के वन विभाग और वन विहार प्रशासन को ज़िम्मेदार ठहराते हैं. उनके द्वारा सेंट्रल ज़ू अथोरिटी को मेल के ज़रिए वन विहार का लाइसेंस रद्द करने की मांग की गई है.

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Author

  • Shishir is a young journalist who like to look at rural and climate affairs with socio-political perspectives. He love reading books,talking to people, listening classical music, and watching plays and movies.

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