क्या आपको पता है भारत में हुई हर पांच में से एक हत्या के पीछे की वजह जल, जमीन या संपत्ति के विवाद हैं। संपत्ति और जमीन के लिए इस तरह के अपराध हर समय, हर समाज में होते आए हैं लेकिन हत्या का कारण जल होना हमें सोचने पर मजबूर करता है। 12 दिसंबर 2023 को UNODC (United Nations Office on Drugs and Crimes) ने एक खास रिपोर्ट पब्लिश की. UN Global Study on Homicide Report 2023 नाम से पब्लिश इस रिपोर्ट में 2019 से 2021 के बीच हुए अपराधों पर रिसर्च किया और पाया कि पांच में से एक हत्या का मूल कारण जल, जमीन और संपत्ति के विवाद से जुड़ा हुआ था।
इस रिपोर्ट के अनुसार 2019-21 के बीच कुल 300 हत्याएं पानी से सम्बंधित विवादों के कारण हुई है। NCRB के 2019 के आंकड़े बताते हैं की वर्ष 2018 में 2017 की तुलना में जल सम्बंधित अपराधों में दोगुनी वृद्धि हुई। इनमें से 2017 से 2019 के बीच 2000 से भी अधिक ऐसे अपराध रिकॉर्ड किये जिनकी वजह पानी था, और इनमें से 232 लोगों की जान गई।
NCRB के इन आंकड़ों पर गौर करें तो सर्वाधिक मामले बिहार 44, राजस्थान 13, महाराष्ट्र के 7 हैं। ये सभी ऐसे ग्रामीण क्षेत्र हैं जहां घनी आबादी व सूखे और जल संकट की स्थितियां हैं। वहीं 6 दिसंबर को जारी NCRB की हालिया रिपोर्ट को देखें तो जल (प्रदुषण निवारण तथा नियंत्रण) अधिनियम 1974 के तहत दर्ज हुए प्रकरणों में 42% की बढ़ोतरी हुई है।
भारत में जल संबंधी आपराधिक प्रकरणों को 2 तरह से देखा जा सकता है, एक जल की सीमितता वाले क्षेत्रों में विवाद की स्थिति का उत्पन्न होना, और दूसरा दलित समाज से जुड़े प्रकरण। जहां दलित वर्ग के व्यक्ति को जल स्त्रोत को छू देने भर से उसे पीटा जाता है व कई जगह पर इन प्रकरणों में हत्याएं भी देखी गई हैं। अगर हाल फिलहाल की घटनाओं को लिया जाये तो राजस्थान के जालौर में एक अध्यापक ने 9 वर्षीय दलित छात्र इंद्र मेघवाल को अपने हाथों से घड़े से पानी लेने पर इतना पीटा की उसकी मौत हो गई। वहीं मार्च 2023 में उत्तर प्रदेश के जालौन में 9 साल के बच्चे को इसलिए बुरी तरह पीटा गया क्योंकि उसने एक तालाब से पानी पी लिया था, यह सूची लंबी है और ऐसे मामलों की कोई गिनती नहीं है जहां दलितों के खिलाफ प्रताड़नाओं में केंद्र बिंदु पानी बनता हो।
हाल के यह आंकड़े दर्शाते हैं की हमारे कदम सही दिशा में नहीं है, इन अपराधों को कम करने के लिए आवश्यक है की बेहतर सिंचाई तकनीकें, जल संरक्षण के प्रयास, वनीकरण को बढ़ावा दिया जाये। बड़ी एवं महंगी नहरों, परियोजनाओं के साथ ही सामाजिक चेतना का भी विकास किया जाये ताकि हर व्यक्ति संसाधनों का सम्मान के साथ मिल बांट कर उपयोग करना सीखे।
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