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मध्य प्रदेश में पीएम कुसुम योजना का काम महीनों से अधर में, निवेश अटका

कुसुम योजना के तहत 1000 से ज्यादा किसानों का 1 हजार मेगावाट का प्रोजक्ट पास होने के बाद पावर पर्चेज एग्रीमेंट लटका हुआ है। जिसके चलते प्रदेश में हजारों करोड़ का निवेश अटका पड़ा है। जबकि 1300 से अधिक सब स्टेशन पहले ही तैयार कर दिए गए थे।

By Manvendra Singh Yadav
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योजना की मदद से किसानों की आय बढ़ाने के लिए 1790 मेगावाॅट का टारगेट रखा गया था मगर अब तक केवल 50 मेगावाॅट पर ही काम पूरा हुआ है। Photograph: (Ground Report)

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मध्य प्रदेश में पीएम कुसुम योजना की मदद से किसानों की आय बढ़ाने का काम किया जाना था। योजना के तहत 1790 मेगावाॅट बिजली उत्पादन का टारगेट रखा गया था। अब तक केवल 50 मेगावाॅट पर ही काम पूरा हुआ है। इस योजना के लिए लगभग 1 हजार आवेदन प्राप्त किए जा चुके हैं। स्कीम के तहत 1 मेगावाट पर लगभग 1 करोड़ रुपये का खर्च आता है। जिस हिसाब से कुल 4 हजार करोड़ रुपये का निवेश थमा हुआ है।

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इन 1 हजार किसानों के आवेदन करने के बाद ऊर्जा विकास निगम मध्य प्रदेश की तरफ से सेंक्शन जारी किए जा चुके हैं। लेकिन इनमें से एक भी आवेदन पर पावर परचेज एग्रीमेंट जारी नहीं किया गया है। इस पूरी योजना के संचालन के जिम्मेदारी राज्य में ऊर्जा विकास निगम के पास है। लेकिन उत्पादित बिजली को खरीदने का काम ऊर्जा विभाग द्वारा किया जाना है। 

साल 2024 के जुलाई में 58 किसानों के आवेदन, सितंबर में 158 और नवंबर में 358 आवेदन किए गए थे। इन सभी पर 1 हजार मेगावाॅट के सेंक्शन जारी होने के बाद एग्रीमेंट लटका हुआ है।  साल 2024 में मई में बिजली के नए टैरिफ आदेश जारी हुए थे। जिसके बाद एक भी एग्रीमेंट नहीं किए गए हैं। ये एग्रीमेंट ऊर्जा विभाग और किसानों के बीच होता है जिसमें विभाग 25 साल तक उत्पादित ऊर्जा को खरीदता है। ऊर्जा विकास निगम से इस बारे में पूछा गया तो पता लगा कि ऊर्जा विभाग से इस बारे में बातचीत की जा रही है।

पाॅवर पर्चेज एग्रीमेंट लटके रहने के बारे ग्राउण्ड रिपोर्ट ने ऊर्जा विकास निगम के प्रबंधक निदेशक और नवीकरणीय ऊर्जा विभाग के अपर मुख्य सचिव सम्पर्क को सम्पर्क करने का प्रयास किया तो कोई उत्तर नहीं मिल पाया। हालांकि इस बारे ऊर्जा विकास निगम के रिटायर्ड मुख्य अभियंता डाॅ सुरेन्द्र बाजपेयी दावा करते हुए कहते हैं,

“इतना बता रहा हूं कि ये पन्द्रह दिन में हो जाएंगे”

क्या है पीएम कुसुम योजना?

पीएम कुसुम योजना केन्द्र सरकार द्वारा मार्च 2019 में शुरू की गई थी। इसमें 80 प्रतिशत राशि बैंक लोन दे देता है, बाकी 20 प्रतिशत राशि मार्जिन मनी किसान की तरफ से लगाई जाती है। प्रशासन इस पर कोई पैसा खर्च नहीं करता है, न ही सब्सिडी देता है। बजाय इसके सरकार को फीडर पर सस्ती बिजली मिलती है। योजना के नियम के हिसाब से सेंक्शन लेटर मिलने के 30 दिन के अंदर ही किसानों को पाॅवर परचेज एग्रीमेंट देना होता है। लेकिन सभी एग्रीमेंट 10 महीने से लटके हुए हैं।

कुसुम योजना के लिए मध्य प्रदेश में 1343 पावर सब स्टेशन बनाए गए हैं। इसमें जुड़ने वाले आवेदकों के पास 0.5 से 2 मेगावाट ऊर्जा उत्पादन क्षमता के सौर संयत्र होना जरूरी है। इसमें किसान या उनका समूह, ग्राम पंचायत और कृषि से जुड़ा कोई भी संस्थान आवेदन कर सकता है। इस योजना के अंतर्गत स्थापित संयंत्रों द्वारा उत्पादित ऊर्जा को विद्युत विभाग एग्रीमेंट के तहत 25 साल तक खरीदता है। जहां यह संयंत्र स्थापित हो वह भूमि कम उपजाऊ या बंजर होनी चाहिए साथ में सब स्टेशन 5 किमी के दायरे में होना अनिवार्य है। 

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